हरिद्वार : विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 की श्रृंखला में ‘हरित योग’ कार्यक्रमों का आयोजन हरिद्वार की पावन भूमि पर भव्य और भावनात्मक रूप में संपन्न हुआ। गंगा तट की दिव्यता और हिमालय की छाया में बसे हरिद्वार के झिलमिल झील, श्री कृष्णहरि धाम घाट, प्रेम नगर आश्रम घाट और बड़े हनुमान मंदिर परिसर (बैरागी कैंप) में यह आयोजन योग, पर्यावरण संरक्षण, गौ संवर्धन, स्वच्छता और अध्यात्म का एक अद्वितीय संगम बन गया।
“योग, प्रकृति और संस्कृति – एक ही सूत्र में बंधे हैं”
डॉ. अवनीश उपाध्याय, जिला नोडल अधिकारी – राष्ट्रीय आयुष मिशन एवं मीडिया प्रभारी ने बताया कि – “यह आयोजन केवल एक योग सत्र नहीं था, बल्कि यह जीवन को प्रकृति, संस्कृति और स्वच्छता के साथ जोड़ने वाली चेतनात्मक पहल है। यह जन-जागरूकता का वह माध्यम बन रहा है जो शरीर, मन और पर्यावरण तीनों की एकसाथ साधना करता है।”
जहां योग होता है, वहां जीव-जंतु भी जुड़ जाते हैं!
बैरागी कैंप के बड़े हनुमान मंदिर परिसर में हुए कार्यक्रम की एक अनोखी झलक ने सभी का ध्यान खींचा – एक कुत्ता, मानो “श्वानासन” में लीन था! डॉ. अवनीश उपाध्याय ने विनोदपूर्वक कहा – “लगता है आज योग के कैनाइन कमांडो ने भी उसे बुला लिया था। यह नजारा बताता है कि प्रकृति के हर जीव में योग की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।” यह दृश्य सोशल मीडिया पर #बिना_कहे_योग के नाम से वायरल भी हो गया।
हर घर में योग, हर आंगन में वृक्ष
डॉ. स्वास्तिक सुरेश, जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, ने कहा – “योग से मानसिक और सामाजिक सजगता आती है। हरित योग का लक्ष्य है – नागरिकों को स्वस्थ बनाना, और राष्ट्र को हरित। जब योग और वृक्षारोपण एक साथ किए जाते हैं, तो वह केवल साधना नहीं, साधन बन जाते हैं पर्यावरण की रक्षा का।”
गौ संरक्षण और पंचगव्य आधारित जीवनशैली की प्रेरणा
संत प्रभाकर मंजूनाथ महाराज ने अपने वक्तव्य में कहा – “योग, प्रकृति और गौ माता एक-दूसरे के पूरक हैं। पंचगव्य हमें आत्मनिर्भर, स्वस्थ और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जीवनशैली की ओर प्रेरित करता है।”
“कचरे से हरित ऊर्जा की ओर”
स्वामी अनंतानंद जी महाराज, प्रबंधक – कृष्णायण बायो सीएनजी प्लांट, ने कहा – “जब हम प्रकृति से प्रेम करते हैं, तो कचरे को भी संसाधन में बदल देते हैं। हमारा बायो सीएनजी प्लांट इसी का उदाहरण है – जहां अपशिष्ट से स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न होती है। योग और पर्यावरण संरक्षण दोनों ही ऊर्जा का शुद्ध स्रोत हैं।”
वृक्षारोपण – धरती के लिए प्राणवायु
हर स्थल पर योग सत्र के पश्चात वृक्षारोपण किया गया। आम, नीम, जामुन, बेल और आँवला जैसे पौधे लगाए गए। डॉ. घनेंद्र वशिष्ठ, डॉ. दीक्षा शर्मा, डॉ. बोधराज सेमवाल, डॉ. नवीन दास, डॉ. अश्वनी कौशिक, डॉ. वीरेंद्र सिंह रावत, डॉ. विक्रम रावत, डॉ. विकास दुबे, डॉ. बिजेंद्र कुशवाहा, डॉ विकास जैन, के के तिवारी सहित आयुष विभाग की टीम ने संपूर्ण आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
संपूर्णता की ओर कदम
इस आयोजन ने दिखाया कि जब योग को हरित दृष्टिकोण और सांस्कृतिक चेतना से जोड़ा जाता है, तो वह केवल शारीरिक क्रिया नहीं रह जाता, वह आंदोलन बन जाता है – “हरित भारत, स्वस्थ भारत” की ओर।


