देहरादून : कार्य की क्षमता बढाने के लिए हमारे लिए पाजिटिव थाट एनर्जी बूस्टर का कार्य करता है। जब मन और बुद्धि एक साथ कार्य करते है तब हम अपने कार्य पर अधिक अच्छी तरह फोकस कर पाते है। हमें अपने लक्ष्य का विजन पता होना चाहिए और साथ में इसके वैल्यू के बारे में भी पता होना चाहिए कि हम कोई कार्य क्यो कर रहे है, इस कार्य से हमें क्या फायदा होगा।
जब हमारा विजन, वैल्यू क्लियर होगा तब हमारा उस कार्य पर अधिक फोकस होगा। इससे हमारी कार्य के प्रति एकाग्रता भी अच्छी होगी। इसका लाभदायक परिणाम यह होगा कि हम जिस क्षेत्र में कार्य करना चाहते है उस क्षेत्र में कार्य का अधिक विस्तार और गहराई दे सकते है। यदि हमारा किसी कार्य के प्रति इन्ट्रेस्ट क्लियर होगा तब टेक्निक भी स्वतः आ जायेगी। हमें अपने पर्सनालिटी के अनुरूप आवश्यकता पड़ने पर टेक्निक विकसित करके एडाप्ट भी करनी पडता है।
कार्य को अधिक प्रभावी बनने के लिए ब्रेन की थकान को भी मिटना होता है। इसके लिए प्राणायाम, मेडिटेशन सहायक है। इसके लिए हमें कुछ देर अपने को फ्री कर देना चाहिए फिर अपने थाट को तटस्थ भाव, साक्षी भाव से देखना चाहिए। धीरे धीरे एक अभ्यास के बाद इस प्रक्रिया से मिलने वाले शुद्ध संकल्प हमें समस्यों का समाधान देता है। जिससे हम समस्या से बाहर आकर अपने को टेन्शन फ्री कर देते है। धीरे धीरे यह प्रक्रिया नेचुरल रूप में कार्य करने लगती है जिसे इन्टयूशन कहते है। हमारा इन्टयूशन तभी कार्य करेगा जब बे्रन फ्री होगा। इसके बाद हमारा इन्टयूशन हमें नई नई आइडिया देता है।
इन्टयूशन द्वारा प्राप्त, नई आइडिया नया प्रोडक्ट और नई क्रियेटिविटी के रूप में हो सकता है। आवश्यकता है इसे पिकअप करके अप्लाई करने की जरूरत होती है। इससे हमारा समय, उर्जा, मेहनत बच जाती है। हम गलतीयों को पहचान कर एक्सेप्ट करें और उसे चेंज करें। कार्य के दौरान कार्य क्षमता और कार्य का इफेक्टिवनेस बढना होता है। हमें सही सोच को रख कर सही प्लानिंग करनी होती है अथवा सही प्लानिंग करते हुए गलत सोच को सही सोच में बदल देना होता है। जब हम अपनी कार्य क्षमता का सही तरीके से यूज करते है तब कम समय में अधिक रिजल्ट दे सकते है अथवा कम खर्च में बेहतर प्रोडक्ट दे सकते है।
हमें पता होना चाहिए कि मुझे क्या करना है और मुझे क्यो करना चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि हमारे जीवन का मकसद क्या है। हमारी गुण विशेषता क्या है। हमें कौन से कार्य करने में खुशी मिलेगी। हिम्मत और जिद जरूरी है लेकिन गोल में बाधा बनने के लिए नही बल्कि गोल को पूरा करने के लिए हिम्मत और जिद करना जरूरी है।
अपने विजन, गोल सेटिंग में इन्फारमेशन, नालेज, बिलपाॅवर और डिजायर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अन्दर का विजडम बाहर के स्किल में दिखता है। इसके लिए हम अपने चेतन मन के साथ अवचेतन मन का भी सहारा ले सकते है। अवचेतन मन का सहारा लेने के बाद धीर धीरे असम्भव कार्य भी संभव करके दिखाने लगते है। एक समय के बाद यह हमारी हैबिट बन जाती है। धीरे धीरे ब्रेन इस पिक्चर को चेतन मन से उठा कर अवचेतन मन में डाल देता है। इस कारण हमें अवचेतन मन की शक्ति प्राप्त हो जाती है।
विजन को लेकर उसे छोटे छोटे गोल में सेटिंग करनी होती है। लांग टर्म का गोल विजन कहलता है। लाॅग टर्म गोल को पूरा करने के लिए छोटे छोटे शाॅर्ट टर्म के गोल बनाने होते है। छोटे छोट गोल को पूरा करके हम उमंग उत्साह में आ जाते है फिर अगले गोल की तरफ बढ जाते है। धीरे धीरे हम फाईनल गोल अर्थात अपने विजन को प्रैक्टिकल रूप में सिद्ध करके दिखा देते है। क्योकि बार बार फाईनल गोल देखने से हमारे अन्दर फ्रस्टेशन पैदा करता है। इसलिए फाईनल गोल देखते हुए छोटे गोल को पूरा करने पर फोकस रखना चाहिए।
लेखक : मनोज श्रीवास्तव, सहायक निदेशक सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग
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