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वैरिकोज वेन्स : एक बहुआयामी चिकित्सा दृष्टिकोण

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posted on : दिसम्बर 31, 2024 10:23 अपराह्न
हरिद्वार : वैरिकोज वेन्स, जिन्हें “वेरिकोसिटी” के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है, जिसमें त्वचा के नीचे नसें सूजकर उभरी हुई और घुमावदार हो जाती हैं। ये नसें आमतौर पर नीले या बैंगनी रंग की होती हैं और ज्यादातर पैरों में पाई जाती हैं। यह स्थिति केवल शारीरिक असुविधा तक सीमित नहीं है, बल्कि गंभीर मामलों में स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकती है।
आधुनिक जीवनशैली और अनियमित दिनचर्या के चलते यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। डॉ. अवनीश उपाध्याय, वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ, ऋषिकुल परिसर, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय एवं डॉ रुचिता उपाध्याय, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा मोटिवेटर, अश्वमेध हेल्थ एवं वैलनेस संस्थान, हरिद्वार द्वारा प्रस्तुत यह लेख वैरिकोज वेन्स के कारण, लक्षण, और चिकित्सा के आयुर्वेदिक, आधुनिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत करता है।
आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में वैरिकोज वेन्स का मूल कारण नसों में मौजूद वाल्व का सही से काम न करना है। यह वाल्व रक्त को वापस दिल की ओर प्रवाहित करने में सहायता करते हैं। जब ये वाल्व कमजोर हो जाते हैं या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है, और यह नसों में इकट्ठा होकर उन्हें सूजनयुक्त बना देता है। इस स्थिति के पीछे कई कारण हो सकते हैं। लंबे समय तक खड़े रहना, मोटापा, गर्भावस्था, आनुवांशिक प्रवृत्ति, और वृद्धावस्था प्रमुख कारणों में से हैं।
लक्षणों की बात करें तो पैरों में भारीपन, थकावट, दर्द, और जलन की अनुभूति मुख्य संकेत हैं। कई बार त्वचा खुजली और सूजन के साथ लाल या गहरे रंग की हो जाती है। कुछ गंभीर मामलों में पैर के निचले हिस्से में अल्सर या जख्म बन सकते हैं, जो ठीक होने में समय लेते हैं। आधुनिक चिकित्सा में वैरिकोज वेन्स का उपचार समस्या की गंभीरता के आधार पर किया जाता है। कंप्रेशन स्टॉकिंग्स जैसी सरल विधियों से लेकर स्क्लेरोथेरेपी, लेजर थेरपी, रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन (RFA) एवं सर्जिकल प्रक्रियाओं तक, कई विकल्प उपलब्ध हैं।

आयुर्वेद में वैरिकोज वेन्स का विश्लेषण

आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में वैरिकोज वेन्स को “सिरा ग्रंथि” या “सिरा व्रण” के अंतर्गत रखा गया है। आयुर्वेद के अनुसार, यह वात दोष के असंतुलन के कारण होता है। वात दोष नसों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और सिराओं में रक्त प्रवाह को बाधित करता है। आयुर्वेद के अनुसार, जब रक्त का संचरण ठीक से नहीं होता और जमे हुए रक्त के कारण सिराओं में सूजन आ जाती है, तो इसे सिरा ग्रंथि के रूप में जाना जाता है। इससे त्वचा पर नीले-हरे रंग की नसें उभरती हैं। यह स्थिति दर्द और असुविधा का कारण बनती है।

आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद में वैरिकोज वेन्स का उपचार त्रिदोष संतुलन और रक्त शुद्धि पर आधारित है। वात, पित्त, और कफ के सामंजस्य के साथ शरीर में रक्त प्रवाह को संतुलित किया जाता है। औषधीय उपचार में कैशोर गुग्गुलु, रस माणिक्य, शिलाजीत सत्, प्रवाल पंचामृत, मुक्ता पिष्टी, कहरुवा पिष्टी, कांचनार गुग्गुलु, आरोज्ञानिवर्धिनी वटी, वृद्धि वाधिका वटी, और त्रिफला चूर्ण जैसी आयुर्वेदिक औषधियां उपयोगी हैं। ये दवाएं नसों की सूजन को कम करती हैं, रक्त प्रवाह को सुधारती हैं और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती हैं।

पंचकर्म की भूमिका

पंचकर्म वैरिकोज वेन्स के उपचार में विशेष रूप से प्रभावी है। रक्तमोक्षण, जो पंचकर्म का एक भाग है, जमे हुए रक्त को निकालने में सहायक होता है। इसके अलावा, अभ्यंग (औषधीय तेल से मालिश) और लेपन (हर्बल पेस्ट का उपयोग) भी इस समस्या को दूर करने में मदद करते हैं।

प्राकृतिक चिकित्सा और योग का महत्व

वैरिकोज वेन्स के उपचार में प्राकृतिक चिकित्सा और योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा में ठंडे पानी से सिंकाई, पैरों को ऊंचाई पर रखकर आराम करना, और नियमित रूप से हल्की एक्सरसाइज करना प्रमुख उपाय हैं। योगासन, जैसे ताड़ासन, वृक्षासन, और पादहस्तासन, नसों में खिंचाव पैदा करते हैं और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाते हैं। शवासन और सुप्त वज्रासन तनाव को कम करते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं।

घरेलू उपाय और जीवनशैली में सुधार

घरेलू उपचार के अंतर्गत, सेब के सिरके का उपयोग, एप्सम सॉल्ट बाथ, अदरक और हल्दी का सेवन, और पर्याप्त पानी पीना शामिल हैं। जीवनशैली में सुधार, जैसे लंबी अवधि तक खड़े रहने से बचना, नियमित व्यायाम करना, और संतुलित आहार लेना, वैरिकोज वेन्स को प्रबंधित करने में सहायक होते हैं।
वैरिकोज वेन्स एक सामान्य समस्या है, लेकिन इसे समय पर पहचाना और प्रबंधित किया जा सकता है। आधुनिक चिकित्सा, आयुर्वेद, योग, और प्राकृतिक चिकित्सा के सामूहिक दृष्टिकोण से इसे प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। आयुर्वेद में सिरा व्रण का वर्णन, पंचकर्म की विधियां, और योग के लाभ इस स्थिति के लिए दीर्घकालिक समाधान प्रदान करते हैं। वहीं, आधुनिक चिकित्सा की सटीक तकनीकें तीव्र और प्रभावी उपचार सुनिश्चित करती हैं।
यह लेख वैरिकोज वेन्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक प्रयास है। यदि समय पर इस समस्या का समाधान न किया जाए, तो यह जटिलताओं को जन्म दे सकती है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक उपायों को अपनाएं, संतुलित आहार लें और विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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सेमन्या कण्वघाटी हिन्दी पाक्षिक समाचार पत्र – www.liveskgnews.com

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