रविवार, जुलाई 13, 2025
  • Advertise with us
  • Contact Us
  • Donate
  • Ourteam
  • About Us
  • E-Paper
  • Video
liveskgnews
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तरप्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • धर्म
  • रोजगार न्यूज़
  • रोचक
  • विशेष
  • साक्षात्कार
  • सम्पादकीय
  • चुनाव
  • मनोरंजन
  • ऑटो-गैजेट्स
No Result
View All Result
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तरप्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • धर्म
  • रोजगार न्यूज़
  • रोचक
  • विशेष
  • साक्षात्कार
  • सम्पादकीय
  • चुनाव
  • मनोरंजन
  • ऑटो-गैजेट्स
No Result
View All Result
liveskgnews
13th जुलाई 2025
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तरप्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • धर्म
  • रोजगार न्यूज़
  • रोचक
  • विशेष
  • साक्षात्कार
  • सम्पादकीय
  • चुनाव
  • मनोरंजन
  • ऑटो-गैजेट्स

पर्यटकों के लिए खुला फूलों का अनोखा संसार विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी, प्रकृति प्रेमियों के खिल उठे चेहरे

शेयर करें !
posted on : जून 2, 2022 12:03 अपराह्न

चमोली : आखिरकार दो साल की इंतजारी के बाद विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी के दीदार कर सकेंगे देश विदेश के पर्यटक। पर्यटकों और प्रकृति प्रेमी के चेहरे खिल उठे हैं जो दो सालों से बंद पडी फूलों की घाटी के खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। बुधवार से फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी गयी है। कोरोना काल में घरों में कैद रहने के बाद इस साल चारधाम में जिस तरह से तीर्थयात्रियों का हुजूम उमड रहा है, उसको देखते हुए प्रकृति प्रेमियों को यह उम्मीद है की इस बार फूलों की घाटी में रिकार्ड पर्यटक पहुंचेगे। जिससे न केवल फूलों की घाटी में चहल-पहल बढेगी अपितु पर्यटन से जुड़े युवाओं और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। बुधवार को नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क के प्रभागीय वनाधिकारी एनबी शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर पर्यटकों को रवाना किया। उन्होंने बताया कि पहले दिन 70 के लगभग पर्यटकों ने फूलों की घाटी के दीदार करने को पहुंचे। बताया कि प्रतिदिन 12 बजे दिन तक पर्यटकों को फूलों की घाटी जाने का परमिशन है।

आंकडों की नजर में विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी

वन विभाग की ओर से भी समस्त तैयारी की गयी है। आंकडों पर नजर दौडाये तो 2014 में 484 पर्यटक, 2015 में 181, 2016 में 6503, 2017 में 13752, 2018 में 14742 पर्यटक, 2019 में 17424 पर्यटकों ने फूलों की घाटी के दीदार किए थे। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण 932 पर्यटक ही घाटी में पहुंचे थे जबकि 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण एक जुलाई को देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए फूलों की घाटी खोली गई थी और 9404 पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे थे।

फूलों का अनोखा संसार विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी

फूल शायद सुंदरता के सबसे पुराने प्रतीक हैं। सभ्यता के किसी बहुत प्राचीन आंगन में जंगल और झाड़ियों के बीच उगे हुए फूल ही होंगे जो इंसान को उस खासे मुश्किल वक्त में राहत देते होंगे। इन फूलों से पहली बार उसने रंग पहचाने होंगे। खुशबू को जाना होगा। पहली बार सौंदर्य का अहसास किया होगा। फूलों की अपनी दुनिया है। वो याद दिलाते हैं कि पर्यावरण के असंतुलन से लगातार धुआंती, काली पड़ती, गरम होती इस दुनिया में फूलों को बचाए रखना जरूरी है।

