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कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया “अन्तर्राष्ट्रीय मशरूम महोत्सव: खुम्ब हर द्वार” का शुभारम्भ

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posted on : अक्टूबर 18, 2021 8:42 अपराह्न
हरिद्वार । कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल ने सोमवार को आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के ऑडिटोरियम में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय “अन्तर्राष्ट्रीय मशरूम महोत्सव: खुम्ब हर द्वार” का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने “अन्तर्राष्ट्रीय मशरूम महोत्सव: खुम्ब हर द्वार” के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये कहा कि आज उत्तराखण्ड में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मशरूम महोत्सव का आयोजन हो रहा है। इस कार्यक्रम में न्यूजीलैण्ड, जापान, मलेशिया, थाईलैण्ड के मशरूम विशेषज्ञ वर्चुअल रूप में जुडे़गे। उन्होंने कहा कि जमीन आज निरन्तर कम होती जा रही है, इसलिए कम जमीन पर अधिक उत्पादन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पहाड़ों से निरन्तर पलायन हो रहा है, हमें स्वरोजगार की सम्भावनाओं को बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि मशरूम के क्षेत्र का विस्तार करके पलायन को रोका जा सकता है, जिससे हमारी सीमायें भी सुरक्षित रहेंगी तथा लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि किसान की आय को दोगुना करने की जो भी सम्भावनाएं हैं, उन्हें हमें धरातल पर उतारना होगा। उन्होंने कहा कि मशरूम के लिए पर्वतीय क्षेत्र की जलवायु बहुत अच्छी है। इसलिए पर्वतीय क्षेत्रों में मशरूम के उत्पादन को बढ़ाने के लिए हमें हर सम्भव प्रयास करने होंगे।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि हमें मशरूम उत्पादन के साथ-साथ उसके पैकिंग पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को शोषण से बचाने के लिए हमें बिचौलियों को बाहर करना होगा। उन्होंने कहा कि हमने मंडी परिषद में कारपस फंड बनाया है। अब हम मंडुवा सीधे किसानों से खरीद रहे हैं, जिससे बिचौलिये बाहर हो गये हैं तथा इसका पूरा लाभ किसानों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हमने हरिद्वार जनपद को मशरूम जनपद के रूप में घोषित किया है। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने युवाओं का आह्वान किया कि वे रोजगार मांगने के बजाए, रोजगार देने वाले बनें। उन्होंने कहा कि अगर आप अपना काम करना शुरू कर देंगे, तो नौकरी से भी अच्छी आय प्राप्त हो सकती है। उन्होंने कहा कि आज कलक्टिव फार्मिंग की आवश्यकता है तथा कलस्टर अवधारणा को भी हमें मजबूत करना है।
जैविक खेती का जिक्र करते हुये कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि जैविक खेती के रूप में उत्तराखण्ड पूरे देश में अग्रणी राज्य है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में जैविक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि मशरूम हमारी इम्युनिटी को बढ़ाने में काफी मदद करता है। उन्होंने कहा कि मशरूम के क्षेत्र में अपार सम्भावनाएं हैं। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखण्ड को मशरूम उत्पादन में पहले नम्बर पर लाना है। इसमें सरकार का पूरा सहयोग रहेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया का कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं है, जो इंसान की हिम्मत से बड़ा हो। उन्होंने कहा कि हम उत्तराखण्ड के मशरूम को दुनिया भर में स्थापित करेंगे, जिसमें मशरूम ग्रोव तथा उद्यान विभाग की महत्वपूर्णं भूमिका होगी।
सचिव कृषि एवं कृषक कल्याण डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि उद्यान विभाग ने बहुत ही कम समय में पहले एप्पल महोत्सव का आयोजन किया एवं अब मशरूम महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश की कृषि क्षेत्र की यात्रा को जब हम देखते हैं, तो हमारे लिए पहले फूड सिक्योरिटी एक चुनौती थी। पहले हमारा ध्यान गेंहू एवं चावल उत्पादन तक ही सीमित था। आज देश में कहीं भी भुखमरी नहीं है, आज फूड सिक्योरिटी नहीं बल्कि फूड न्यूट्रीशियन के बारे में सोचने की आवश्यकता है। मशरूम इसमें से एक है। कुछ मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। उन्होंने कहा कि मशरूम की रेंज बहुत बड़ी है। सचिव कृषि एवं कृषक कल्याण डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि मशरूम नेचर की खूबसूरत आर्ट है। उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन उत्तराखण्ड में काफी विकसित हो गया है। मशरूम महोत्सव के सत्रों में स्थानीय साइंस के बारे में भी विचार विमर्श किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में होम स्टे योजना को भी आगे बढ़ाया जा रहा है। उद्यान एवं पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखण्ड में काफी अच्छी सम्भावनाएं हैं। मत्स्य पालन में उन्होंने ट्राउट मछली का जिक्र करते हुए कहा कि मत्स्य पालन के प्रारम्भ में ट्राउट कल्टीवेशन में केवल 15 मीट्रिक टन उत्पादन उत्तराखण्ड में किया जा रहा था लेकिन आज 600 मीट्रिक टन उत्पादन किया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 2000 मीट्रिक टन उत्पादन करने का लक्ष्य जल्द ही हम प्राप्त कर लेंगे।
