PCS NIDHI YADAV : परिवार से मिली है ईमानदारी से कार्य करने की प्रेरणा
उत्तराखण्ड : PCS NIDHI YADAV कहते है कि संस्कार परिवार से मिलते है यदि यह कथन हमारे पूर्वजो ने दिया है तो कुछ सोच समझ कर ही दिया क्योकि यह कथन आज भी उतना ही सत्य है जितना कल था यह कथन डायरेक्टर मंडी के पद पर आसीन पीसीएस निधि यादव PCS NIDHI YADAV पर सटीक बैठती है. जहाँ पूरा देश वर्तमान समय में कोरोना महामारी से लद रहा है तो वहीँ उत्तराखण्ड में खाद्य आपूर्ति की कोई कमी न हो इसके लिये निधि कार्य कररही है. वर्तमान में फ्रूट सप्लाई हो या किसानो को राहत दिलाने का काम हो उनको निधि यादव बखूबी निभा रही है. कोरोना संकट में किसानो की उपज बिकवाना हो या ट्रांसपोर्ट में उन्हें राहत दिलाना हो. कोरोना संकट में यह निधि यदाव्का जज्बा ही है जो मंडी के लगभग 400 कार्मिक कोरोना संकट में अपनी सेवा दे रहे है जो किसानो और आम लोगो को इस संकट की घड़ी में मनोबल प्रदान कर रहे है. कोरोना को मात देने के लिये मंडी में आने वाले लोगो के लिये सैनेटाईज टनल बनवाई है.
PCS NIDHI YADAV वर्ष 2002 बैच की पीसीएस अधिकारी है और अपनी ईमानदारी व अनुशासन के चलते आज जनता में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है 1980 में बीएचईएल के इंजिनियर श्री रामपाल यादव व अनीता यादव के घर में एक बच्ची ने जन्म लिया जिसके बाद उसका बच्ची का नाम निधि रखा गया बचपन से ही तेज तर्रार रही निधि ने जब स्कूल गयी तो वहां भी उसने अपनी प्रतिभा से लोहा मनवाया प्रारम्भिक शिक्षा बीएचईएल के बाल भारती विधा मंदिर से की कक्षा में जब निधि पहुंची तो उनके द्वारा फिजिक्स ओलम्पियाड जीता गया अपने पिता की लाडली जब अपने रिश्तेदारों को देखती थी कि वह प्रशासनिक सेवा में अपनी सेवा दे रहे है तो उससे व अपने पिता जी की प्रेरणा से निधि ने प्रशासनिक सेवा में जाने का मन बनाया बाल भारती विधा मंदिर से कक्षा 12 की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद चिन्मय डिग्री कॉलेज हरिद्वार से बीएससी (वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान) किया और उसके बाद एमएससी(माइक्रोबायोलोजी) किया और पढाई में तेज तर्रार होने के कारण व कुछ अलग करने की चाह के चलते निधि ने कैंसर जैसी भयानक बिमारी पर शोध करने की सोची पर प्रशासनिक सेवा में सेलेक्ट होने के बाद निधि ने पीएचडी नही की.
PCS NIDHI YADAV ने वर्ष 2005 में जनपद चमोली में डिप्टी कलेक्टर पर जोइनिंग की और इसके बाद वर्ष 2006 में निधि को उपजिलाधिकारी जोशीमठ बनाया गया जहाँ पर इनके द्वारा अवैध खनन व अतिक्रमण के खिलाफ ऐसा अभियान चलाया जिससे वहां के खनन माफिया भाग खड़ा हुआ और खनन का काम लगभग बंद ही हो गया था वर्ष 2008 में निधि को मंडी परिषद रुद्रपुर का डीडीए बनाया गया जिसके बाद निधि ने अपने तेज तर्रार दिमाग से मंडी परिषद् में ऐसे कार्य किये जो अपने आप में सराहनीय है वर्ष 2008 में जब निधि को मंडी परिषद रुद्रपुर का डीडीए बनाया गया तब मंडी परिषद 26 करोड़ के घाटे में चल रही थी तथा वहां पर कार्यरत कर्मचारी चौथे वेतनमान का वेतन ले रहे थे लेकिन PCS NIDHI YADAV ने अपने कार्य करने की क्षमता व कार्यशैली से 26 करोड़ के घाटे में चल रही मंडी परिषद रुद्रपुर को 30 करोड़ के फायदे में तो पहुँचाया ही और वहां पर कार्य कर रहे कर्मचारीयो के लिए छठा वेतनमान भी लागू किया और वर्तमान में भी निधि यादव डायरेक्टर मंडी के पद पर अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रही है. अब आप सोच ही सकते है कि डीडीए रहते हुए उन्होंने इतने कार्य किये तो अब मंडी परिषद के कार्यो में चार चाँद लग जायेगे.
