posted on : दिसम्बर 10, 2021 10:18 अपराह्न
कोटद्वार : उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने पूर्व सीएम हरीश रावत के उस बयान का कड़ा विरोध किया है और खेद जताया, जिसमें पूर्व सीएम हरीश रावत ने सन 2000 से उत्तराखंड में रहने वालों को यहां का मूल निवासी माना है। उत्तराखण्ड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेता पूर्व सीएम हरीश रावत ने यह कहा है कि जो 2000 में आ गया वह यहाँ का मूल निवासी हो गया। पूर्व सीएम हरीश रावत की यह बात उत्तराखंड राज्य निर्माण की मूल भावनाओं के विपरीत है। उत्तराखण्ड क्या देश के किसी भी राज्य का मूल निवासी वही है जो सन 1950 में या उससे 5 साल पहले उस राज्य में निवास कर रहा था। वह उस राज्य का मूल निवासी है।
उविपा अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने कहा कि कांग्रेस अंततः अपने पुराने खेल की ओर अग्रसर है, जिसमें बांटो और राज करो की नीति प्रमुख है ।
जिसके तहत पूर्व सीएम हरीश रावत ने यह कहा है कि एक समय मैदानी मूल का व्यक्ति भी उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बन सकता है। मुजीब नैथानी ने कहा कि पूर्व सीएम हरीश रावत की समय के साथ याददाश्त खत्म होती जा रही है। इस राज्य का पहला मुख्यमंत्री ही मैदानी मूल का मुख्यमंत्री था, और मैदानी क्या अगर उस हिसाब से देखें तो हरियाणा उनकी जन्मभूमि थी, मगर उनकी कर्मभूमि उत्तराखण्ड ही थी। पूर्व सीएम हरीश रावत पहाड़ और मैदान को बांटने की राजनीति कर रहे हैं , इसलिए मैदानी और पहाड़ी मुख्यमंत्री की बात कर रहे हैं। इस राज्य का मूल निवासी 1950 का ही है, चाहे वह हरिद्वार का निवासी है। क्या यहां हरिद्वार के गांव वाले 1950 से हरिद्वार में नहीं रह रहे हैं ? क्या वह हरिद्वार सन 2000 में आए हैं। उनका अधिकार छीनने बाहर से जो लोग आ रहे हैं उनका विरोध क्यों नहीं किया जाना चाहिए? जबकि बाहर से आने वाले सब यहां अवैध अनैतिक, अवैधानिक कार्य कर रहे हैं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उन को शरण देने की बात कर रही है यह दुर्भाग्यपूर्ण है और ऐसी किसी भी बात का उत्तराखण्ड विकास पार्टी पुरजोर विरोध करेगी।
उन्होंने कहा कि पहाड़ के नाम पर बने मुख्यमंत्री ही पहाड़ का विनाश कर गए हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत जल जंगल जमीन शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार पर सार्थक बात करने की बजाय केवल मुख्यमंत्री पद की बात कर रहे हैं कभी वो किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनने की बात कहते हैं तो फिर पलटी मार कर बाबा केदारनाथ से खुद को मुख्यमंत्री बनाने की बात करने लगते हैं। बांटों और राज करो की नीति की बात करने वालों से उत्तराखण्ड के मूल निवासियों को सावधान रहने की जरूरत है