देहरादून : यदि कभी भी कोई भी अचानक हमारा फोटो निकाले तब और कोई फोटो नहीं आये बल्कि “मुस्कराहट का फोटो हो” चाहे हम कामकाज कर रहे हो, काम का बहुत टेन्शन भी हो लेकिन चेहरे पर हमेशा खुशी हो। फिर हमको ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी। अगर हमारे पास रूहानी मुस्कान का चेहरा होगा तब वह एक घण्टे के बोलने की कार्य एक सेकण्ड में हो जाएगा। इसके लिये प्रत्यक्ष को प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं होती है। हमे जो भी मिले, जैसा भी मिले, गाली देने वाला मिले, इनसल्ट करने वाला मिले, इज्जत न रखने वाला मिले, मान-शान न देने वाला मिले, लेकिन हमारा चेहरा एकरस चेहरा, रूहानी मुस्कान वाला हो। अर्थात निश्चय रखना है कि मुझे सदैव रूहानी मुस्कान ही मुस्कराना है, कुछ भी हो जाए, मुझे अपनी मुस्कान छोड़नी नहीं है। इससे हम खुद भी खुश, दूसरे भी खुश बने रहेंगे।
अव्यक्त बापदादा 30-03-2000
लेखक : मनोज श्रीवास्तव, सहायक निदेशक सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग उत्तराखंड
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