देहरादून : आजकल लोग स्पष्ट कहते हैं कि सच्चे लोगों का चलना ही मुश्किल है, झूठ बोलना ही पड़ता है । बिना झूठ बोल कार्य हो ही नही सकता है। लेकिन कई बार, कई परिस्थितियों में, महान व्यक्ति भी मुख से तो नहीं बोलते है, लेकिन अंदर समझते है कि कहां-कहां हमे चतुराई से तो चलना ही पड़ता है। इसको झूठ नहीं कहते लेकिन चतुराई कहते हैं।
प्रश्न है, चतुराई क्या है? यह तो करना ही पड़ता है! तो वह स्पष्ट बोलते हैं और महान व्यक्ति रॉयल भाषा में बोलते हैं। फिर कहते हैं कि यह तो मेरा स्वभाव था, लेकिन यह कहने का मेरा भाव नहीं था, ना भावना थी। लेकिन इसके सब होते हुए भी हमे करना ही पड़ता है, चलना ही पड़ता है। लेकिन गांधी जी जैसे महान व्यक्ति सत्यता व पवित्रता बनाये रखने के लिए उन्हें बहुत अपोजीशन का सामना करना पड़ा फिरभी उन्होनो चालाकी सब कार्य किया !
लोगों ने कितनी राय दी कि आप सीधा ऐसे नहीं कहो कि पवित्र रहना है, यह कहो कि थोड़ा थोड़ा रहो। लेकिन गांधी जी घबराये नही । सत्यता की शक्ति धारण करने में सहनशक्ति की भी आवश्यकता है। सहन करना पड़ता है, झुकना पड़ता है, हार माननी पड़ती है लेकिन वह हार नहीं है, उस समय के लिए हार लगती है लेकिन है सदा की विजय। झुकना ही दूसरों को झुकाना है।नम्रता यदि स्वमान के साथ हो कमजोरी नही शक्ति का प्रतीक होता है।
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