posted on : मार्च 7, 2025 12:33 पूर्वाह्न
जयहरीखाल : भक्त दर्शन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जयहरीखाल मे देवभूमि उद्यमिता योजना के तत्वाधान में चल रहे उद्यमिता विकास कार्यक्रम के आठवे दिन डॉ. आर. के. द्विवेदी, विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग ने “स्पिरुलिना की खेती और उत्तराखंड में कृषि-उद्यमिता की संभावनाएं” विषय पर अपना व्याख्यान दिया । डॉ. द्विवेदी ने बताया कि स्पिरुलिना भविष्य में हमारा भोजन होगा, खासकर तब जब जमीन की कमी होगी। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, स्पिरुलिना भविष्य के लिए सबसे अच्छा भोजन है, और नासा ने इसे सुपर फूड कहा है। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि वर्तमान मानव मांग के अनुसार, हमें भविष्य में वर्तमान जीवनशैली को बनाए रखने के लिए पृथ्वी के लगभग ढाई गुना से अधिक क्षेत्र की आवश्यकता होगी।
स्पिरुलिना इस समस्या का एक संभावित समाधान हो सकता है। उन्होंने स्पिरुलिना में निहित पोषण के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की उन्होने बताया की इसमें प्रोटीन, विटामिन बी, आयरन, कैल्शियम, फाइकोसायनिन, एंटीऑक्सीडेंट, जीएलए, बीटा कैरोटीन आदि पाया जाता है डॉ. द्विवेदी ने बताया कि स्पिरुलिना की खेती के लिए लगभग 28 डिग्री सेल्सियस तापमान, 14 घंटे प्रकाश और 10 घंटे अंधकार आदर्श परिस्थितियाँ हैं। स्पिरुलिना के प्रमुख उत्पाद सूखा पाउडर, नूडल्स और गोलियाँ हैं।
डॉ. द्विवेदी ने बताया कि स्पिरुलिना बाजार का आकार 2021 में लगभग 480.59 मिलियन डॉलर था, जो 2030 तक 1180.43 मिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। डॉ. द्विवेदी ने स्पिरुलिना उत्पादक कुछ प्रमुख कंपनियों का उल्लेख किया, जैसे: पैरी न्यूट्रास्यूटिकल्स, सनत प्रोडक्ट्स लिमिटेड, ब्लूरे न्यूट्रिशनल प्रोडक्ट्स, डाबर लिमिटेड आदि।
नोडल अधिकारी डॉ विक्रम सिंह ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने स्पिरुलिना की खेती को उत्तराखंड में कृषि-उद्यमिता के लिए एक बड़ा अवसर बताया और छात्रों को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर सभी प्रतिभागी और प्राध्यापकगण उपस्थित रहे।