कब खुलती है फूलों की घाटी

सीमांत जनपद चमोली में मौजूद विश्व धरोहर रंग बदलने वाली फूलों की घाटी को हर साल आवाजाही के लिए एक जून को आम पर्यटकों के लिए खोल दिया जाता है जबकि अक्तूबर अंतिम सप्ताह में 31 अक्तूबर को ये घाटी आवाजाही के लिए बंद हो जाती है।

कहां है फूलों की घाटी

उत्तराखंड के चमोली जिले में पवित्र हेमकुंड साहब मार्ग स्थित फूलों की घाटी को उसकी प्राकृतिक खूबसूरती और जैविक विविधता के कारण 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया। 87.5 वर्ग किलोमीटर में फैली फूलों की ये घाटी न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। फूलों की घाटी में दुनियाभर में पाए जाने वाले फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। हर साल देश विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यह घाटी आज भी शोधकर्ताओं के आकर्षण का केंद्र है। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित हैं।

पर्वतारोही फ्रेंक स्माइथ नें की थी खोज

फूलों की घाटी की खोजने का श्रेय फ्रैंक स्मिथ को जाता है। जब वह 1931 में कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे तब रास्ता भटकने के बाद 16700 फीट ऊंचे दर्रे को पार कर भ्यूंडार घाटी में पहुंचे और उन्होंने यहां मौजूद फूलों की इस घाटी को देखा तो यहां मौजूद असंख्य प्रजातियों के फूलों की सुंदरता को देखकर वो आश्चर्यचकित होकर रह गये। फूलों की इस घाटी का आकर्षण फ्रैंक स्मिथ को दुबारा 1937 में यहां खींच लाया और उन्होंने यहां के फूलों पर गहन अध्ययन और शोध किया और 300 से अधिक फूलों की प्रजातियों के बारे में जानकारी एकत्रित की, जिसके बाद फ्रैंक स्मिथ नें 1938 में फूलों की घाटी में मौजूद फूलों पर वैली ऑफ फ्लावर नाम की एक किताब प्रकाशित किया। जिसके बाद दुनिया नें पहली बार फूलों की इस घाटी के बारे में जाना था। जिसके बाद आज तक इस घाटी के फूलों का आकर्षण हर किसी को अपनी ओर खींचता है। फ्रैंक स्मिथ इस फूलों की घाटी से किस्म के बीज अपने देश ले गये थे।

मार्गेट लेंगी की कब्र

1938 में विश्व के मानचित्र पर फूलों की घाटी के छा जाने के बाद 1939 में क्यू बोटेनिकल गार्डन लन्दन की और से जाॅन मार्गरेट लैगी, जिनका जन्म 21 फरवरी 1885 को हुआ था, 54वर्ष की उम्र में इस घाटी में मौजूद 500 से अधिक प्रजाति के फूलों का अध्यन करने के लिए आई थी। इसी दौरान अध्ययन करते समय दुर्भाग्यवश फूलों को चुनते हुए चार जुलाई 1939 को एक ढाल धार पहाड़ी से गिरते हुए उनकी मौत हो गई और फूलो की इस घाटी में वह सदा सदा के लिए चिरनिंद्रा में सो गई। जोन मार्गेट लैगी की याद में यहाँ पर एक स्मारक बनाया गया है जो बरबस ही घाटी में घुमने पर लैगी की याद दिलाती है। जो भी पर्यटक यहां घूमने आता है वह लैगी के स्मारक पर फूलों के श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धाजंलि देना नहीं भूलता है।

पांच सौ प्रजाति से अधिक फूल

फूलों की घाटी में तीन सौ प्रजाति के फूल अलग-अलग समय पर खिलते हैं। यहां जैव विविधता का खजाना है। यहां पर उगने वाले फूलों में पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पॉपी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्म कमल, फैन कमल जैसे कई फूल यहाँ खिले रहते हैं। घाटी मे दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु, वनस्पति, जड़ी बूटियों का है संसार बसता है।

हर 15 दिन में रंग बदलती है ये घाटी

फूलों की घाटी में जुलाई से अक्टूबर के मध्य 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। खास बात यह है कि हर 15 दिन में अलग-अलग प्रजाति के रंगबिरंगे फूल खिलने से घाटी का रंग भी बदल जाता है। यह ऐसा सम्मोहन है, जिसमें हर कोई कैद होना चाहता

