लखनऊ/ उत्तर प्रदेश(रघुनाथ प्रसाद शास्त्री): कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन का बुरा असर तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी, हरी सब्जियों पर पड़ा है। लॉक डाउन के कारण तरबूज, खरबूजा आदि को गैर प्रांत न भेजे जाने से तरबूज,खरबूजा,खीर,ककणी का कोई पुरसाहाल नही है। वही किसानों को तरबूज की खेती में लगी लागत मूल्य भी नसीब नही हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में तरबूज उत्पादकों को भारी नुकसान होने के कारण उनके चेहरों पर मायूसी छाई है।
बताते चलें कि इस थाना क्षेत्र के चिरंजूपूर, परशरामपुर,मन्ना नगरी,दबौली,सहरिया सलेमपुर,कबूलपुर,सहित क्षेत्र के कई गांवों में बड़ी मात्रा में तरबूत,खरबूजा खीरा,ककड़ी, की खेती की जाती है। हर बार की तरह ही इस बार भी किसानों ने भारी पैमाने पर खेतों में तरबूज,खरबूजा बोया था। उसके बोते ही कोरोना वायरस का प्रकोप फैल जाने से लॉक डाउन लागू हो गया।
किसान-रामपाल पुत्र शिवनारायन,राजेन्द्र,आशाराम, निवाशी ग्राम चिरंजु व ग्राम मन्नानगर निवासी सुरेश, प्रकाश, गुंडे, जगदीश ग्राम सहरिया सलेमपुर निवाशी-जगदीश, छोटेलाल ठाकुर, पूर्व अध्यापक सरजू, आदि गांवों के किसानों से संवाददाता रघुनाथ प्रसाद शास्त्री ने बात की तो किसानों ने बताया कि क्षेत्र में हजारो बीघा तरबूज खरबूजे की खेती की जाती है जिसमे तरबूज, खरबूजा अन्य प्रांतों को तो दूर दूसरे जनपदों में भी नही भेजा जा पा रहा है। यहां तक कि बांगरमऊ, सब्जी मंडी में तरबूज, खरबूजे की नो इंट्री लगा दी गई है। ऐसी स्थिति में तरबूज गांवों और सड़कों पर औने पौने दामों में बिक रहा है।
जिसपर किसानों ने बताया कि तरबूज की प्रति बीघा बुवाई से फल बिक्री तक लगभग 30 हजार रुपये बीघा व खरबूजे की 20 हजार रुपये बीघा आई है जिसमे कीटनाशक दवा का छिड़काव डाँक्टर की सलाह के अनुशार करवाया जाता है कम पढ़ेलिखे होने की वजह से पूरा हिसाब लिख कर नही रख पाते है लेकिन इस बार तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी की हालत बहुत खराब रही है. जिसके कारण हम उत्पादकों को तरबूज का वाज़िब मूल्य न मिलने से उनमें भारी मायूसी छाई है ।।
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