देहरादून : जो स्वयं को धोखा देने वाले होते है वह देते है सभी को धोखा. अपने प्रगति के आदि से अन्त तक का रजिस्टर चेक करना है कि हमने हर सब्जेक्ट में कितने मार्क लिये है। जैसे लक्ष्य स्पष्ट होता है वैसे ही लक्षण भी स्पष्ट दिखाई देने लगते है। निष्पक्ष रूप में जब हम अपने स्वंय के कर्म कहानी की रिजल्ट का रजिस्टर चेक करते है तो पाते है कि बहुत से बातो का हमने भय और लज्जा वश लिखा ही नही है।
अभी तक रजिस्टर के रिजल्ट तीन प्रकार के मिलती है। एक है, छिपाना दूसरा है कहीं ना कहीं फसना और तीसरा है, अलबेलेपन में बहाने बनाना। हम बहानेबाजी में बहुत होशियार है। अपने आप को तथा अपने गलती को छिपाने के लिए बहुत वंडरफुल बाते बनाते है। अभी से अन्त तक देखा जाये और बातो को संग्रह किया जाये तो आजकल के शास्त्रों से भी बडा शास्त्र बन जायेगा।
अपनी गलती को मानने के बजाय हम उसे यर्थाथ सिद्ध करने में अथवा झूठ को सच सिद्ध करने में लग जाते है और आजकल के काले कोट वाले वकीलों की पक्ति में खडे हो जाते है। इस प्रकार हम अपने झूठे केस को लडने में बहुत होशियार बनते है। लेकिन भूल जाते है कि हम अपने आप को सिद्ध करना सदैव के लिए सर्व प्राप्तियों से वंचित होना है। सिद्ध करने वालों में जिद का संस्कार अवश्य होता है।
रजिस्टर में काला दाग पड जाने पर इसको मिटाना मुश्किल हो जाता है। अर्थात एक पाप कर्म अनेक पुण्य कर्मो को भस्म करके शून्य कर देता है। इसके बाद हम इसे बहुत साधारण रूप में वर्णन करते हुए कहते है कि मेरे से चार-पाॅच बार हो चुका है लेकिन आगे से नही करूॅगा। वर्णन करते समय चेहरे पर पश्चताप का रूप तनिक भी नही दिखाई देता है। ऐसा लगता हे कि जैसे कोई साधारण समाचार सूना रहे है।
आज से इस गलती को कड़ी भूल समझकर यदि नही मिटाया तो आगे चलकर कडी सजा के अधिकारी बनेगे। बार-बार अवज्ञा के बोझ से उची स्थिति तक नही पहुच सकते है। इसके परिणाम स्वरूप हम प्राप्ति करने वालों के लाईन के बजाया पश्चाताप करने वालों की लाईन में खडे मिलेगें। यदि पिछली भूलों को दिल से प्श्चाताप करके अपना बोझ मिटा देते है तो आगे की सजाओं से झूट जायेंगे।
यदि हम कोई बात स्वंय से छिपायेंगे और अपने को सच्चा सिद्ध करके चलने की कोशिश करेंगे तो आगे चलकर मन में चिल्लाते रहेंगें कि क्या करूं, खूशी नही मिलती, सफलता नही मिलती, सर्व प्राप्तियों की अनुभूति नही होती। स्वयं को धोखा देने वाले सभी को धोखा देते है और स्वयं को धोखा नही देने वाले किसी को धोखा नही देते है।
कोर्स करने के बाद रिवाईज कोर्स करना पडता है। लेकिन रिवाईज कोर्स के बाद अन्तिम कोर्स है रियलाईजेशन कोर्स। अर्थात अभी तक जो कुछ सूना है जो कुछ पाया है उसे अब अपने अन्दर समा लेना है। चेक करना है कि अभी तक हम केवल सुनने वाले बने है या केवल कोर्स का गुणगान करने वाले बने है अथवा इसको समाने वाले भी बने है।
अव्यक्त बाप-दादा-महा वाक्य मुरली 26 अक्टूबर, 1975
लेखक : मनोज श्रीवास्तव, सहायक निदेशक सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग उत्तराखंड
Discussion about this post