शनिवार, जुलाई 12, 2025
  • Advertise with us
  • Contact Us
  • Donate
  • Ourteam
  • About Us
  • E-Paper
  • Video
liveskgnews
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तरप्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • धर्म
  • रोजगार न्यूज़
  • रोचक
  • विशेष
  • साक्षात्कार
  • सम्पादकीय
  • चुनाव
  • मनोरंजन
  • ऑटो-गैजेट्स
No Result
View All Result
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तरप्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • धर्म
  • रोजगार न्यूज़
  • रोचक
  • विशेष
  • साक्षात्कार
  • सम्पादकीय
  • चुनाव
  • मनोरंजन
  • ऑटो-गैजेट्स
No Result
View All Result
liveskgnews
12th जुलाई 2025
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तरप्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • धर्म
  • रोजगार न्यूज़
  • रोचक
  • विशेष
  • साक्षात्कार
  • सम्पादकीय
  • चुनाव
  • मनोरंजन
  • ऑटो-गैजेट्स

आयुर्वेद और जड़ी-बूटियों के अद्भुत ज्ञान के रचनाकार थे महर्षि वाल्मीकि – डॉ. अवनीश उपाध्याय

शेयर करें !
posted on : अक्टूबर 17, 2024 10:35 पूर्वाह्न
  • महर्षि वाल्मीकि का आयुर्वेद, योग और वनस्पति विज्ञान : रामायण में स्वास्थ्य के संदर्भ
  • संजीवनी बूटी : महर्षि वाल्मीकि ने बताया जीवन और स्वास्थ्य का प्रतीक
  • स्वास्थ्य के लिए आहार : महर्षि वाल्मीकि ने दिया है आहार के महत्व का विशेष ज्ञान : रुचिता उपाध्याय
हरिद्वार : महर्षि वाल्मीकि की रचना, रामायण, केवल एक साहित्यिक कृति नहीं है, बल्कि यह प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली और वनस्पति विज्ञान का एक अनमोल खजाना भी है। इस महाकाव्य में आयुर्वेद, स्वास्थ्य, और जड़ी-बूटियों के बारे में कई महत्वपूर्ण संदर्भ प्रस्तुत किए गए हैं। ऋषिकुल राजकीय आयुर्वैदिक फार्मेसी हरिद्वार के निर्माण वैद्य डॉ अवनीश उपाध्याय बताते हैं कि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण विभिन्न प्रजातियों के पौधों की वानस्पतिक पहचान और उनके महत्व को स्पष्ट करने में बहुत उपयोगी है। बालकांड में गंगा नदी के दूसरी ओर के क्षेत्र के पौधों और जंगलों का उल्लेख है, किष्किंधा कांड में पम्पा झील क्षेत्र की भूगोल और वानिकी और जैव विविधता पर चर्चा की गई है; और अरण्य कांड में ऋषि अगस्त्य के आश्रम की पत्तियों का वर्णन है; पंचवटी फल देने वाले और औषधीय पौधों के साथ संशोधित पारिस्थितिकी का एक मॉडल था जहाँ अनाज, बाजरा और साली चावल पाए जाते थे। जिन पौधों का उल्लेख किया गया है उनका एक आर्थिक मूल्य है, जो पवित्र और उपयोगितावादी है। वाल्मीकि रामायण में वर्णित वनस्पतियों और पारिस्थितिकी का अध्ययन भारतीय प्राचीन साहित्य और आयुर्वेद की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
रामायण में कई औषधीय पौधों का उल्लेख है, जैसे संजीवनी बूटी, जो चिकित्सा में महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसका वर्णन न केवल उसकी औषधीय विशेषताओं को उजागर करता है, बल्कि आयुर्वेद में उसके उपयोग को भी दर्शाता है। यह जड़ी-बूटी लक्ष्मण की गंभीर स्थिति में हनुमान द्वारा लायी जाती है। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि संजीवनी केवल एक औषधि नहीं, बल्कि जीवन और स्वास्थ्य का प्रतीक है। वाल्मीकि रामायण में तुलसी का भी विशेष उल्लेख है। इसे पवित्रता और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और रोग प्रतिरोधक गुण होते हैं। इसके सेवन से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। नीम का उल्लेख भी वाल्मीकि रामायण में महत्वपूर्ण है। इसे रक्त शुद्ध करने और त्वचा रोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है। महर्षि वाल्मीकि ने अश्वगंधा का भी उल्लेख किया है, जो आज भी आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी मानी जाती है। यह जड़ी-बूटी तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होती है। इसे एडेप्टोजेन के रूप में माना जाता है, जो शरीर को तनाव के प्रति सहनशील बनाती है।
डॉ उपाध्याय आगे बताते हैं कि वाल्मीकि रामायण में पारिस्थितिकी और प्राकृतिक संतुलन का भी उल्लेख किया गया है। यह दर्शाता है कि प्राचीन भारतीय संस्कृति में प्रकृति का सम्मान कितना महत्वपूर्ण था। रामायण में विभिन्न प्रकार के वन्य जीवों और पौधों का उल्लेख किया गया है, जो यह दर्शाता है कि प्राचीन समाजों ने पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व को समझा था। वाल्मीकि ने यह सिखाया कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और उनका संतुलित उपयोग आवश्यक है। इस ज्ञान का आज के समय में भी अत्यधिक महत्व है।
प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान साधिका रुचिता त्रिपाठी उपाध्याय महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर महर्षि वाल्मीकि को याद करते हुए बताती हैं कि रामायण में विभिन्न प्रकार की बीमारियों और उनके उपचार का भी उल्लेख किया गया है। वाल्मीकि ने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के पहलुओं का विश्लेषण किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति कितनी समग्र थी। रामायण में विभिन्न औषधियों का उपयोग, जैसे कि जड़ी-बूटियाँ, रस, और काढ़े, का उल्लेख किया गया है। यह दर्शाता है कि आयुर्वेद में प्राकृतिक उपचारों पर कितनी जोर दिया गया था। महर्षि वाल्मीकि ने अपने ज्ञान को मात्र काव्यात्मक रूप में नहीं प्रस्तुत किया, बल्कि उन्होंने आयुर्वेद और वनस्पति विज्ञान के गहरे ज्ञान को भी साझा किया। रुचिता उपाध्याय बताती हैं कि रामायण में आहार के महत्व का भी उल्लेख किया गया है। स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए संतुलित आहार का सेवन आवश्यक है। यह आयुर्वेद का मूल सिद्धांत है। वाल्मीकि ने मानसिक स्वास्थ्य को भी महत्वपूर्ण माना। रामायण में मानसिक संतुलन के लिए विभिन्न उपायों का उल्लेख किया गया है, जैसे योग और ध्यान। अश्वगंधा और तुलसी जैसे पौधों का उपयोग तनाव को कम करने के लिए किया गया है।
अंत में डॉ. उपाध्याय बताते हैं कि महर्षि वाल्मीकि का योगदान केवल साहित्यिक नहीं है, बल्कि उनके द्वारा प्रस्तुत आयुर्वेद, वनस्पति विज्ञान और स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं ने भारतीय चिकित्सा पद्धति को समृद्ध किया है। उनके ज्ञान ने हमें यह सिखाया कि प्रकृति का सम्मान करना आवश्यक है और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग कितना महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, वाल्मीकि रामायण में संदर्भित ज्ञान न केवल प्राचीन है, बल्कि आज के समय में भी अत्यधिक प्रासंगिक है। हमें इस ज्ञान को आत्मसात करना चाहिए और इसे अपनी जीवनशैली में अपनाना चाहिए।

