गोपेश्वर : चमोली जिले में बरसात के शुरु होने के साथ ही फूलों की घाटी हिमालयी फूलों से गुलजार होने लगी है। यहां घाटी में अब ब्रहम कमल के साथ ही ब्लूपाॅपी के साथ बहुत से हिमालयी फूल खिलने लगे हैं। ऐसे में धीरे-धीरे घाटी अब अपने सबाब पर पहुंचने लगी है। घाटी में जुलाई से सितम्बर माह तक प्रचुर मात्रा में फूल खिलते हैं। बता दें, फूलों की घाटी चमोली जिले में समुद्र तल से 13 हजार फीट की ऊंचाई पर 500 से अधिक प्रजातियों हिमालयी फूल की समृद्ध प्राकृतिक संपदा से लबरे है। क्षेत्र के संरक्षण के लिये 6 नवंबर 1982 में सरकार की ओर से घाटी के साथ ही आसपास के क्षेत्र को राष्ट्रीय पार्क घोषित किया गया। जिसके बाद इसकी जैव विविधता के चलते वर्ष 2004 में यूनेस्को की ओर से फूलों की घाटी को विश्व धरोहरों में शामिल किया गया। ऐसे में प्रतिवर्ष ग्रीष्मकाल में घाटी के दीदार के लिये देश और दुनिया के सैकड़ों पर्यटक घाटी में पहुंचते हैं।
फूलों की घाटी में खिलते हैं ये फूल
फूलों के पौधों में एनीमोन, जर्मेनियम, मार्श, गेंदा, प्रिभुला, पोटेन्टिला, जिउम, तारक, लिलियम, हिमालयी नीला पोस्त, बछनाग, डेलफिनियम, रानुनकुलस, कोरिडालिस, इन्डुला, सौसुरिया, कम्पानुला, पेडिक्युलरिस, मोरिना, इम्पेटिनस, बिस्टोरटा, लिगुलारिया, अनाफलिस, सैक्सिफागा, लोबिलिया, थर्मोपसिस, ट्रौलियस, एक्युलेगिया, कोडोनोपसिस, डैक्टाइलोरहिज्म, साइप्रिपेडियम, स्ट्राबेरी एवं रोडोडियोड्रान प्रमुख हैं।
कैसे पहुंचे फूलों की घाटी
बाहरी राज्यों से घाटी के दीदार के लिये आने वाले पर्यटकों को जहां जाॅलीग्रांड हवाई अड्डे से 292 किमी वाहन से गोविंदघाट पहुंचकर। यहां से 16 किमी की पैदल दूरी पर स्थिति है। फूलों की घाटी का बेस कैंप घाघरिया है जहां आवास व भोजन की सुविधा उपलब्ध है। यहां से घाटी की पैदल दूरी 3 किमी है।