- @सीमा रानी
बेटी का मासूम सा सवाल -मां आपको नहीं होना चाहिए था कोरोना ।
आपको कैसे हो सकता है कोरोना ।
आप हमारे जीवन की नैया हो, हमारे जीवन रूपी नैया की खवया हो,
आप हमारे जीवन का सार हो आपको नहीं होना चाहिए था कोरोना।
आपके स्पर्श के बिना हम कैसे जिएंगे ?
भला इतना दूर आपसे कैसे रहेंगे ?
आपको देखे बिना चैन ना आराम है, मां आपको नहीं होना चाहिए था कोरोना ।
कितना दूर सा लगता है, हालांकि आप दूसरे कमरे में ही है,
लगता है सदियां बीत गई आप को देखे हुए ।
आवाज सुन लेते हैं आपकी मधुर, पर गले लगने को मन तड़पता है,
माँ आपको नहीं होना चाहिए था कोरोना ।कहां कमी रह गई?
आप तो हमें बचाती थी इस राक्षस से, आपको कौन दे गया यह कोरोना,
इसने हमारी मां को हमसे दूर कर दिया, सिमट गई एक कमरे में,
पास नहीं आने देती आपके हाथों का बना खाना तरस गए खाने को,
कितनी बेबस लाचार सी, बस खिड़की से हमें भीगी आंखों से निहारती रहती है बात नहीं करती,
मां आपको नहीं होना चाहिए था कोरोना।
लेखिका : सीमा रानी, सहायक अध्यापक राजकीय प्राथमिक विद्यालय चानचक भगवानपुर हरिद्वार
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