देहरादून : जैसा कि आपने पढ़ा, जब कौवा अस्वस्थ महसूस करता है, तो वह चींटियों के घोंसले के पास बैठ जाता है, अपने पंख फैलाता है, स्थिर रहता है, और चींटियों को अपने ऊपर हमला करने देता है। वे ऐसा एक शक्तिशाली कारण से करते हैं: चींटियाँ उसके शरीर पर फॉर्मिक एसिड का छिड़काव करती हैं, जो एक प्राकृतिक एंटीपैरासिटिक के रूप में कार्य करता है। यह एसिड कौवे को कवक, बैक्टीरिया और परजीवियों को खत्म करने में मदद करता है, जिससे उसे दवा की आवश्यकता के बिना ही ठीक होने में मदद मिलती है।
इस व्यवहार को एटिंग (Anting}) कहतें हैं। एंटिंग एक पक्षी का व्यवहार है, जिसमें वे अपने पंखों पर चींटियों या अन्य कीटों को लगाते हैं। यह अक्सर दो तरीकों से किया जाता है: सक्रिय रूप से चींटियों को उठाना और उन्हें अपने पंखों पर रगड़ना, या निष्क्रिय रूप से चींटियों को अपने ऊपर रेंगने देना। इस व्यवहार का प्राथमिक कारण, संवारना और परजीवी नियंत्रण माना जाता है, क्योंकि चींटियाँ फॉर्मिक एसिड का स्राव करती हैं, जो एक प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में कार्य करता है। यह जानवरों की स्व-चिकित्सा का एक अविश्वसनीय उदाहरण है। प्रकृति अपने इन मौन बुद्धियुक्त उदाहरणों से हमें आश्चर्यचकित करना कभी नहीं छोडती है!
- लेखक : नरेन्द्र सिंह चौधरी, भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. इनके द्वारा वन एवं वन्यजीव के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं.


