अवैध खननकारियों से वसूला जाए जैव विविधता संरक्षित करने का खर्च
कोटद्वार : उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गठित जैव विविधता एवम पर्यावरण समिति जिसके सदस्य एवम अध्यक्ष नगर निगम के पार्षद होते हैं और सचिव डिप्युटी रेंजर है । इस समिति का कोटद्वार में अध्यक्ष राकेश बिष्ट , सचिव डिप्टी रेंजर दीपक रावत एवम सदस्य पार्षद विजेता नेगी, मीनाक्षी कोटनाला, सुखपाल शाह, सौरभ नौडियाल व विपिन डोबरियाल हैं । समिति के द्वारा बताया गया कि उन्होंने खोह, सुखरों और मालन नदियों का सर्वेक्षण किया ।
पार्षद विपिन डोबरियाल द्वारा लाइव एसकेजी न्यूज़ को बताया गया कि खनन के पट्टाधारकों द्वारा खनन नियमावली का उलंघन कर नदियों के किनारे खोद दिए गए हैं जिससे किनारे पर बनाई गई सुरक्षा दीवारें क्षतिग्रस्त हो गईं हैं और कमजोर पड़ गईं हैं। खनन की शर्तों में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि नदी के बीच मे ही खनन होगा मगर पट्टेदारों ने नदी के बीच मे न खोद कर नदी के किनारे खोद दिए हैं जो नियमों का उलंघन है और कोटद्वार प्रशासन द्वारा इस तरफ से आंखें मूंद ली गई हैं , जबकि नियमतः नदी किनारे खोदने पर और तीन मीटर की बजाय सात आठ मीटर खोदने पर पट्टे स्वतः ही निरस्त माने जाते हैं पर प्रशासन अज्ञात दबाव के कारण पट्टा निरस्त नहीं कर रहा है।
पार्षद विपिन डोबरियाल द्वारा बताया गया कि नदी के किनारे खोदे जाने से एवम जरूरत से कई गुना ज्यादा खोदे जाने से नदी की जैव विविधता खत्म हो गई है। इसकी जैव विविधता को पुनः संरक्षित करने के लिए पच्चीस से पचास करोड़ तक का खर्च आ सकता है जिसको पट्टेदारों और अवैध खनन के जिम्मेदार अधिकारियों से वसूल करने के लिए एनजीटी को पत्र भेजा जाएगा।
समिति के अध्यक्ष राकेश बिष्ट ने बताया कि नदी के बीच में खोदने की बजाय नदी के किनारे खोद दिए गये है जिससे नदी को नुकसान हुआ ।
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