नई दिल्ली : 21 जून को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना है। यह साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा। इसे कंकनाकृति , वलयाकार या रिंग्स ऑफ फायर ग्रहण के नाम से भी जाना जाता है। यह रविवार को दिखाई देगा। साल का पहला सूर्य ग्रहण ग्रीष्म संक्रांति में लग रहा है, जो उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन है।
21 जून को जो सूर्य ग्रहण होगा वह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। 21 जून रविवार को साल का पहला सूर्यग्रहण लगने जा रहा है जो पूरे 5 घंटे 48 मिनट का होगा लेकिन भारत में यह केवल 3 घंटे 26 मिनट तक दृश्य रहेगा। रविवार 21 जून को इस साल का पहला सूर्य ग्रहण प्रातः 9 बजकर 15 मिनट पर लगेगा और दोपहर 3 बजकर 5 मिनट तक रहेगा। रविवार को यह वलयाकार ग्रहण दोपहर 12:15 पर चरम सीमा पर होगा।
इस ग्रहण में चंद्रमा सूर्य का करीब 99 प्रतिशत भाग ढक लेगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण में सूर्य कंगन की भांति दिखाई देगा। इसमें सूर्य का सबसे सबसे बाहरी हिस्सा दिखाई देगा जबकि बीच का हिस्सा चंद्रमा के द्वारा छिप जाएगा। यह सूर्य ग्रहण भारत समेत एशिया के कई देशों नेपाल, पाकिस्तान, अफ्रीका, सऊदी अरब, यूऐई, और इथोपिया में दिखाई देगा।
क्या होता है वलयाकार सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है, जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है।
सूर्य ग्रहण तीन तरह का होता है। पूर्ण, वलयाकार और आंशिक सूर्य ग्रहण। जब चंद्रमा पूरी तरह से सूरज को ढ़क लेता है तब पृथ्वी पर अंधेरा छा जाता है। इस स्थिति में ग्रहण को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है। आंशिक सूर्य ग्रहण- जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह नहीं ढंक पाता तो इसे खंडग्रास या आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण- वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य का करीब 99 प्रतिशत भाग ढक लेता है और सूर्य का कुछ बाहरी हिस्सा ही दिखाई देता है। इसमें सूर्य का बाहरी हिस्सा गोलाई में एक चमकदार कंगन की तरह दिखाई देता है और बीच के हिस्से में छाया रहती है। इसे ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
लेखक: पीयूष गुप्ता, सहायक वास्तविक समय सूचना विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय
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