हाल के पोस्ट

  • राज्यसभा सांसद डॉ. नरेश बंसल ने ली दूरसंचार सलाहकार समिति की बैठक, दिए निर्देश
  • मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की समीक्षा बैठक आयोजित
  • हरिद्वार : “पोषण ट्रेकर” संचालन को लेकर सीडीओ आकांक्षा कोण्डे ने की समीक्षा बैठक, 40 आंगनबाड़ी केंद्र बंद पाए जाने पर कर्मियों की सेवा समाप्ति के निर्देश
  • कांवड़ यात्रा : डीएम मयूर दीक्षित ने वैरागी कैम्प, सीसीआर व हरकी पौड़ी क्षेत्र का किया निरीक्षण, दिए अहम निर्देश
  • डीजीपी दीपम सेठ ने कांवड़ मेले को सकुशल संपन्न कराने के लिए मां गंगा का लिया आशीर्वाद
  • सीडीओ आकांक्षा कोण्डे की अध्यक्षता में CSR सहयोग पोर्टल के प्रभावी संचालन को लेकर महत्वपूर्ण बैठक आयोजित
  • पौड़ी गढ़वाल : जिले में 10 से 14 जुलाई तक भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट, डीएम स्वाति एस. भदौरिया ने अधिकारियों को “अलर्ट मोड” में रहने के दिए निर्देश
  • डीएम स्वाति एस. भदौरिया ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले सभी विद्यालयों व आंगनबाड़ी केन्द्रों में 12 से 23 जुलाई तक किया अवकाश घोषित
  • विधायक रेनू बिष्ट और स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि जी महाराज की उपस्थिति में शिवभक्तों का पुष्पवर्षा कर किया गया स्वागत, बाघखाला में आस्था और सौहार्द का दिखा अनूठा संगम
  • उत्तराखंड में बिना पंजीकरण प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों पर लगेगी लगाम, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार ने जारी किए सख्त आदेश
liveskgnews

सेमन्या कण्वघाटी हिन्दी पाक्षिक समाचार पत्र – www.liveskgnews.com

Follow Us

  • Advertise with us
  • Contact Us
  • Donate
  • Ourteam
  • About Us
  • E-Paper
  • Video

© 2017 Maintained By liveskgnews.

No Result
View All Result
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तरप्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • धर्म
  • रोजगार न्यूज़
  • रोचक
  • विशेष
  • साक्षात्कार
  • सम्पादकीय
  • चुनाव
  • मनोरंजन
  • ऑटो-गैजेट्स

© 2017 Maintained By liveskgnews.