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स्वामित्व संपत्ति कार्ड : ग्रामीण संपदाओं के आर्थिक लाभ का माध्‍यम

लेखक : डॉ. बिजय कुमार बेहरा, आर्थिक सलाहकार, पंचायती राज मंत्रालय

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posted on : दिसम्बर 27, 2024 2:32 पूर्वाह्न

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर 24 अप्रैल 2020 को स्वामित्व योजना शुरू की गई। यह योजना ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने की एक ऐतिहासिक पहल है। इसका उद्देश्‍य देश के सभी बसावट वालेक्षेत्रों में प्रत्येक ग्रामीण घर के मालिक को “अधिकार पत्र” प्रदान करना था। यह परिवर्तनकारी योजना ग्रामीण संपदाओं से आर्थिक लाभ प्राप्‍ति के द्वार खोल रही है और व्यापक तौर पर ग्राम-स्तरीय योजना को बढ़ावा दे रही है। अपने चरणबद्ध कार्यान्वयनद्वारा यह योजनाभूमि प्रशासन में क्रांति ला रही है और ग्रामीण समुदायों में आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रही है।

भूमि अधिकांश आर्थिक गतिविधियों के लिए आधारशिला के रूप में कार्य करती है।यह विकास और समृद्धि का आधार भी बनती है। ग्रामीण भारत के बसावट वाले क्षेत्र (आबादी वाली भूमि) लंबे समय से महत्वपूर्ण सुधारों से अछूते रहे हैं। सीमित सर्वेक्षण किए जाने और सटीक मानचित्र उपलब्ध न होने के कारण, इन क्षेत्रों में संभावित संपत्ति स्वामित्व, अनसुलझे विवाद और संस्थागत ऋण तक पहुंच की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।

भूमि प्रशासन में इस कमी के कारण ग्रामीण लोग गैर-संस्थागत ऋणदाताओं पर निर्भर होते थे।ऐसे ऋणदाता अत्यधिक ब्याज दर पर वसूली करते थे।इससे गरीबी और वित्तीय असुरक्षा बढ़ती गई। इन चुनौतियों को पहचानते हुए, राज्य राजस्व या पंचायती राज अधिनियमों द्वारा समर्थित संपत्ति कार्ड जारी करने के लिए स्वामित्व योजना की अवधारणा बनाई गई थी। ये कार्ड स्वामित्व का औपचारिक दस्तावेजीकरण प्रदान करते हैं।इसके द्वारा वित्तीय समावेशन और सतत ग्रामीण विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।

स्वामित्व योजना को पहले छह राज्यों-महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में पायलट चरण में शुरू किया गया था। माननीय प्रधानमंत्री ने 11 अक्टूबर,2020 को763गांवों में लगभग एक लाख संपत्ति मालिकों को स्‍वामित्‍व कार्ड वितरित किए। शुरूआती सफलता के बादइस योजना को 24 अप्रैल,2021 को पूरे देश में लागू किया गया। आज तक 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों के सर्वेक्षण में समन्वित प्रयास सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

उन्नत ड्रोन तकनीक को अपनाना इस योजना की सफलता का आधार है। आबादी क्षेत्रों के हाई-रिजॉल्यूशन वाले नक्शे तैयार किए जाते हैं, जिससे संपत्ति का सटीक चित्रण संभव होता है। यह तकनीकी क्रियाकलाप ग्रामीण संपत्तियों के दस्तावेजीकरण में सटीकता, पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करता है।

