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आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने तीन एंटीवायरल मोलेक्यूल खोज कर कोविड- 19/सार्स सीओवी 2 वायरस के इलाज को दी नई दिशा

शोध में खोजे गए एंटीवायरस कोरोनावायरस प्रोटीनों पर मल्टी- टार्गेट प्रहार करते हैं इसलिए बहुत जल्द सार्स सीओवी - 2 और इसके उभरते वैरियॅट हेतु नई एंटीवायरल थिरैपी के विकास में योगदान देंगे।

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posted on : नवम्बर 2, 2022 6:46 अपराह्न
रुड़की : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) के शोधकर्ताओं ने कोविठ-19 संक्रमण के इलाज में कारगर एंटी-वायरल मोलेक्यूल की पहचान की है। शोधकर्ताओं ने पहले से प्रचलित दवा को पर्पस कर और कम्प्यूटेशन एवं एटीवायरल प्रायोगिक अध्ययन कर इन तीन एंटीवायरल मोलेक्यूल की पहचान की। कोपिट-19 महामारी के चलते पूरी दुनिया में सास-सीओवी 2 वायरल प्रोटीन की संरचना और प्रकृति समझने और इसके लिए वैक्सीन और इलाज विकसित करने के लिए कम्प्यूटेशनल और प्रायोगिक दोनों कार्यों में तेजी आई। इस शोध अध्ययन की एक महत्वपूर्ण शाखा वायरस की परमाणु संरचनाओं और वायरस संरचना प्रोटीनों को समझने के लिए संरचना कार्य शोध अध्ययन करना है। इन अध्ययनों की एक बड़ी उपलब्धि प्रोटीन डेटा बैंक है जो प्रोटीनों और वायरसों की संरचनाओं का मेटार है। पूरी दुनिया के शोधकर्ता इस पीढ़ीबी डेटास्क का उपयोग कर दवा खोजते हैं आईआईटी रुड़की की टीम सीओवी 2 मोलेक्यूल्स पर प्रोटीन संरचना-आधारित दवा रोपपस कर शोध कर रही है ताकि इसका क्लिनिकल आकलन किया जाए और फिर एंटीवायरल उपचार में उपयोग हो पाए।
शीघ्र टीम की मार्गदर्शन प्रो शैली तोमर बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग आईआईटी रुड़की ने किया है। शोध पत्र के सह-लेखक है रुचि रानी, सिवेन लॉन्ग, अक्षय पारीक, प्रीति ढाका, अंकुर सिंह, प्रवीन्द्र कुमार गेराल्स मैकइनन और प्रो. तोमर और इसका प्रकाशन सुप्रसिद्ध पीयर- रिव्यू जर्नल वायरोलॉजी में किया गया। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर के. के. पंत ने इस तरह के शोध को बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, सास-सीओ 2 वायरस पर इस तरह का शोध ना केवल कोविड- 19 महामारी बल्कि नए वैरियंट से निपटने और भविष्य के लिए तैयार रहने में भी महत्वपूर्ण है। इस शोध के माध्यम से वैज्ञानिक समुदाय को इस तरह के वायरस को बेहतर समझने और कारगर वैक्सीन तैयार करने में मदद मिलेगी।””
आईआईटी रुड़की टीम ने कोचिड 19 वायरस को टार्गेट करने और दया के मोलेक्यूल की पहचान करने के लिए प्रोटीन डेटा बैंक का उपयोग किया। टीम ने वायरल प्रोटीन के खास हिस्से न्यूक्लियोटाइड बाइंडिंग पॉकेट्स (एनबीपी) पर कारगर मोलेक्यूल की खोज पर ध्यान केंद्रित किया। एनबीपी के नाम से जाहिर है कि यह न्यूक्लियोटाइड्स से जुड़ जाता है जो कि आरएनए और डीएनए का बुनियादी निर्माण करता है और वायरस को रेप्लिकेट करने में मदद करता है एनबीपी को टार्गेट करने वाली दवाएं पहले से ज्ञात है और वायरस की अन्य बीमारियों जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और हर्पिस आदि में उनका उपयोग होता है।
अपने शोध का लक्ष्य बताते हुए शोध प्रमुख प्रो. शैली तोमर, बायोसाइंसेज एवं बायोइंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की ने कहा, अन्य बीमारियों में एनबीपी को टार्गेट करने वाले एंटीवायरल सफल रहे हैं। इसलिएहम ने फार्माकोलॉजिकली एक्टिव कम्पाउड को रीपर्पस करने का प्रयास किया जो छह सार्स सीओवी 2 प्रोटीन के एनसीपी से जुड़ जाते हैं।” टीम ने प्रोटीन डाटा बैंक में उपलब्ध परमाणु संरचनाओं के उपयोग से छह एनबीपी की पहचान की। इसके लिए एक अभूतपूर्व रास्ता चुना जो एक दवा से केवल एक वायरस प्रोटीन को टार्गेट करने के बजाय विभिन्न वायरस प्रोटीनों को मल्टी- टार्गेट करना है। इस मल्टी- टार्गेट प्रयोग से इलाज के अधिक कारगर होने की उम्मीद है और इसके परिणामस्वरूप रेसिस्टेंट परियट स्ट्रेन बनने का खतरा भी कम होगा।
शोध टीम ने पहले से स्वीकृत या प्रचलित दवाओं से नए एंटी-सार्स सीओवी 2 मोलेक्यूल खोजने के मकसद से दवा को पर्पस करने की रणनीति अपनाई। दवा विकसित करने के थकाऊ लंबा समय लेने वाले और महंगे अध्ययन के बिना दवा को रीपर्पस करने पर आधारित मोलेक्यूलर थिरैपी क्लिनिकल ट्रायल के लिए तैयार है। आईआईटी रुड़की की टीम ने दवा को पस कर कैंसर की दवा आईएनसी 28060 एंटी-डायबेटिक मोलेक्यूल डालिटाजोन और प्राकृतिक फाइटोकेमिकल कोलम्बियानादिन की खोज की जिनमें सूजन और कैंसर का प्रभाव कम करने के गुण हैं और जो कोविद 19 वायरस पर असरदार है।
इस सिलसिले में प्रो. प्रवीन्द्र कुमार, प्रमुख, बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग, आईआईटी रुड़की ने बताया “हम ने इन मॉलेक्यूल की बाइडिंग क्षमताओं के आधार पर चुने हुए मोलेक्यूल को कैरेक्टराइज किया है। इस तरह प्रायोगिक पद्धतियों जैसे कि आइसोथर्मल टाइट्रेशन कैलोरीनेट्री उनके एन्जॉन डिस्ट्रिब्यूशन, मेटाबॉलिज्म और एक्सक्रीशन (एडीएमई) गुणों का सिमुलेशन अध्ययन और इसके बाद सेल आधारित एंटीवायरल परीक्षण किया गया। इस अध्ययन को विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के इंटेसिफिकेशन ऑफ रिसर्च इन हाथ प्रायरिटी एरियाज (आईआरएचपीए) प्रोग्राम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार का सहयोग प्राप्त है। प्रो. प्रवीन्द्र कुमार ने बताया, ‘हम ने कई प्रोटीनों को टार्गेट करने वाले जिन एंटीवायरल की पहचान की है ये सार्स सीओपी 2 और इसके उमरते वैरियंट के लिए एंटीवायरल थिरैपी विकसित करने का मार्गदर्शन करेंगे।”
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