चमोली । शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती ने बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि में परिर्वतन को अनुचित बताया है। उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पूर्व में निर्धारित तिथि पर कपाट न खुलने की स्थिति को लोक अमंगलकारी बताया है।
शंकाराचार्य का कहना है कि मंदिर के लिये आदिगुरु शंकराचार्य ओर से स्थापित परम्पराओं के अनुरुप धाम में नारायण प्रतिमा को स्पर्श करने का आधिकर ब्रहमचारी ब्राह्मण को है। जिसके चलते धाम में गृहस्थ डिमरी ब्राह्मण स्वयं पूजा न कर पूजा सामग्री रावल को सौंपते हैं। वहीं धाम के कपाट खुलने की तिथि का निर्धारण पंचांग गणना और ईश्वरीय प्रेरणा से किया जाता है। ऐसे में स्वयं की इच्छा से तिथि परिवर्तन करना अशुभ व लोक अमंगलकारी है। साथ ही उन्होंने मामले में सतपाल महाराज की भूमिका का भी विरोध किया है।
साथ ही उन्होंने कहा कि यदि सरकार नरेश की परम्परा का निवर्हन कर तिथि निर्धारण को मानती है, तो ऐसे में पौराणिक परम्पराओं पर मनमानी थोपना सही नहीं है। उन्होंने निर्णय पर गढवाल नरेश की पत्नी के भाजपा सांसद होने का प्रभाव पड़ने की बात भी कही है। कहा कि शास्त्रों के अनुसार निर्धारित तिथि को धाम में शीतकाल में पूजा का जिम्मा सम्भाले देवता अपने लोक को प्रस्थान कर जाएंगे। ऐसे में 15 दिनों तक धाम में मानव की ओर से की जाने वाली लोकपूजा का प्रारम्भ न होने अशुभ है।
Discussion about this post