कालागढ़ (कुमार दीपक): कालागढ़ रामगंगा बैराज पर नदी के की किनारे इन दिनों मगरमच्छ धूप सेकते नजर आ रहे है । जहाँ एक तरफ़ यह वन व वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है तो वही जिस क्षेत्र में यह नजर आ रहे है वह आबादी से सटा हुआ है जिससे आबादी को भी खतरा बना हुआ है ।
अफजलगढ़ कालागढ़ स्टील बैराज के उत्तर की तरफ कॉर्बेट नेशनल पार्क का प्रतिबंधित क्षेत्र है । जहाँ बिना अनुमति के जाना मना है बैराज के उसी तरफ रामगंगा नदी के किनारे पर मगरमच्छ धूप सेकते नजर आ रहे है इनकी संख्या लगभग 3 बतायी जा रही है । बेहद खूंखार और खूबसूरत इन प्राणीयो को बैराज के ऊपर से ही देखा जा सकता है । इससे वन विभाग कालागढ़ में तो खुशी की लहर है परंतु इनसे लोगों को खतरा भी बना हुआ है। बता दे कि रामगंगा नदी को बांध बना कर ऊपर रोक दिया जाता है जहाँ अधिकांश जलीय जीव व पानी के शिकारी सीमित हो जाते है अब बांध के इस तरफ इन जीवों का दिखना जितना दुर्लभ है उतना ही खतरनाक भी ।
“डायनासोर के वंशज है मगरमच्छ”
पीठ पर मोटी उठी हुई गांठे छोटे नुकीले पंजो वाले पैर बेहद नुकीली व लंबी पूँछ और मासूम सा दिखने वाला लम्बा चेहरा यदि ऐसा जीव आपको कही दिखे तो समझ लीजिए वह मगरमच्छ है । आदिकाल युग से ही मगरमच्छ धरती पर मौजूद है । हिम युग में जब डायनासोर ने अपना अस्तित्व पृथ्वी से हमेशा के लिए खो दिया तब मगरमच्छ ने अपने शरीर में आश्चर्यजनक बदलाब किये व खुद को उस युग मे किसी तरह जीवित बचा लिया । उसमे बाद इनके शरीर मे कई तरह के क्रमिक विकास हुए
जरूरत के हिसाब ने इनका शरीर छोटा हो गया और आधुनिक युग के हिसाब से खुद को ढाल लिया | इनके खूंखार जबड़े में करीब 82 दांत होते है जिसमे एक बार किसी के फसने के बाद छूटने की संभावना ना के बराबर होती है ठंडे खून का यह जीव का जीवनकाल लगभग 45 से 70 वर्ष का होता है और इनका वजन 500 किलो से भी अधिक हो सकता है । मगरमच्छ में शांत रहकर सांस रोकर पानी के अंदर रहने की अदभुत क्षमता होती है जिसका फायदा उठाकर यह पानी की ऊपरी सतह पर बेहतर छद्मावरण के साथ छुपे रहते है और जैसे ही कोई जीव पानी पीने के लिए पास आता है उस पर अचानक हमला करके अपने जबड़े में फसां लेते है । ऐसी ही कई घटना कॉर्बेट नेशनल पार्क की कई रेंज में हो चुकी है जहाँ मगरमच्छ द्वारा इंसान को पानी मे खींच लिया गया हो ।
“इस पर वन्यजीव विशेषज्ञ राजेश भट्ट ने बताया कि मगरों व घड़ियालों की संख्या बहुत तेजी से घटी थी इनका अवैध शिकार किया गया परन्तु पिछले कुछ समय मे वन विभाग द्वारा किये गये कार्यो से इनको संरक्षित किया गया । जिससे इनकी संख्या अब ठीक हो गयी है । मगरों व घड़ियालों के संरक्षण के लिए कतर्नियाघाट और पश्चिमी घाट जैसी जगहों पर अभयारण्य बनाये गए है । जहाँ ये ठीक से फल फूल रहे है ।”
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