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वीरेंद्र पोखरियाल को मिल रहा जन समर्थन भारी, खुलकर समर्थन दे रहे हैं राज्य आंदोलनकारी

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posted on : जनवरी 18, 2025 1:41 पूर्वाह्न

 

देहरादून: देहरादून मेयर पद पर भाजपा कांग्रेस की कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है भाजपा से जहां पूर्व डीएवी के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सौरभ थपलियाल मैदान में वहीं कांग्रेस से मजबूत अनुभवी तीन बार के डीएवी कॉलेज के अध्यक्ष रह चुके वीरेंद्र पोखरियाल भाजपा को कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं वहीं वीरेंद्र पोखरियाल को राज्य आंदोलनकारी होने का भरपूर फायदा मिल रहा है और तमाम राज्य आंदोलनकारीयों का वीरेंद्र पोखरियाल को अपार जनसमर्थन मिल रहा है , सबसे बड़ी बात है कि विपक्ष भी वीरेंद्र पोखरियाल की तारीफ कर रहा है एक नजर दौड़ाते हैं वीरेंद्र पोखरियाल के परिचय पर….

90 के दशक के डीएवी कॉलेज अध्यक्ष वीरेंद्र पोखरियाल: राज्य आंदोलनों के सेनानी, जन समस्याओं के सुलझाने वाले, युवाओं के बीच लोकप्रिय देहरादून मेयर प्रत्याशी

वीरेंद्र पोखरियाल, जो वर्तमान में कांग्रेस पार्टी से देहरादून के मेयर के प्रत्याशी हैं, का राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में एक लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है। 1993 में देहरादून के प्रतिष्ठित डीएवी कॉलेज के प्रेज़िडेंट रहने के दौरान, उन्होंने एक छात्र नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। यह भूमिका उन्हें न केवल कॉलेज के विद्यार्थियों के बीच, बल्कि स्थानीय समुदाय में भी प्रचलित बनाने में सहायक रही। उनके इस अनुभव ने उन्हें क्षेत्र में लोगों की समस्याओं को समझने और उनके समाधान के लिए प्रयास करने का एक मजबूत आधार दिया। वीरेंद्र पोखरियाल का नाम उत्तराखंड राज्य आंदोलन से गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर कई बार जेल की यात्राएँ की। इन यात्राओं के दौरान, उन्हें मैनपुरी और बरेली के जेलों में रखा गया। यह स्पष्ट करता है कि वे अपने सिद्धांतों के प्रति कितने समर्पित थे और उन्होंने अपने अधिकारों के लिए कितनी दृढ़ता से आवाज उठाई।

उत्तराखंड आंदोलन की तारों में इंद्रमणि बडोनी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है, जिन्होंने पौड़ी में अनशन के माध्यम से इस आंदोलन को और तात्कालिकता प्रदान की। इसी क्रम में, वीरेंद्र पोखरियाल ने सितंबर 1994 में पौड़ी की ऐतिहासिक छात्र रैली के दौरान आरक्षण विरोधी आंदोलन को उत्तराखंड आंदोलन में बदल दिया। उनके नेतृत्व और छात्रों तथा मातृ शक्ति के समर्थन ने आंदोलन को पूरे क्षेत्र में फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पोखरियाल एक कुशल छात्र संघ अध्यक्ष थे, और इस भूमिका ने उन्हें पुलिस प्रशासन के निशाने पर भी ला दिया, जिसके परिणामस्वरूप, उन्होंने कई बार गिरफ्तारी का सामना किया। वीरेंद्र पोखरियाल का साढ़े तीन दशकों का सामाजिक कार्य उनके प्रति लोगों की अपार लोकप्रियता का कारण बना है। उन्होंने समाज की सेवा की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं और उनके व्यापक अनुभव के कारण, उन्हें स्थानीय लोगों का विश्वास प्राप्त है। आज, देहरादून के मेयर के रूप में उनके प्रत्याशी बनने की प्रक्रिया में, उनका पूर्व का संघर्ष और साहसिक कार्य निश्चित रूप से उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है। इस प्रकार, उनका राजनीतिक करियर न केवल उनके विचारों और प्रतिबद्धता का परिचायक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वे समाज के लिए किस तरह से एक प्रेरणास्रोत बन सकते हैं।

