कोटद्वार / गढ़वाल : उत्तराखंड विकास पार्टी का मानना है कि चीन और नेपाल के साथ भारत के उलझते सीमा विवादों से सीमाओं पर सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की जरूरत ज्यादा महसूस होने लगी है। उत्तराखंड की सीमाएं चीन और नेपाल से मिलती हुई है और उत्तराखंड स्थित लिपुलेख आदि जगहों को नेपाल ने अपने नक्शे में दिखा उत्तराखंड की सीमा के बगल में निर्माण कार्य एवं सैन्य बल बढ़ा दिया है। ऐसे में उत्तराखंड की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए बिजली, पानी और सड़क तीन मुख्य कारकों का उत्तराखंड की सीमा तक सही ढंग से निर्माण एवं संचालन सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो गया है।
उविपा ने कहा कि यह सब जानते हैं कि कोविड-19 की आपदा की वजह से भारत की सरकार आम भारतीय को सहारा देने की कोशिशों में लगी है और करोड़ों लोगों को मुफ्त में राशन उपलब्ध करा रही है। भारत चीन की हजारों किलोमीटर की सीमाओं पर केवल युद्ध के लिए वृहद निर्माण कार्य का भारी भरकम खर्च संभव नहीं है । ऐसे में उत्तराखंड की स्थायी राजधानी गैरसैंण को बनाने से राजधानी के लिए आए हुए धन का उपयोग भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिए सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण सड़कों, बिजली व पानी आदि की बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए हो सकेगा यानी नागरिक सुविधाओं के निर्माण से सैन्य बलों को ये सुविधाएं अपने आप उपलब्ध हो जाएंगी। यानी एक योजना से दो कार्यों की सिद्धि हो जाएगी।
राजधानी होने के नाते गैरसैंण से सीमाओं तक नई सड़कों का निर्माण भी होगा जिसका उपयोग नागरिकों के साथ साथ सैन्य गतिविधियों के लिए भी किया जाएगा। स्थायी राजधानी गैरसैंण का देश की सीमाओं से कम दूरी होने पर चीन और नेपाल की गलत गतिविधियों पर नजर भी रहेगी और तुरंत किसी आदेश का पालन कराने में सुविधा भी उत्पन्न होगी। साथ ही सीमाओं से सटे गांवों और कस्बों का स्वतः विकास होने से सीमा पर पलायन रुकेगा और भारत की सीमायें सुरक्षित रहेंगी।



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