नैनीताल (हिमांशु जोशी): लो जी कोरोना काल में वह दिन भी फिर से आ गया जो मैं पिछले कई सालों से नौकरी पाने के लिये अलग-अलग फॉर्मों में बिना नक़ल किये पहली बार में ही सही भर रहा था।
भाजपा शासन के डिजिटल युग में आधार कार्ड, पेन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस के साथ मेरा पाला इस तिथि से कहीं ना कहीं रोज़ ही पड़ जाता है। जी हाँ वो मेरी जन्मतिथि ही है जो आज फिर से आ गयी। इस तिथि के साथ भी मेरा गहरा नाता है इसको सोच सोच कर मेरा मन विचलित हो उठता है, ये ह्रदय पत्थर का हो जाता है जब मैं यह सोचता कि मेरे उन सपनों को पूरा करने का समय निकला जा रहा है जो मैंने इस जीवन में खुली आंखों के साथ ही देख लिये थे।
जीवन अब भी पथरीली राहों पर ही चला जा रहा है और यह रास्ता कब खत्म होगा इसका दूर-दूर तक कुछ पता नही चलता। अपनी उम्र से छोटे लोगों को देखकर ये ह्रदय जल उठता है और खुद से कहता है कि देख बुड़बक ये तुझसे ज्यादा ज्ञानी हो गया और तू यही रह गया। वैसा ही जैसा शेखचिल्ली के बारे में सुना था। बड़े भाइयों को देखकर यह सागर रूपी अठखेलियां लेने वाला ह्रदय उमंग से भर उठता है और मेरे चंचल मन से कहता है देख तेरी किस्मत अभी तो तू जवान है बहुत समय है तेरे पास इन मूर्खों से आगे निकलने के लिये।
यही सोचते सोचते साल का वह दिन आ ही जाता है जब आप इस धरती पर पधारे। 12 बजे से पहले नींद नही आती। स्मार्टफोन के इस युग में मित्रों की शुभकामनाएं घड़ी की दोनों सुइयाँ गुरुत्वाकर्षण की वजह से एक साथ ऊपर अटकते ही वाट्सएप पर प्राप्त होने लगती हैं, कुछ मित्रों के स्टेट्स पर आपका अधिकार बन जाता है। फेसबुक पर उन मित्रों से भी सन्देश प्राप्त होने लगते हैं जिनसे पूरे साल बात नही होती, उनके जीवित होने का प्रमाण यही सन्देश होते हैं। हम भी खुश हो जाते हैं और सारी इन्द्रियाँ बस इन्हीं बधाई सन्देशों का जवाब देने के लिये जागृत हो जाती हैं। खुद को इस धरती का सबसे नायाब हीरा समझ कर हम भी पूरे साल की हीन भावना भूल अपना जन्मदिन मनाने में मशगूल हो जाते हैं।
एक ही तिथि में लाखों लोगों का जन्मदिन होता है पर जन्मदिन भी किसी अंजान व्यक्ति का नही मनाया जाता, जन्मदिन उनका मनाया जाता है जो हमारे जीवन में खास होता है, जिसकी वजह से हमारे जीवन में ढेरों खुशियां आयी हैं। कालदर्शक की शुरुआत के बाद से ही इस तरह के आयोजन शुरू हो पाए क्योंकि उससे पहले सुर्य और चंद्रमा के अनुमान से समय की सम्भावना व्यक्त की जाती थी और तब तिथि का चलन तो था ही नही।
भारतीयों से जन्मदिवस मनाने की शुरुआत नही हुई इतिहासकारों के अनुसार मिस्र की सभ्यता से जन्मदिन मनाने का रिवाज़ शुरू हुआ और प्राचीन रोम में यह लोकप्रिय हुआ। शुरुआत में पचास वर्ष से ऊपर के लोगों का जन्मदिन ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता था और पुरुषों के जन्मदिन को ही ज्यादा महत्व दिया जाता था। जन्मदिन के दिन केक का खासा महत्व होता है। किसी बच्चे का जन्मदिन हो या किसी वयस्क का केक से हर किसी का भावनात्मक लगाव होता है। केक की खुशबू के बिना कोई भी जन्मोत्सव अधूरा लगता है। केक का नरम स्पर्श ह्रदय को पुलकित कर देता है।
प्रियजनों का महत्व जन्मदिन में सबसे अधिक होता है। किसी के भी जन्मोत्सव का आयोजन उसके प्रियजनों के बिना सम्भव नही है। प्रियजनों के साथ व्यतीत किया गया हर समय अविस्मरणीय हो जाता है। चमकीली पन्नियों के अंदर बन्द उपहारों को छूते ही जिस अनुभूति का अहसास हम करते हैं उसको परिभाषित कर पाना असंभव है। वह उपहार वर्षों तक प्रियजनों की यादों को खुद में समेटे हमारे पास रहते हैं। समय के साथ अपनी महत्वता खोते जन्मदिन कार्डों का हर शब्द आपको रोमांचित कर सकता है। फेसबुक , वाट्सएप के सन्देश आपको वह अनुभव कभी नही दे सकते जो हाथों से लिखे उपहार सन्देशों से प्राप्त होता है।
बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था और बुढ़ापे में जन्मदिन मनाने के तरीके अलग अलग होते हैं। दस साल तक के बच्चे के जन्मदिन में जहां कोतुहल बना रहता है सभी का ध्यान बच्चे की ओर ना होकर अपने ऊपर ज्यादा होता है। किशोरावस्था में जन्मदिन बच्चें की ओर केन्द्रित होने लगता है। उसके द्वारा किये गए हर कार्य पर सबकी नज़र होती है। मटका अब आकार लेने लगता है।
जवानों का जन्मदिवस सबसे ज्यादा चुनोतियों से भरा होता है। उनके जीवन पर चर्चा अधिक होने लगती है। जवानों को खुद के बढ़ते पेट को सही आकार में रखने की चिंता, वैवाहिक जीवन की चिंता, बैंक बैलेंस बढ़ाते रहने की चिंता खाये जाते रहती है। जन्मदिन मनाने से मोहभंग का यही समय सबसे अधिक होता है।
बुढ़ापे के जन्मोत्सव अपने प्रियजनों से दूर ही मनते हैं, वह सौभाग्यशाली ही होते हैं जिनके प्रियजन इस उम्र में भी साथ देते हैं। जीवन में देखे सुख दुख को सोचकर बची ज़िन्दगी भी उसी सम्मान के साथ जिए जाने का प्रण लेकर यह जन्मदिन मनाया जाता है।
हर जन्मदिन खास होते हैं पर यह खुशी उस दिन नही मनायी जाती है जिस दिन आप पैदा हुए होते हैं। एक माँ प्रसूति के दर्द के बाद आपको इस दुनिया में लाती है। माता पिता के असंख्य त्याग की वजह से आप साल दर साल अपना जन्मदिन मनाते हैं। यह जन्मदिन और यह जीवन सिर्फ तभी सफल हो सकता है जब आप निस्वार्थ भाव से खुद को बड़ा करने वाले माता-पिता को उनकी निःस्वार्थता का बेहतरीन उपहार देने योग्य बन सकें।
“उड़ने दे खुद को इंसान तुझे जितना उड़ना है
कल तो सबको नीचे गिरना है
डर कर मत बैठ जमीं पर तू
दिखा दे सबको आसमां की हर बुलंदी छूने की हिम्मत रखता है तू।”
लेखक : हिमांशु जोशी, इंवर्टिस यूनिवर्सिटी बरेली में पत्रकारिता के शोध छात्र हैं।
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