नई दिल्ली : आखिर कर ली न अपने मन की, अब हो गयी न तसल्ली. बर्फ के पहाड़ खड़े कर दिए न. हो गयी तसल्ली या दो दिनों तक अभी इसी मस्ती में रहना है, राहु ने चंद्र से पूछा. मेरी मस्ती का छोड़ो, तुम सीधा सीधा मुद्दे पर आओ और कहो क्या कहना चाहते हो, चंद्र ने मस्ती भरे स्वर में कहा. तुम्हे याद है न मैंने शुक्र के बारे में कुछ बातें बतलाई थी, राहु ने पूछा.
हाँ कौन सी वो मशाल वाली बात? चंद्र ने पूछा.
हाँ वही. तो सुनो अब यह शुक्र अपनी छलनीति को अमलीजामा पहनने हेतु प्रयास रत हो गया है. खूब सोच समझ कर तैयार किये गए प्लान के अनुसार, वह गुरु के पास जा रहा है. अपने इस प्लान में उसने केतु को बड़े ही सुनियोजित तरीके से साथ रखा है.
राहु! राहु! इतने गूढ़ता से मत समझाओ. किसी न किसी के साथ तो सम्बन्ध बनाकर हर प्राणी रहता ही है न. इसमें बुराई क्या है? सीधा सीधा बतलाओ न कि इसका मतलब क्या है? चंद्र ने अधीर होकर राहु से कहा.
राहु भी भुनभुनाते हुए बोला, यही तुम्हारी बुरी आदत है. तुरंत में अधीर हो जाते हो. यह समय अधीर होने का नहीं है. गौर से सुनो, गुरु के साथ होकर यह रक्तपात और हिंसा को बढ़ाने वाले योग का निर्माण कर लेगा और जिस समय शुक्र इस निर्माण में लगा होगा, मंगल, राहु के साथ सामान अंशों में आ जायेगा. यह सही नहीं है. इन चार ग्रहों को पांचवां सहयोग शनि का मिल जायेगा और केतु का साथ तो पहले से ही है. अमेरिका के आंतरिक अस्थिरता और राजनैतिक अस्थिरता पर नजर रखने का समय तो है ही अपने देश में भी एक तरफ किसान मोर्चा खोले बैठे हैं और दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल का चुनाव सर पर है तब ऐसे में इनके नजदीक होने का यह उपयुक्त समय नहीं है.
इसके साथ ही साथ 5 फरवरी से 14 फरवरी तक अन्य ग्रहों का भी जो संचरण होगा उसके मद्दे नज़र वैश्विक स्तर पर तो रक्तपात और हिंसा की स्थिति तो तैयार हो ही रही है, अपने देश की दशा को देखते हुए देश में भी हिंसक गतिविधियां बढ़ सकती हैं. इसलिए हर एक को सतर्क और सचेत रहने की जरूरत है.
हम्म्म! चंद्र ने चिंतित होते हुए गहरी सांस ली. फिर पूछा, और कुछ संकेत ग्रहों द्वारा?
राहु ने कहा, हाँ इसी समयावधि में प्रकृति भी अपना असंतुलन दिखाएगी. प्रकृति उत्पात मचाएगी.
और सुनो चंद्र, फरवरी में वैलेंटाइन्स डे से पहले एक बार फिर मौसम भी करवट बदलेगी. मौसम के इस बदलते हुए करवट से फिर बारिश का आनंद लेना और शुक्र से जरा प्यार भरा सम्बन्ध बनाकर उसे भी इस प्रेम की बारिश में भिगोना, राहु ने हँसते हुए कहा.
हाँ, देश और दुनिया को हिंसा और रक्तपात से बचाने हेतु शुक्र के मन की गांठ खोलनी होगी, शुक्र को भावयामि कहना ही पड़ेगा, ऐसा कहते हुए चंद्र ने भी उसकी हंसी में अपनी हंसी मिला दी.
लेखिका : कृष्णा नारायण, शिक्षाविद नई दिल्ली
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