वीरेंद्र पोखरियाल पोखरी गांव ,पट्टी भदुरा , प्रतापनगर के मूल निवासी हैं, उनके दादा 1952 में आ गए थे देवीपुरा गांव देहरादून में

देहरादून में मेयर पद के कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र पोखरियाल का संबंध टिहरी गढ़वाल जिले के मूल पोखरी गांव, पट्टी भदुरा, प्रतापनगर से है। उनका परिवार एक सुनहरे राजनीतिक और सामाजिक इतिहास का हिस्सा है, जिसे उनके दादा रंजोर सिंह पोखरियाल ने स्थापित किया। 1952 में, रंजोर सिंह पोखरियाल ने देवीपुरा गांव प्रेमनगर देहरादून में आकर अपने जीवन की एक नई शुरुआत की। अपने गाँव पोखरी में कई वर्षों तक दुकान चलाने के बाद, रंजोर सिंह पोखरियाल ने ग्राम प्रधान के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। उन्हें ग्रामसभा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है, जो उनके नेतृत्व की क्षमता और ग्रामीण विकास के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। वीरेंद्र पोखरियाल के पिता, फतेह सिंह पोखरियाल, ने ठेकेदारी का कार्य किया। उनके पिता का व्यवसायिक अनुभव एवं नेतृत्व कौशल ने वीरेंद्र को सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए अपने लक्ष्यों को हासिल करने की प्रेरणा दी। वीरेंद्र पोखरियाल के लिए उनका परिवार न केवल प्रेरणा का स्रोत रहा, बल्कि उन्होंने अपने दादा और पिता के संघर्षों से सीख भी ली है। जब वह स्थानीय राजनीति में सक्रिय हुए, तो उन्होंने अपने पूर्वजों की सेवा भावना और नेतृत्व की गुणवत्ता को आगे बढ़ाया।

वीरेंद्र पोखरियाल: सहकारिता के क्षेत्र में एक स्थायी उपस्थिति

वीरेंद्र पोखरियाल ने पिछले डेढ़ दशक से सहकारी बाजार एश्लेहाल देहरादून के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो सहकारिता के क्षेत्र में उनकी प्रतिबद्धता और स्थिरता का प्रतीक है। उनकी इस भूमिका ने न केवल स्थानीय स्तर पर सहकारी ढांचे को मजबूती प्रदान की, बल्कि यह भी दर्शाया कि एक व्यक्ति का दृढ़ निश्चय किस प्रकार सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन ला सकता है। सहकारिता का सिद्धांत सामूहिक प्रयास और सामान्य कल्याण के लिए कार्य करने पर आधारित है। वीरेंद्र पोखरियाल ने इस सिद्धांत को आत्मसात करते हुए सहकारी बाजार को एक नई दिशा दी। उनके नेतृत्व में बाजार ने न केवल अपने सदस्यों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया, बल्कि सामान्य जनता के लिए भी रोजगार और स्वावलंबन के अवसर प्रदान किए।

देहरादून मेयर के लिए लोकप्रिय चेहरा

कांग्रेस ने इस बार देहरादून महानगर का मेयर बनाने के लिए वीरेंद्र पोखरियाल जैसा चेहरा चुनकर एक सही निर्णय लिया है। यह एक ऐसा कदम है जो न सिर्फ कांग्रेस पार्टी की रणनीति को सुदृढ़ करता है, बल्कि आम जनमानस को यह विश्वास भी दिलाता है कि पार्टी स्वच्छ और ईमानदार लोगों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि पोखरियाल के खिलाफ आम जनता के पास आलोचना के लिए कोई उपयुक्त शब्द नहीं है। उनकी ईमानदारी और जुबान का पक्का होना उन्हें उनके समकालीन राजनीति में भी एक अनूठा स्थान देता है। ‘राजनीति में स्वच्छ ईमानदार लोग आने चाहिए’ इस सोच को समर्पित लोगों के लिए पोखरियाल एक आशा की किरण के रूप में हैं। उनकी स्पष्टवादी सोच और कार्य करने की शैली ने उन्हें जन समर्थन विशेषकर युवा वर्ग में लोकप्रिय बना दिया है।

 

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