- मनोज श्रीवास्तव
देहरादून : इन्तजाम करने वाले अलर्ट और इन्तजार करने में लापरवाह रहते हैं. माया की चतुराई को इतंजार करने वाले लोग परख नहीं सके हैं। क्योकि इन्तज़ार की मीठी नींद में माया सुला रही है , सोने के संस्कार-वश हो कर कोई तो सेकेण्ड का झुटका खाते हैं और फिर होश में आते हैं, फिर इन्तज़ाम करने के जोश में आ जाते हैं। इसके अलावा और कोई तो कुछ मिनटों के लिये सो भी जाते हैं, फिर जोश और होश में आते हैं। तीसरी प्रकार के लोग काफी आराम से सोते-सोते बीच-बीच मे आँख खोल कर देखते रहते हैं कि के अभी कुछ हुआ, अभी तक तो कुछ नहीं हुआ है। जब होगा तब देखा जायेगा।
लेखक : मनोज श्रीवास्तव, सहायक निदेशक सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग उत्तराखंड