कोटद्वार । वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्थान सेवा समिति ने शुक्रवार को पेशावर विद्रोह की वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली और इस विद्रोह में शामिल सैनिकों को याद किया गया।
ध्रुवपुर स्थित चन्द्र सिंह गढ़वाली स्मारक में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता शैलेंद्र सिंह बिष्ट “गढ़वाली” (पौत्र वीर चंद्र सिंह गढ़वाली) ने कहा कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति का पर्दाफाश किया। इसी का परिणाम था पेशावर का सैनिक विद्रोह। सैनिक होने के बावजूद यह गढ़वाली की राजनीतिक व सामाजिक चेतना ही थी कि देश की मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे पठानों पर गोली चलाने से उन्होंने इनकार कर दिया । वह जानते थे कि उनको व अन्य सैनिकों को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इस नाफरमानी पर उन्हें जेल की सजा काटनी पड़ी। 1942 में गढ़वाली रिहा हुए तो उसके तुरंत बाद भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े। उसके बाद 1948 में टिहरी राजशाही के खात्मे में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर गीता बिष्ट, बीना बिष्ट , मुन्नी देवी, राजेश्वरी देवी, मोहन सिंह नेगी, अमित भारद्वाज, अनुज भट्ट, मनोज गुसाईं ,चंद्रप्रकाश जदली, संदीप रावत, अंकित अग्रवाल, दीपू पोखरियाल आदि लोग उपस्थित रहे ।



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