इसके बाद PCS NIDHI YADAV को एडीएम उधमसिंह नगर बनाया गया जहाँ पर इन्होने अपनी कार्यक्षमता से अवैध रूप से कब्ज़ा की गयी जमीन को सरकारी खाते में दाखिल कराया जनपद उधमसिंहनगर के वर्ष 2012- 2013 में सबसे ज्यादा रेवन्यू वादो का निस्तारण किया गया और लगभग 1000 बीघा जमीन को कब्जे में लेकर सरकारी खाते में दर्ज करायी वर्ष 2013 में निधि यादव को डीडीए मंडी परिषद रुद्रपुर का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया और मार्च 2013 में निधि को पंतनगर यूनिवर्सिटी का मुख्य कार्मिक अधिकारी भी बनाया गया जहाँ पर इनके द्वारा कई महत्वपूर्ण कार्य किये गये और अपने दायित्वों को निधि के द्वारा बखूबी से निभाया गया फरवरी 2014 में निधि यादव को हरिद्वार विकास प्राधिकरण में सचिव पद पर नियुक्त किया गया जो वर्तमान में हरिद्वार रूडकी विकास प्राधिकरण के नाम से जाना जाता है. इसके बाद निधि यादव ने उत्तराखंड परिवहन निगम में महाप्रबंधक प्रशासन का पद भार सम्भाला जहाँ पर कई बड़े कार्य परिवहन विभाग के कार्मिको के हित में किये.
कहते है समाज में इन्सान की तारीफ काम से होती है और जो लोग ईमानदारी से काम करते है उनकी तारीफ करने वालो की कमी नही होती पर जब कोई ईमानदार बनकर काम करता है तो कुछ लोगो की आँखों में खटकता भी क्योकि हमारे समाज के कुछ तथाकथित लोग विरोध तो करेगे ही और वहीँ विरोध कुछ जगह पर निधि का भी होता आया है और हो रहा है अब देखना यह दिलचस्प होगा कि लोगो की निधि के लिए दुआ काम आती है या निधि के खिलाफ कर रहे चंद लोगो के षड्यंत्र कामयाब होते है क्योकि इस बात पर एक पंक्ति प्रचलित है मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है … वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है इस पंक्ति से साफ़ जाहिर होता है कि इंसान चाहे किसी का कितना भी बुरा करने की सोचे पर होता वही ही है जो भगवान को मंजूर होता है !
बचपन से झांसी की रानी ,शिवाजी महाराज , महाराणा प्रताप व राष्ट्रप्रेम की कहानियाँ सुन अपने पिता की लाडली बेटी कब जनता की लाडली हो गयी पता ही नही चला और राष्ट्रप्रेम व देश सेवा का जज्बा लिए बड़ी हुई निधि ने बचपन से ही निबंध प्रतियोगिता , वाद विवाद प्रतियोगिता व अनेक प्रतियोगिता में भाग लिया और राष्ट्रीय स्तर तक जाकर उनको जीता | पिता जी का प्रेम व संस्कार के चलते ही आज निधि अपने काम को बखूबी से अंजाम देना जानती है तभी तो वह अपनी सर्विस के छोटे से कार्यकाल में बड़े बड़े काम कर दिए निधि ने नगर निगम रुद्रपुर के मुख्य नगर अधिकारी का जिम्मा भी उठाया और चीनी मिल सितारगंज व गदरपुर में विनियमितीकरण किया तथा साथ ही पंतनगर यूनिवर्सिटी में भी विनियमितीकरण निधि यादव के द्वारा ही किया गया चीनी मिल किच्छा में अधिशासी निदेशक के पद पर रहते हुए चीनी मिल के लिए अनेक कार्य किये वैसे तो निधि ने अपने काम का लोहा मनवाना जोइनिंग लेते ही शुरू कर दिया था.
जब पीसीएस निधि यादव PCS NIDHI YADAV उपजिलाधिकारी जोशीमठ थी तो उनके द्वारा औली में अवैध रूप से बने अनुसूचित जन जाति के लोगो की भूमि पर एक पांच सितारा होटल को तोडा गया था जिसको निधि ने अपने अकेले दम पर सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा लडा और सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा जीतकर आई पर होटल बड़े रसुकदार लोगो का था तो आज भी वो भूमि ऐसे ही पड़ी जिस पर सरकार न तो अपने कब्जे में लेकर पांच सितारा होटल की भूमि को सरकारी अभिलेखों में दर्ज करा पा रही है गौर करने की बात तो यह है कि एक अधिकारी सुप्रीमकोर्ट तक मुकदमा लड़ कर जीतता है और अन्य अधिकारी पता नही किस दबाव के चलते उस भूमि को ज्यो का त्यों छोड़ देते है .
अपने इंजिनियर पिताजी की लाडली बेटी PCS NIDHI YADAV वर्तमान में डायरेक्टर मंडी के पद पर अपने कार्यो को ईमानदारी से बखूबी अंजाम दे रही क्योकि ईमानदारी व राष्ट्रप्रेम तो निधि को बचपन से ही पढाया गया है और पूर्वजो का कथन भी सत्य है कि बच्चे को जैसा सिखाओगे वो वैसा करेगा क्योकि मिटटी के बर्तन बनाने के लिए भी चाक पर मिटटी को जो आकर दिया जाता है वह वैसे ही आकर में तब्दील हो जाती है
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