देहरादून : अब हमें पॉवरफुल की विल पॉवर वाला बनना होगा। विल पॉवर रखकर ही वाइड पॉवर वाला बन सकते है । हमारे पास विल पॉवर तो है अब लेकिन अब वाइड पॉवर भी रखने की जरूरत है। अभी लोग हमें बहुत उम्मीद से देख रहे है कुछ दिनों बाद हमारी सफलता भी देखेंगे। क्योकि आज हमें अपना भविष्य भी दिख रहा है और दुसरो का भी भविष्य दिख रहा है।
जब हम अपने सम्पूर्ण गुणों के साथ प्रत्यक्ष होंगे तभी अपने को प्रख्यात कर सकेंगे। क्योकि अब हमने विश्व विजेयता बनने का लक्ष्य रख लिया है। इसके लिये हमें शक्तिरूप बनना है। शक्ति की विशेषता होती है,जितना प्रेम रूप उतना ही विकराल रुप, जितना सृजन रूप उतना ही संहार रूप। बहादुर शक्ति शेर रूप में होते है। ये कब करेंगे नही अब करेंगे बोलते है। कब शब्द कमजोरी का प्रतीक है।
जो स्वयं झुकेंगे उनके सामने दूसरे कैसे झुकेंगे। क्योकि अब हमारा उद्देश्य बदल गया है। पूरे विश्व को झुकाना हमारा उद्देश्य है। बहादुर शेर व्यक्ति का एक भी बोल और संकल्प व्यर्थ नही जाता है। उनके एक -एक बोल और संकल्प में स्वयं का और सर्व का कल्याण छिपा होता है। चेक करें कि इस दिशा में हमने अभी तक कितना सफल अथवा हुए है।
शुद्ध संकल्पो से अब हमें दुसरो को प्रभावित और आकर्षित करने में अधिक मेहनत की जरुरत नही होगी। इसके लिये हमें टीम टिमटिमाते हुए दीपक की जगह दूर तक रोशनी फेकने वाले सर्च लाइट बनना है। लाइट हाउस बनकर स्वयं प्रकाशित होना है और दूसरों को प्रकाशित करना है।
लक्ष्य पर ऐसा तीर लगाए की तीर सहित पक्षी सामने गिर जाए।
अव्यक्त महावाक्य बाप दादा
2 जुलाई 1970
लेखक : मनोज श्रीवास्तव, प्रभारी मीडिया सेंटर विधान सभा देहरादून।
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