- “मम्मी, क्या अब मेरी हाइट नहीं बढ़ेगी ? मैं स्केटिंग नहीं कर सकती ? ” 12 वर्षीय तूलिका ने मासूमियत से पूछा ।
- ” किसने कहा ? ” तूलिका का हाथ पकड़, अँजू ने उसे गोद में बैठा लिया ।
” रिंकु बता रही थी की उसकी दादी कहती है -अब बिना नहाए किचन में नहीं जाना, 03 दिन पूजा घर नहीं जा सकते, आचार को हाथ नहीं लगाना, हाइट नहीं बढ़ेगी, खेलना दौड़ना नहीं ” । तूलिका सवालों के जाल में उलझी, अँजू को उसे बाहर निकालने की दृष्टि से देख रही थी । अँजू तब उसे माँ, जो अब सखी बन गयी थी, प्यार से सहलाते हुए बोली, ” बेटा पिरीयड होना कोई बीमारी नहीं यह क़ुदरत का तोहफ़ा है कि आगे चलकर तुम मातृत्व का सुख प्राप्त कर सकती हो, तुम शारीरिक रूप से विकसित हो रही हो ।
पहले समय में यह नियम औरतों ने ही बनाया क्योंकि संयुक्त परिवार थे सारे घर के काम स्त्रियाँ ही करती थीं । कोई वॉशिंग मशीन, मिक्सी, गैस स्टोव नहीं थे, यह उनका तरीक़ा था एक दूसरे को आराम देना का । और तब कपड़ा इस्तेमाल करती थीं । सैनिटेरी नैपकिन लेने से शर्माती थीं ।पढ़ाई के आभाव में तथ्यों की समझ नहीं थीं । पर अब समय बदल गया है । अब ये बातें सबको पता है अच्छे क्वालिटी के सैनिटेरी नैपकिन उपलब्ध है, तुम उन्हें इस्तेमाल कर आराम से काम कर सकती हो ।” “और अब तुम बताओ अगर ऐसा होता तो इंदिरा गांधी,किरण बेदी, बछेंद्री पाल, सानिया मिर्ज़ा, दीपा करमारकर, इंडीयन क्रिकेट, कबड्डी टीम और तुम्हारी फ़ेवरेट हाना मांटैना आलिया भट्ट का कोई नाम होता । स्त्री शक्ति है । पिरीयड विराम चिह्न नहीं । अब जल्दी तैयार हो तुम्हारी स्केटिंग क्लास का टाइम हो रहा है । ”कहते तूलिका का माथा चूम लिया।
- लेखिका : शिवानी खन्ना, दिल्ली