संपत्ति कार्ड जारी करने से ग्रामीण क्षेत्रों में अप्रयुक्त आर्थिक क्षमता का लाभ मिल रहा है। संपत्ति के मालिक अब व्यवसाय का विस्तार करने, बेहतर आवास में निवेश करने या कृषि उत्पादकता में सुधार करने के लिए बैंक ऋण प्राप्त करके अपनी संपत्ति का आर्थिक लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं। यह बदलाव अनौपचारिक ऋणदाताओं पर निर्भरता को कम करने के साथ ही वित्तीय स्वतंत्रता की संस्कृति को बढ़ावा भी दे रहा है। इसके अलावा, सटीक भूमि रिकॉर्ड की उपलब्धता संपत्ति विवादों को कम कर रही है।ऐसे विवादों ने ग्रामीण समुदायों पर अत्‍यधिक बोझ डाला है और न्यायिक प्रणालियों को अवरुद्ध किया है। स्वामित्व योजना संघर्ष को कम करकेसामाजिक सद्भाव को बढ़ावा दे रही है और सामुदायिक संबंधों को सुचारू बना रही है।

वित्तीय सशक्तिकरण के अलावा,स्वामित्व योजना एक सुव्‍यवस्थित ग्राम विकास को आगे बढ़ा रही है। विस्तृत मानचित्रों का निर्माण संभव होने से स्थानिक नियोजन और पंचायतों में विकास नियंत्रण विनियमन (डीसीआर) की शुरूआत को बल मिला है। ये उपाय असंगठित विकास को औपचारिक बनाते हैं और भूमि का मनोनुकूल इस्‍तेमाल सुनिश्चित करते हैं। बिल्डिंग परमिशन सिस्टम कायम होने से सुरक्षा मानक और भी अधिक बढ़े हैं और सौंदर्य तथा संरचनात्मक रूप से सशक्‍त निर्माण को बढ़ावा भी मिला है। योजना से मिलने वाला योगदान सतत विकास लक्ष्य 11 के अनुकूल है।यह “स्थायी शहरों और समुदायों” पर जोर देता है। नियोजित विकास और टिकाऊ प्रणालियों को प्रोत्साहित करके, स्वामित्व योजना ग्रामीण क्षेत्रों को आर्थिक गतिविधि के केंद्र बनाने के साथ-साथ उन्‍हें बेहतर जीवन स्तर के रूप में विकसित कर रही है।

स्वामित्व योजना ग्रामीण विकास में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका को मजबूत करती है। सटीक भूमि रिकॉर्ड बेहतर शासन के लिए आधार के रूप में काम करते हैं।इससे डेटा-संचालित निर्णय लेने और सरकारी योजनाओं के कुशल कार्यान्वयन को सक्षम बनाने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त, बिल्डिंग परमिशन सिस्टम और अन्य पहलों के माध्यम से उत्पन्न राजस्व पंचायतों के स्वयं के स्रोत राजस्व (ओएसआर) में योगदान मिलता है और उनकी वित्तीय स्वायत्तता बढ़ती है।

अब तकदेश भर में लाखों स्‍वामित्‍व कार्ड वितरित किए जा चुके हैं।यह इस योजना के व्यापक प्रभाव को दर्शाता है। ये प्रयास आर्थिक विकेंद्रीकरण और जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को चिन्‍हित करते हैं। प्रधानमंत्री 27 दिसम्‍बर 2024 को एक ही दिन में 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 50,000 से अधिक गांवों में 58 लाख स्‍वामित्‍व कार्डों के ई-वितरण का शुभारंभ करके इतिहास रचेंगे औरइस योजना के तहत 2 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्डों के निर्माण और वितरण का एक और मील का पत्थर हासिल होगा। यह माननीय प्रधानमंत्री के विज़न को साकार करता है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करता है और वित्तीय समावेशन, आत्मनिर्भरता और ग्रामीण भारत में उद्यमिता, रोजगार और व्यवसाय की स्थापना के अवसरों के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता (संकल्प) को प्रदर्शित करता है। स्वामित्व योजना ग्रामीण संपत्तियों का आर्थिक लाभ प्राप्‍त करने केतकनीकी क्रियाकलापों की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रमाण है। यह योजना ग्रामीण परिवारों को सशक्त बनाती है और विकसित भारत में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी मजबूत करती है।

