शुक्रवार, मई 16, 2025
  • Advertise with us
  • Contact Us
  • Donate
  • Ourteam
  • About Us
  • E-Paper
  • Video
liveskgnews
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तरप्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • बिहार
  • धर्म
  • रोजगार न्यूज़
  • रोचक
  • विशेष
  • साक्षात्कार
  • सम्पादकीय
  • चुनाव
  • मनोरंजन
  • ऑटो-गैजेट्स
No Result
View All Result
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तरप्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • बिहार
  • धर्म
  • रोजगार न्यूज़
  • रोचक
  • विशेष
  • साक्षात्कार
  • सम्पादकीय
  • चुनाव
  • मनोरंजन
  • ऑटो-गैजेट्स
No Result
View All Result
liveskgnews
16th मई 2025
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तरप्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • बिहार
  • धर्म
  • रोजगार न्यूज़
  • रोचक
  • विशेष
  • साक्षात्कार
  • सम्पादकीय
  • चुनाव
  • मनोरंजन
  • ऑटो-गैजेट्स

स्वच्छ भारत मिशन के लाभों में बेहतर स्वास्थ्य और लोगों का जीवन बचाना भी है शामिल

शेयर करें !
posted on : सितम्बर 13, 2024 12:58 पूर्वाह्न
  • स्वच्छ भारत मिशन न केवल जीवन जीने में आसानी और सम्मान से जुड़ा है, बल्कि इसका योगदान बहुमूल्य जीवन को बचाने में भी है
  • बच्चों के अस्तित्व पर स्वच्छ भारत मिशन का प्रभाव
  • स्वच्छ भारत मिशन सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और लोगों का जीवन बचाता है

नई दिल्ली : स्वच्छता, सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा एक बुनियादी उपाय है। स्वच्छता से डायरिया, हैजा, टाइफाइड, हेपेटाइटिस, कृमि संक्रमण एवं मलाशय संबंधी रोग जैसी जल-जनित बीमारियों के साथ-साथ कुपोषण का खतरा कम हो जाता है। वर्ष 2012 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया था कि स्वच्छता में निवेश किए गए प्रत्येक अमेरिकी डॉलर के एवज में स्वास्थ्य संबंधी लागत में कमी, अधिक उत्पादकता और असामयिक मौतों में कमी के रूप में 5.5 अमेरिकी डॉलर के बराबर का लाभ मिलता है।

भारत में स्वच्छता का इतिहास बहुत पुराना है और इसकी शुरुआत उस सिंधु घाटी सभ्यता से होती है, जहां शौचालय निर्माण एवं अपशिष्ट प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग किया जाता था। हमारे शास्त्रों में कहा गया है– ‘स्वच्छे देहे स्वच्छचित्तं, स्वच्छचित्ते स्वच्छज्ञानम्’ यानी स्वच्छ शरीर में शुद्ध मन का निवास होता है और शुद्ध मन में सच्चे ज्ञान का निवास होता है। इस समृद्ध विरासत के बावजूद, व्यापक स्वच्छता की दिशा में भारत की यात्रा चुनौतियों से भरी रही है। वर्ष 1981 की जनगणना के समय तक, मात्र एक प्रतिशत ग्रामीण घरों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध थी। इस हकीकत ने भारत सरकार द्वारा विभिन्न स्वच्छता कार्यक्रमों- केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम, संपूर्ण स्वच्छता अभियान और निर्मल भारत अभियान- के शुभारंभ का मार्ग प्रशस्त किया। इन सभी कार्यक्रमों की सहायता से ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता कवरेज 39 प्रतिशत तक पहुंच गया। दुनिया भर में होने वाले खुले में शौच का लगभग 60 प्रतिशत बोझ भारत पर था। यहां 50 करोड़ से अधिक लोग खुले में शौच करते थे। हमारी महिलाओं के सामने अधेरे में अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने और अपनी गरिमा एवं सुरक्षा बनाए रखने की दुविधा थी।

इसी पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच वर्षों में ग्रामीण भारत को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने के लक्ष्य के साथ 2014 में स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) की शुरुआत की थी। भारत ने 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर यह उपलब्धि हासिल कर ली। उन पांच महत्वपूर्ण वर्षों के दौरान, ग्रामीण स्वच्छता कवरेज बढ़कर शत-प्रतिशत हो गया।

