posted on : जुलाई 20, 2022 4:33 अपराह्न
कोटद्वार । एक मिस्ड कॉल से शुरू हुआ प्रेमिका ममता और दोनों पैर से दिव्यांग अमित डोभाल का प्यार का सफर आखिरकर अंजाम तक पहुंचा और आखिर में दोनों ने शादी के बंधन में बंधने का फैसला किया । प्रेमिका ममता महीनों तक प्रेमी दिव्यांग अमित डोभाल से मोबाइल पर बात करती रही।
जब प्रेमी से प्रेमिका की पहली मुलाकात हुई और उसे पता चला कि जिसके साथ वह जिंदगी गुजारने के लिए अपने जन्मदाता को छोड़ कर जाने वाली है वह दोनों पैरो से 100% दिव्यांग है। इसके बावजूद भी दीवानगी कम न हुई। अंत में जब प्यार दोनों तरफ परवान चढ़ने लगा तो दिव्यांग अमित डोभाल ने अपनी दिव्यांगता के बारे में सबकुछ बता दिया। लेकिन प्रेमिका के अटूट प्यार ने दिव्यांग अमित का सिर्फ हौसला ही नहीं बढ़ाया। बल्कि जीवन जीने का नजरिया ही बदल दिया और अप्रैल 2013 में इस प्रेमी युगल ने घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी करने का निर्णय ले लिया।
दरअसल, यह कहानी उत्तरकाशी जिले के छमरोटा गाँव की स्नातक पढ़ी – लिखी ममता एवं देहरादून जिले के जौनसार से कुन्ना गाँव के हाई स्कूल पास अमित डोभाल दिव्यांग की है। प्यार में पागल इस युगल ने न सिर्फ शादी रचाई बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि प्यार न जात-पात न रंग-रूप और ना ही शारीरिक संरचना से होता है। प्यार दो दिलों का संगम है। प्रेमिका के परिजनों ने एवं रिशतेदारों ने इसका बहुत विरोध किया और तीन वर्ष तक लड़की से बातचीत और सारे संबध तोड़ दिये लेकिन दो सच्चे प्यार करने वालों के आगे सभी रिश्ते नाते दारों की नहीं चली ।
दोनों पैरों से दिव्यांग प्रेमी अमित डोभाल अपनी प्रेमिका को लेकर अपने मामा के घर देहरादून चला गया। जहां कथित रूप से दोनों ने मन्दिर में शादी रचा ली। उधर, लड़की के घर वालों ने खोजबीन की और पूरा गाँव दिव्यांग अमित डोभाल के घर पहुंच गया गाँव वालो ने प्रेमिका का बयान लिया और ये कहकर समझाने लगे कि दोनों पैर से 100% दिव्यांग के साथ कैसे पूरा जीवन गुजारेगी अभी भी कोई बात नहीं वापस घर चलो काफी समझाया बुझाया लेकिन प्रेमिका ममता ने परिजनों के साथ जाने से इन्कार कर दिया। प्रेमिका ममता का कहना था कि उसने सच्चा प्रेम किया है। अब कोई उन्हें जुदा नहीं कर सकता है। अपने दिव्यांग पति के साथ जीने मरने का संकल्प लेते हुए और अपने दिव्यांग पति को सशक्त बनाने के लिए पति की कपडों की दुकान में पति के साथ दुकान चलाने लगी और खुशी खुशी जीवन जीने लगे और धीरे-धीरे अपने दिव्यांग पति के साथ दिव्यांग जनों के सशक्तिकरण के लिए कार्य करने का मन बनाया और इस ही उद्देश्य से वर्ष 2017 में अपने दिव्यांग पति से उतराखण्ड दिव्यांग सशक्तिकरण ऐसोसिएशन की स्थापना कराई और प्रदेश के दिव्यांग जनों के सशक्तिकरण के लिए प्रदेश स्तर पर कार्य शुरू किया।
पर्दे के पीछे से अपने दिव्यांग पति अमित डोभाल का कंधे से कंधा मिलाकर साथ देकर दोनों पांव से दिव्यांग पति अमित डोभाल को दिव्यांगता के क्षेत्र में एक पहचान दिलाई उनके सहयोग और योगदान से आज उनका दिव्यांग पति दिव्यांग संगठन का प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सरकार में राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड का सदस्य है। सामाजिक कार्यो के साथ साथ एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं आज इनके दो बच्चे है एक बेटा है और एक बेटी है। दिव्यांग अमित डोभाल कहते हैं मेरी पत्नी ने मेरे अंधकार जीवन में रोशनी लायी है और अपने जीवन की परवाह न करते हुए त्याग का जो परिचय दिया है ये समाज को एक संदेश है कि दिव्यांग तन से हो सकते हैं मन से नहीं