स्वामित्व एक योजना से कहीं अधिक है।यह एक आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत के लिए एक विजन है। ग्रामीणों को उनकी संपत्तियों को भुनाने के लिए उपकरण प्रदान करके, यह उद्यमशीलता और नवाचार को बढ़ावा देता है। जैसे-जैसे ग्रामीण क्षेत्र आर्थिक रूप से अधिक जीवंत होते जाते हैं, वे राष्ट्र के समग्र विकास पथ में योगदान करते हैं।

स्वामित्व योजना की सफलता इसके निरंतर विकास की मांग करती है। जागरूकता अभियानों का विस्तार यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक पात्र ग्रामीण परिवार संपत्ति कार्ड से लाभान्वित हो। वित्तीय संस्थानों के साथ सहयोग द्वारा ऋण तक पहुंचना और सरल बन सकता है। वहीं, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) जैसी नई तकनीकों को आपस में जोड़कर ग्रामीण नियोजन के लिए डेटा विश्लेषण को बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, योजना की संरचना समान भूमि प्रशासन संबंधी चुनौतियों से जूझ रहे अन्य देशों के लिए एक मॉडल हो सकती है। इस क्षेत्र में भारत का नेतृत्व इसे ग्रामीण विकास के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित करता है।

स्वामित्व संपत्ति कार्ड पहल सिर्फ एक दस्तावेजीकरण अभियान से कहीं ज्‍यादा है। यह ग्रामीण संपत्तियों का आर्थिक लाभ प्राप्‍त करने, वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और समग्र ग्राम विकास को सक्षम करने का एक सशक्‍त माध्‍यम है। भूमि प्रशासन में लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों का समाधान करके, यह ग्रामीण समुदायों को गरीबी के चक्र से मुक्त होने और विकास के अवसरों को अपनाने के लिए सशक्त बना रहा है। यह योजना तेजी से आगे बढ़ रही है।यह अभिनव नीति निर्माण और तकनीकी क्रियाकलाप की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रमाण बन रही है। स्वामित्व के ज़रिए, एक समृद्ध, आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत का सपना निरंतर साकार हो रहा है।

वित्तीय समावेशन और उद्यमिता को बढ़ावा

स्वामित्व संपत्ति कार्ड जारी होने से लाखों ग्रामीण परिवारों के पास अब एक मान्यता प्राप्त वित्तीय संपत्ति उपलब्‍ध है। इसने (i) ग्रामीण भारत में छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) का फलना-फूलना, (ii) ग्रामीण परिवारों को शिक्षा, आवास या व्यवसाय शुरू करने के लिए बैंक ऋण सुरक्षित करना, और (iii) बेहतर घरेलू आय और आर्थिक स्वतंत्रतानिम्नलिखित के लिए रास्ते खोले हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान मेंसंपत्ति मालिकों ने बैंक ऋण प्राप्त करने, आवास सुविधा में निवेश करने और परिवार द्वारा संचालित व्यवसायों का समर्थन करने के लिए स्वामित्व कार्ड का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।

ग्रामीण संपदाओं की आर्थिक संभावनाओं के द्वार खुले

स्वामित्व संपत्ति कार्ड केवल एक दस्तावेज नहीं है – यह वित्तीय स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण की कुंजी है। प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों और सहभागी शासन का लाभ उठाकर, इस योजना ने ग्रामीण संपदाओं की आर्थिक संभावनाओंके द्वार खोले हैं।इससे उद्यमिता, रोजगार और बेहतर आजीविका के अवसर पैदा हुए हैं। जैसे-जैसे यह पहल विकसित होती जा रही है, यह एक मजबूत, सशक्त और आर्थिक रूप से जीवंत ग्रामीण भारत के निर्माण के लिए भारत के संकल्प (संकल्प) का प्रतीक बनती जारही है।

  • लेखक : डॉ. बिजय कुमार बेहरा, आर्थिक सलाहकार, पंचायती राज मंत्रालय

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