इस मिशन के तहत, 2014 से 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक के सार्वजनिक निवेश के साथ 11.7 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। यह महज परिसंपत्ति निर्माण की एक कवायद भर नहीं थी, बल्कि यह एक ऐसा राष्ट्रव्यापी आंदोलन था जिसने व्यवहार में परिवर्तन से संबंधित एक ठोस क्रांति के साथ बुनियादी ढांचे के विकास को मिलाकर एक अरब से अधिक लोगों को प्रेरित किया। इसकी पहचान एक ‘जन आंदोलन‘ के तौर पर थी और यह शायद व्यवहार में परिवर्तन से संबंधित दुनिया की सबसे बड़ी कवायद थी। बच्चों, महिलाओं, पुरुषों, समुदाय के नेताओं, नागरिक समाज और सरकारी मशीनरी ने एकजुट होकर काम किया। स्वच्छता से जुड़े संदेश हर माध्यम से लोगों तक पहुंचे। मशहूर हस्तियों ने इस सामूहिक सुर में सुर मिलाया। ग्राम-स्तर के स्वयंसेवक (‘स्वच्छाग्रही‘) ज़मीनी स्तर पर परिवर्तन के चैंपियन बन गए। प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों, बैठकों, ‘मन-की-बात’ में किए जाने वाले वार्तालापों और स्थानों एवं परिसरों की सफाई के आदर्श कार्यों के माध्यम से देश का नेतृत्व किया और लोगों को प्रेरित किया।

एसबीएम चरण-I की सफलता के बाद, चरण-II की शुरुआत की गई। इस चरण का उद्देश्य ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन, परिदृश्य स्वच्छता और समग्र ग्रामीण स्वच्छता के व्यापक पहलुओं का समाधान करते हुए ओडीएफ संबंधी उपलब्धियों को बनाए रखना है। वर्ष 2024-25 तक, सभी गांवों को स्थायी तौर-तरीकों और बेहतर स्वच्छता की विशेषता से लैस ओडीएफ प्लस मॉडल में बदलने का लक्ष्य है। इस मिशन का अगला लक्ष्य संपूर्ण स्वच्छता है- जिसके लिए देश के प्रत्येक नागरिक, समुदाय और संस्थान की ओर से निरंतर समर्पण की आवश्यकता होगी।

शीर्ष अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ‘नेचर’ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन सार्वजनिक स्वास्थ्य पर एसबीएम के व्यापक प्रभाव को रेखांकित करता है, खासकर शिशु मृत्यु दर को कम करने के मामले में। ‘स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण और शिशु मृत्यु दर’ शीर्षक वाले इस अध्ययन में शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) के रुझानों से संबंधित 10 वर्षों की अवधि (2011-20) में 35 भारतीय राज्यों और 640 जिलों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। लेखकों ने शौचालय की बढ़ती सुलभता और बाल मृत्यु दर में गिरावट के बीच एक मजबूत संबंध का दस्तावेजीकरण किया है। इस अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि एसबीएम के बाद जिला स्तर पर शौचालयों की सुलभता में प्रत्येक 10 प्रतिशत अंक की वृद्धि से जिला स्तर पर आईएमआर में 0.9 अंक और यू5एमआर में औसतन 1.1 अंक की कमी आई है। एक सीमा प्रभाव का भी सबूत है, जिसमें जिला स्तर पर 30 प्रतिशत (और उससे अधिक) का शौचालय कवरेज आईएमआर में 5.3 अंक और प्रति हजार जीवित जन्मों पर यू5एमआर में 6.8 अंक की कमी के समतुल्य है। लेखकों का अनुमान है कि एसबीएम के कारण बड़े पैमाने पर शौचालय की सुलभता ने सालाना 60,000- 70,000 शिशु मृत्यु को रोकने में योगदान दिया है।

हालांकि, यहां इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि यह मात्र प्रभाव संबंधी अध्ययन भर नहीं है, जो एसबीएम की परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डालता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (2018) के अनुसार, 2014 और 2019 के बीच डायरिया से होने वाली 3,00,000 से अधिक मौतों को रोकने में एसबीएम की अहम भूमिका रही है। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (2017) ने बताया कि गैर-ओडीएफ गांवों की तुलना में ओडीएफ वाले इलाकों के बच्चों में वेस्टिंग के मामले 37 प्रतिशत कम थे, जो इस बात की पुष्टि करती है कि स्वच्छता कैसे बचपन के पोषण पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। ओडीएफ गांवों के बच्चों में डायरिया के मामले लगभग एक तिहाई कम थे। वर्ष 2017 में एक अध्ययन में, यूनिसेफ ने अनुमान लगाया कि 93 प्रतिशत महिलाएं घर में शौचालय उपलब्ध होने के बाद सुरक्षित महसूस करती हैं, जो महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा को बढ़ाने में एसबीएम की भूमिका को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, इस अध्ययन में किए गए आर्थिक विश्लेषण से पता चला कि ओडीएफ गांवों में प्रत्येक परिवार ने स्वास्थ्य संबंधी देखभाल की अपेक्षाकृत कम लागत और बचाए गए जीवन के आर्थिक मूल्य एवं समय की बचत की दृष्टि से सालाना लगभग 50,000 रुपये की बचत की।

स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के बीच के संबंध को देखते हुए, एसबीएम से हासिल हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी लाभ अपरिहार्य हैं। हाल के अध्ययन से हमें जो जानकारी मिली है, वह शौचालय की सुलभता के कारण बच्चों के जीवित रहने की संभावनाओं में सुधार का एक ठोस परिमाण है। राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता से संबंधित बदलाव निश्चित रूप से वयस्कों में जल-जनित संक्रमण को कम करने के साथ-साथ संभवतः रोगाणुरोधी प्रतिरोध के बोझ को भी कम करने में प्रभाव डालेगा। इसका बचपन में स्टंटिंग एवं विकास पर भी निरंतर प्रभाव माना जाता है। आईसीएमआर और शिक्षा जगत को एसबीएम के इन आयामों पर वस्तुनिष्ठ अध्ययन करना चाहिए।