कैसे पहुंचे और कब आएं फूलों की घाटी

फूलों की घाटी पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से गोविंदघाट तक पहुंचा जा सकता है। यहां से 14 किलोमीटर की दूरी पर घांघरिया है। जिसकी ऊंचाई 3050 मीटर है। यहां लक्ष्मण गंगा पुलिया से बायीं तरफ तीन किमी की दूरी पर फूलों की घाटी है। फूलों की घाटी एक जून से 31 अक्तूबर तक खुली रहती है। मगर यहां पर जुलाई प्रथम सप्ताह से अक्तूबर तृतीय सप्ताह तक कई फूल खिले रहते हैं। यहां तितलियों का भी संसार है। इस घाटी में कस्तूरी मृग, मोनाल, हिमालय का काला भालू, गुलदार, हिमतेंदुआ भी दिखता है।

हाल के पोस्ट

  • एसपी अजय गणपति एवं एसपी रेखा यादव के निर्देशन में चंपावत – पिथौरागढ़ पुलिस की बड़ी कार्रवाई : नेपाल सीमा पर 10 करोड़ तेईस लाख चौरासी हजार रुपये की MDMA ड्रग्स के साथ महिला तस्कर गिरफ्तार, अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जांच जारी
  • कांवड़ मेला 2025 : मंगलौर पुलिस सख्त, 27 डीजे संचालकों को थमाए नोटिस, दिए कड़े निर्देश
  • एसपी तृप्ति भट्ट के निर्देशन में जीआरपी ने पेश की नई मिसाल, अमेरिकी यात्री ने की मुक्त कंठ से प्रशंसा, कहा- उत्तराखंड पुलिस की ड्यूटी और मानवता लाजवाब
  • मुख्यमंत्री उत्तराखंड के ड्रग्स फ्री देवभूमि मिशन के तहत जनपद चंपावत, पिथौरागढ़ एवं STF की संयुक्त कार्रवाई, ₹10.23 करोड़ की MDMA ड्रग्स बरामद, महिला गिरफ्तार, राज्य में अब तक की सिंगल सीजर की सबसे बड़ी कार्यवाही
  • मां सुरकंडा देवी, हमारी लोक आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा का प्रतीक – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
  • कृषि मंत्री गणेश जोशी ने सेब की पेटियों की कमी का लिया संज्ञान, अधिकारियों को तलब कर दिए सख्त निर्देश
  • नशा तस्करों की धरपकड़ के लिए दून पुलिस द्वारा सभी थाना क्षेत्रों में लगातार चलाया जा रहा सघन चैकिंग अभियान, स्निफर डॉग की मदद से संदिग्ध स्थानों पर की जा रही आकस्मिक चैकिंग की कार्यवाही
  • बिहार में लगभग सभी मतदाताओं से सीधे संपर्क में आया निर्वाचन आयोग
  • गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मिले कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत, उत्तराखंड में होने वाले सहकारिता मेलों के शुभारंभ का दिया आमंत्रण
  • एसएसपी लोकेश्वर सिंह के निर्देश पर कांवड़ मेला क्षेत्र में लक्ष्मणझूला पुलिस का वृहद सत्यापन अभियान जारी
liveskgnews

सेमन्या कण्वघाटी हिन्दी पाक्षिक समाचार पत्र – www.liveskgnews.com

Follow Us

  • Advertise with us
  • Contact Us
  • Donate
  • Ourteam
  • About Us
  • E-Paper
  • Video

© 2017 Maintained By liveskgnews.

No Result
View All Result
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तरप्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • धर्म
  • रोजगार न्यूज़
  • रोचक
  • विशेष
  • साक्षात्कार
  • सम्पादकीय
  • चुनाव
  • मनोरंजन
  • ऑटो-गैजेट्स

© 2017 Maintained By liveskgnews.