इस अवसर पर अपर सचिव कृषि एवं कृषक कल्याण डॉ. राम विलास यादव ने मशरूम उत्पादन में देहरादून की दिव्या रावत का उल्लेख करते हुए कहा कि वह इस क्षेत्र में काफी अच्छा कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार, पलायन को रोकने, कृषक की आय को दोगुना करने आदि में मशरूम उत्पादन का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग हरमिन्दर बवेजा ने “मशरूम का क्या भविष्य है” विषय पर बोलते हुए कहा कि विश्व में मशरूम की लगभग 65 प्रजातियां हैं, लेकिन अभी केवल 07 प्रजातियों पर ही कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि गुच्छी मशरूम स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। उन्होंने कहा कि मशरूम महोत्सव में हम मार्केटिंग की समस्या पर भी चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में पलायान को रोकने में मशरूम की विशेष भूमिका हो सकती है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि मशरूम की सप्लाई चेन विकसित की जाए। मशरूम उत्पादन को आगे बढ़ाने में प्रोसेसिंग का बहुत बड़ा योगदान रहता है। उन्हांेने कहा कि आज हम आर्गेनिक स्टेट की ओर बढ़ रहे हैं। मशरूम महोत्सव में उत्पादों को कैसे कैमिकल मुक्त किया जा सकता है, पूरे वर्ष भर मशरूम उत्पादन कैसे किया जा सकता है, कम आय वाले व्यक्ति कैसे मशरूम उत्पादन कर सकते हैं, इस पर भी मशरूम महोत्सव में चर्चा की जाएगी। निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग हरमिन्दर बवेजा ने पौंटा में स्थापित मशरूम यूनिट का जिक्र करते हुए कहा कि वहां उत्पादित मशरूम विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है।
मशरूम ग्रोवर एसोसिएशन के मनमोहन भारद्वाज ने बताया कि मशरूम उत्पादन का कार्य बहुत कम पूंजी एवं छोटे स्तर पर भी शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जनपद हरिद्वार में “वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट” के अंतर्गत मशरूम उत्पादन की अपार सम्भावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि मशरूम एक ऐसा प्रोडक्ट है जो आय का काफी अच्छा स्रोत है। उन्होंने बताया कि बुग्गावाला में हमारा मशरूम प्लांट काफी अच्छा चल रहा है। हमने 2015 में उत्तर भारत में सबसे बड़ा पॉली हाउस स्थापित किया था। हमारे मशरूम की खपत डोमिनोज आदि कम्पनियों में काफी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि हमने ग्रोवर एसोसिएशन बनाया है, जिसके तहत हम उत्तराखण्ड के प्रत्येक जनपद से 10-12 लोगों को बुग्गावाला मशरूम प्लांट में प्रशिक्षण देंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के लिए मशरूम उत्पादन से बढ़िया और कोई उत्पाद नहीं है।
ग्रोवर एसोसिएशन के हिरेशा वर्मा ने कहा कि मुझे पहले मशरूम के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी। मैंने मात्र 200 रूपये में मशरूम उत्पादन शुरू किया था, आज हमारा प्लांट 2000 टन मशरूम उत्पादन कर रहा है। मैंने शुरूआत बटन मशरूम से की थी। आज हम औषधि मशरूम का भी उल्पादन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सूरज के बाद विटामिन डी का सर्वोत्तम स्रोत मशरूम ही है।
ब्रांड अम्बेसडर मशरूम, दिव्या रावत ने इस अवसर पर कहा कि हम इस क्षेत्र में पिछले आठ वर्षों से कार्य कर रहे हैं। यह हमारे रोजगार का साधन है। हम उत्तराखण्ड के अतिरिक्त मेघालय आदि अन्य राज्यों में भी मशरूम के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारी कम्पनी सौम्या फूड कम्पनी के नाम से चल रही है, जिससे 15000 लोग जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि मशरूम से किसानों को एक नई पहचान मिली है। उत्तराखण्ड का वातावरण हर प्रकार से मशरूम उत्पादन के अनुकूल है। उन्होंने कहा कि हम देहरादून, चंडीगढ, सिक्किम आदि में मशरूम रेस्टोरेन्ट चलाने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मशरूम के बहुत सारे फायदे हैं। यह एक इंडौर फसल होने के कारण जंगली जानवरों से इसे नुकसान का खतरा नहीं है। तापमान के अनुसार मशरूम उत्पादन किया जा सकता है। इसकी खेती पूरे वर्षभर की जा सकती है।
मशरूम महोत्सव में मदन वार्ष्णेय फ्लेक्स फूड लिमि. ने कहा कि हम 1992 से मशरूम उत्पादन का कार्य कर रहे हैं। आज फूड सिक्योरिटी के साथ-साथ न्यूट्रीशियन फूड की आवश्यकता है और मशरूम इसकी पूर्ति कर सकता है। इसमें भरपूर पोषण होता है। इस अवसर पर कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने ममता रावत मशरूम ग्रोवर, विशेश्वर एग्रो प्रोडक्ट, वेल्किया फूड नेचर वेक्टोवा, कृषिवन प्रा.लि. देहरादून, हॉन एग्रोकेयर, एलीनोट आर्गेनिक देहरादून, नेचर ग्रीन्स, किर्लोस्कर, फाल्कन गार्डन टूल्स आदि के स्टालों का भी बहुत बारीकी से निरीक्षण किया।
ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय परिसर पहुंचने पर कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का पुष्पगुच्छ भेंटकर भव्य स्वागत व अभिनन्दन किया गया। इस मौके पर निदेशक बागवानी मिशन संजय श्रीवास्तव, अपर निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंकरण डॉ. जगदीश चन्द्र केम, संयुक्त निदेशक डॉक्टर रतन कुमार, संयुक्त निदेशक डॉक्टर हरीश चंद्र तिवारी, मुख्य उद्यान अधिकारी हरिद्वार नरेन्द्र यादव सहित उद्यान विभाग के अधिकारीगण, मशरूम ग्रोवर आदि उपस्थित थे।

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