स्वच्छ भारत मिशन इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि समर्पण, सहयोग, योजना, शानदार कार्यान्वयन और निरंतर जन आंदोलन के जरिए क्या कुछ हासिल किया जा सकता है। एसबीएम के 4पी वाले मंत्र- राजनीतिक इच्छाशक्ति, सार्वजनिक वित्त, साझेदारी और जनभागीदारी- के साथ-साथ अनुनय, इस कार्यक्रम की सफलता एवं प्रसार में सहायक रहे हैं। यह ‘रणनीतिक पैकेज’ देश में और विदेश में अन्य सामाजिक परिवर्तन मिशनों के लिए एक मॉडल है।

अब जबकि हम विकसित भारत @2047 की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, हमें स्वच्छता और साफ-सफाई के मामले में वैश्विक स्तर पर अग्रणी देश के रूप में उभरने की जरूरत है। व्यवहार में बदलाव को बनाए रखने, निर्मित शौचालयों का निरंतर उपयोग सुनिश्चित करने और अपशिष्ट प्रबंधन के उन्नत उपायों को समन्वित करने की प्रतिबद्धता अटल रहनी चाहिए। स्वच्छता एक ऐसा साझा मूल्य बनना चाहिए, जिसके स्वामित्व और पालन की जिम्मेदारी हम सभी को उठानी चाहिए।

यह मिशन अगले महीने गांधी जयंती पर अपनी 10वीं वर्षगांठ मनाएगा। एसबीएम के एक दशक की अवधि में हमें अभूतपूर्व लाभ हुए हैं- स्वच्छ पर्यावरण, महिलाओं की गरिमा एवं सुरक्षा, जीवनयापन में आसानी, घरेलू बचत और हमारी परंपरा के अनुरूप स्वच्छता की संस्कृति से हम समृद्ध हुए हैं। अब हम सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और जीवन बचाने में एसबीएम की एक मजबूत छाप भी देख रहे हैं। इस नेक मिशन की सफलता वास्तव में हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।

लेखक : डॉ. विनोद पॉल नीति आयोग के सदस्य हैं। ये उनके निजी विचार हैं।

https://liveskgnews.com/wp-content/uploads/2025/04/VIDEO-03-Years.mp4
https://liveskgnews.com/wp-content/uploads/2025/03/VID-20250313-WA0019.mp4

हाल के पोस्ट

  • पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर और ठंडे पेय पदार्थों की गुणवत्ता व भंडारण में लापरवाही पर होगी कड़ी कार्रवाई – सचिव डॉ. आर राजेश कुमार
  • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में कैंची धाम के लिए बाईपास निर्माण का काम शीघ्र होगा शुरू
  • गर्मियों के संवेदनशील मौसम में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता से नहीं किया जाएगा कोई समझौता : डॉ. आर. राजेश कुमार
  • सरकारी दफ्तरों में लेटलतीफी पर सख्ती, तय समय बाद हुई बायोमेट्रिक हाज़िरी तो भुगतनी होगी सज़ा
  • माणा गांव में 12 वर्षों बाद विधि विधान के साथ शुरु हुआ पुष्कर कुंभ
  • आंतरिक सुरक्षा को लेकर डीएम संदीप तिवारी ने ली अधिकारियों की बैठक
  • श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के डाॅक्टर मरीजों की सेहत का हाल जानने चॉपर से पहुंचे कर्णप्रयाग, कैंसर जागरूकता एवं निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का 1585 मरीजों ने उठाया लाभ
  • श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय ने स्पोर्ट्स अचीवर्स को करवाई चाॅपर की सैर, आसमान से अपनी यूनिवर्सिटी को देख अचीवर्स के खिले चेहरे, अचीवर्स बोले आई लव एसजीआरआरयू
  • बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति विकसित करेगा जादुई पिटारा – शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत
  • भगवंत ग्लोबल विश्वविद्यालय में दो दिवसीय बूट कैंप का आयोजन
liveskgnews

सेमन्या कण्वघाटी हिन्दी पाक्षिक समाचार पत्र – www.liveskgnews.com

Follow Us

  • Advertise with us
  • Contact Us
  • Donate
  • Ourteam
  • About Us
  • E-Paper
  • Video

© 2017 Maintained By liveskgnews.

No Result
View All Result
  • होम
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तरप्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • बिहार
  • धर्म
  • रोजगार न्यूज़
  • रोचक
  • विशेष
  • साक्षात्कार
  • सम्पादकीय
  • चुनाव
  • मनोरंजन
  • ऑटो-गैजेट्स

© 2017 Maintained By liveskgnews.