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पृथ्वी दिवस पर ले एक संकल्प अपने जीवन से हटाये प्लास्टिक

लेखक : नरेन्द्र सिंह चौधरी, भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. इनके द्वारा वन एवं वन्यजीव के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं.

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posted on : अप्रैल 22, 2024 9:55 पूर्वाह्न
देहरादून : पृथ्वी दिवस है। आज का थीम Plastic vs Planet है। आइये, आज इस समीचीन विषय पर थोड़ा चिन्तन करें और संकल्प करें कि हम अपने घर में कोई प्लास्टिक लेकर नहीं आएंगे।तेजी से बढ़ता प्रदूषण मानव जीवन के लिए ही नहीं पूरी दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है। पलास्टिक का बढ़ता उपयोग भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। प्लास्टिक प्रदूषण में सबसे ज्यादा योगदान प्लास्टिक की थैलियों (polythene bags) का होता है। आम तौर पर उपयोग में लायी जाने वाली ये पॉलीथिन की थैलियां सैकड़ों सालों तक न गलती है और न नष्ट होती हैं जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है।
हमें सभी एकल उपयोग प्लास्टिक को तेजी से समाप्त करने का सामाजिक आंदोलन चलाना चाहिए। प्लास्टिक उत्पादन अब प्रति वर्ष 380 मिलियन टन से अधिक हो गया है। पिछले दस वर्षों में जितना प्लास्टिक का उत्पादन हुआ है, उतना पूरी 20वीं सदी में नहीं हुआ था। पॉलीथिन के बैग्स पानी के साथ समुद्र में चले जाते है जिससे समुद्री जीव जंतुओं के जीवन पर खतरे का कारक बन जातें हैं, जिससे पूरा इको सिस्टम ही गड़बड़ा गया है।

आइये जानते हैं प्लास्टिक बैग्स से होने वाले नुकसान और खतरे के बारे में…

  • प्लास्टिक बैग्स बर्न करने पर हार्मफुल गैसेस निकालती हैं।
  • प्लास्टिक बैग्स को ब्रेकडाउन होने में हजारों साल लगते हैं।
  • प्लास्टिक बैग्स जब अल्ट्रावॉयलेट रेज के संपर्क में आती हैं तो उनसे ग्रीन हाउस गैस निकलती है।
  • ये पालतू पशुओं से लेकर वन्यजीवों और समुद्री जीवों तक के लिए खतरनाक हैं।
  • ये एनवायरमेंट फ्रेंडली नहीं होने के साथ साथ काफी कम टिकाऊ होते हैं इसलिए बहुत जल्दी और बहुत ज्यादा वेस्ट बनाते हैं।
  • प्लास्टिक बैग्स में इस्तेमाल किया गया डाई खाने को जल्दी खराब कर देता है।
  • प्लास्टिक बैग्स के कारण कृषि भूमि को नुकसान पहुंचता है।
  • प्लास्टिक बैग्स का कचरा ग्राउंड वाटर को भी दूषित कर देता है।

पॉलीथिन बैग्स के उपयोग से क्षति

  • पॉलीथिन बैग्स के कारण हर साल लाखों जीव जंतुओं की मौत हो जाती है। इनमें बड़ी संख्या व्हेल, डॉल्फिन, कछुओं पेंग्विनों की होती है जो खाने के साथ प्लास्टिक के बैग्स निगल लेते हैं।
  • प्लास्टिक को पूरी तरह से डीकंपोज होने में सैकड़ों साल लगते हैं, प्लास्टिक की थैलियां सबसे जल्दी वेस्ट में बदल जाती है लेकिन डीकंपोज नहीं होने के कारण जल, भूमि यहां तक कि ग्राउंड वाटर को भी प्रदूषित करती है।
  • प्लास्टिक की बैग्स में स्टोर किया गया या रखा हुआ खाना बहुत जल्दी खराब होने लगता है। प्लास्टिक के तत्वों के भोजन में मिल जाने से अस्थमा, मोटापा और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
  • यहां तक कि प्लास्टिक निर्माण के समय निकलने वाली जहरीली गैस पर्यावरण को प्रदूषित करती है।
  • प्लास्टिक बैग्स ड्रेनेज सिस्टम के लिए खतरा बन चुकी हैं।
  • प्रेगनेंसी के दौरान प्लास्टिक बैग्स के संपर्क में आने से बच्चे में जटिलताएं आने का खतरा होता है।
  • प्लास्टिक बैग्स के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले कैमिकल्स का महिलाओं के रिपोडक्शन हेल्थ पर खराब प्रभाव पड़ रहा है।
  • प्लास्टिक बैग्स पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ रहा है।
  • पॉलीथिन हमारे जीवन में संकट का कारक है, अतः इस जिन्न को बोतल में बन्द करके ईको ब्रिक बनायें और इनका उपयोग किसी निर्माण में करें।
हमारी पारिस्थितिकी के संरक्षण को अब परोपकारिता या हमारी उदारता की अभिव्यक्ति के रूप में नहीं, बल्कि एक सख्त आवश्यकता के रूप में देखा जाना चाहिए। यद्यपि वर्तमान संरक्षण परिदृश्य चिंता बढ़ाता है, जैव विविधता पर हमला जारी है। आर्द्रभूमियों पर अतिक्रमण किया जा रहा है, वन्यजीव गलियारे गायब हो रहे हैं, नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो रहा है और मिट्टी से उसके पोषक तत्व छीने जा रहे हैं। कृपया पॉलीथिन थैली कदापि घर में न लायें। मैंने लगभग बीस वर्ष पूर्व यह संकल्प लिया था, जिसके सकारात्मक परिवर्तन मेरे जीवन में हुये हैं। हमें अपने घर को एक ‘हरित घर’ के रूप में विकसित करना चाहिए।

शुभ पृथ्वी दिवस!!

लेखक : नरेन्द्र सिंह चौधरी, भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. इनके द्वारा वन एवं वन्यजीव के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं.

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