सत्यता की अथॉरिटी : सत्यता कभी हिलती नहीं बल्कि अचल होती है।
देहरादून : सबसे बड़े से बड़ी शक्ति वा अथॉरिटी सत्यता की है। सामान्य रूप से, सत दो अर्थ से कहा जाता है , एक सत अर्थात सत्य और दूसरा सत अर्थात अविनाशी। दोनों ही अर्थ से सत्यता की शक्ति सबसे बड़ी है। सत्य को ही परमात्मा कहते हैं अर्थात परमात्मा की विशेषता सत्य अर्थात सत् है।
सत्य ही शिव है। दुनिया में भी कहते हैं सत्यम शिवम सुंदरम। साथ-साथ परमात्मा को सत चित आनंद स्वरूप कहते है। इसलिये सत्यता की शक्ति वाला सदैव आनन्द चित रहता है।
सत्य के लिए गायन है, सत्य की नाव हिलेगी, डोलेगी लेकिन डूबेगी नहीं। लोग भी कहते है कि सच तो बीठो नच। सच्चा अर्थात सत्यता की शक्ति वाला सदा नाचता रहेगा, कभी मुरझाएगा नहीं, उलझेगा नहीं, घबराएगा, कमजोर नहीं होगा।
सत्यता की शक्ति वाला सदा खुशी में नाचता रहेगा। चूंकि सत्यता धारण करने वाला शक्तिशाली होगा और उसमें सामना करने की शक्ति होगी, इसलिए किसी भी परिस्थिति में घबरायेगा नहीं। इसलिए सत्यता को सोने के समान कहते हैं, असत्य को मिट्टी के समान कहते हैं ।
लेखक : मनोज श्रीवास्तव, सहायक निदेशक सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग उत्तराखंड
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