गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले में हो रही भारी बारिश के कारण ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें और पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो रहे है। इससे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रचार में जुटे प्रत्याशियों और उनके समर्थकों प्रचार प्रसार के लिए गांव तक पहुंचना मुश्किल भरा बना हुआ है।
बडे भौगोलिक क्षेत्र वाले 26 जिला पंचायत सदस्य के वार्ड वाले चमोली जिले प्रत्याशियों को ग्रामीण मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए खासा पसीना बहाना पड़ रहा है। पहाड़ों में हो रही लगातार बारिश के चलते गांवों के पैदल रास्ते क्षतिग्रस्त होने के साथ ही फिसलन भरे बने हुए है। जिला पंचायत का एक वार्ड तो 20 से 25 गांवों को मिलाकर बना है। ऐसे में प्रत्याशियों को नदी घाटियों को पार कर ग्रामीण इलाकों के पैदल रास्तों से गुजरना पड़ रहा है। महिला प्रत्याशियों को तो और भी दिक्कतें झेलनी पड़ रही है। खासकर उफनते नदी नालों को पार करने में। मौजूदा समय में चमोली जिले के 14 तो लिंक मोटर मार्ग बाधित चल रहे वहीं गांवों के पैदल रास्तों के तो हाल ही बुरे है। हालांकि प्रशासन ने मोटर मार्ग खोलने के लिए जेसीबी लगाई गई है लेकिन आए दिन होती भारी बारिश के कारण पहाड़ी से होते भू-स्खलन से सड़कों को खोलने में भारी दिक्कते सामने आ रही है। अभी जब लिंक मोटर मार्गों के खोलने में ही कार्यदायी संस्थाओं को पसीना बहाना पड़ रहा है तब ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के पैदल मार्गों समय से ठीक किया जाना एक डेढी खीर ही नजर आ रही है।
सड़कों और पैदल रास्तों के क्षतिग्रस्त मार्गों की सबसे ज्यादा मार जिला पंचायत सदस्यों के प्रत्याशियों पर ही पड़ रही है। एक गांव से दूसरे गांव पहुंचना जोखिम भरा बना हुआ है। हालांकि क्षेत्र पंचायत और ग्राम प्रधान पद के प्रत्याशियों को इतनी मुश्किले नहीं आ रही है क्योंकि बीडीसी मेम्बर का क्षेत्र दो से तीन गांव का होता है और ग्राम प्रधान के लिए एक या दो गांव जो कि अगल-बगल ही होते हैं लेकिन जिला पंचायत सदस्य के लिए 20 से 25 गांवों तक इस बरसाती मौसम में पहुंचना सबसे ज्यादा मुश्किल भरा है। कुल मिलाकर जिला पंचायत सदस्यों की परीक्षा मतदाता ही नहीं बल्कि जोखिम भरे क्षतिग्रस्त रास्ते भी ले रहे है। अब देखना यह है कि ऐसे हालात में कौन बाजी मार ले जाता है।


