कोटद्वार । गढ़वाल वर्ष 1971 के युद्ध में भारत की पाकिस्तान पर गौरवशाली जीत की 50 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष पर निकाली जा रही है विजय मशाल का स्वागत पुष्प अर्पित कर वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत द्वारा किया गया। हरक सिंह रावत ने कहा कि आज हम स्वर्णिम दिवस बना रहे हैं। गढ़वाल राइफल का देश के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है आज हम सैनिकों के गौरवशाली बलिदान को याद कर उनके परिवार का सम्मान कर रहे हैं।
बताते चलें कि 1971 का भारत-पाक युद्ध भारत एवं पाकिस्तान के बीच एक सैन्य संघर्ष था। इसका आरम्भ तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम के चलते 3 दिसंबर, 1971 से दिनांक 16 दिसम्बर, 1971 को हुआ था एवं ढाका समर्पण के साथ समापन हुआ था। लगभग 90 हजार से 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय सेना द्वारा युद्ध बन्दी बनाया गया था। 1971 भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया और बांग्लादेश के रूप में एक नया देश बना। 16 दिसंबर को ही पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर किया था।
1971 का भारत-पाक युद्ध भारत एवं पाकिस्तान के बीच एक सैन्य संघर्ष था।देश के लिए कुर्बानी देने में उत्तराखंड के जांबाज हमेशा आगे रहे हैं। आजादी से पहले से भी उत्तराखंड के वीर सुपूत देश की रक्षा के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़े रहे हैं। 1971 के भारत-पाक युद्ध में उत्तराखंड के 255 जांबाजों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए कुर्बानी दी थी। जबकि देवभूमि के 78 सैनिक इस युद्ध में घायल हुए थे।मातृभूमि के लिए शहादत देने वाले राज्य के 74 जवानों को वीरता पदक भी मिले थे। वर्ष 1971 में हुए युद्ध में दुश्मन सेना को घुटनों पर लाने में उत्तराखंड के वीर जवान ही सबसे आगे रहे।
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