देहरादून : प्लान और प्रैक्टिकल में बैलेंस होना चाहिए। कुछ लोग प्लानिंग तो बहुत अच्छी कर लेते हैं परन्तु इसे प्रैक्टिकल में लाने की विशेषता कम रखते हैं। दूसरी तरफ कुछ लोग प्रैक्टिकल में रहने का विशेष गुण रखते हैं परन्तु अच्छी प्लानिंग नहीं कर पाते हैं। अपने बड़े टारगेट तक पहुचने के लिए हमें प्लानिंग भी अच्छी रखनी पड़ेगी और इसे प्रैक्टिकल में भी कर के दिखाना होगा।
हमें अपनी कम्पनी, बिजनेस, जाॅब में मिले टारगेट को प्राप्त करने के लिए, इस मार्ग में निगेटिव वातावरण करने का चैलेंज मिलता है। जहां हमें परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है वहीं पर हमें निगेटिव एप्रोच रखने वाले सलाहकारों और सहयोगियों को भी समझाना पड़ता है।
बड़े टारगेट को पूरा करने के लिए जहां हमें अपने आप में बदलाव करना होता है वहीं पर हमारे सामने सम्पूर्ण वातावरण को भी बदलने की चुनौती रहती है। इस चुनौती का सामना करने के लिए हमें अपने को सूर्य समझना होगा। सूर्य जहां रोशनी देता है वहीं आस-पास के कीड़े-मकोड़े, वायरस इत्यादि कूड़ा-कचरे को भी साफ करता है। अपनी चाल-चलन ऐसी हो की ऊपर के दोनों कार्य आसानी से किये जा सकते हैं।
यदि हमारे चाल-चलन के प्रकाश से कूड़ा-कचरा समाप्त नहीं होता है तब इसका अर्थ है कि हमारे पास मौजूद पावर में कमी है। जैसे तेज धूप न होने के कारण जीवाणु-किटाणु नष्ट नहीं होते हैं उसी प्रकार ज्ञान से कम पावर वाली रोशनी प्राप्त होने पर आस-पास की निगेटिव वातावरण का प्रभाव किसी न किसी रूप में बना रहता है। जितना अधिक हम पावरफुल होंगे उतना ही कम समय में हम आस-पास के निगेटिव वातावरण को समाप्त कर सकते हैं।
पावरफुल होने का अर्थ अपने आप पर कन्ट्रोल रखना है। हम अपने ऊपर कन्ट्रोल रखकर, अपने ऊपर राज्य करते हैं। अपने दिल के सिंहासन पर बैठकर अपने राज कारोबारी रूपी कर्मेन्द्रियों को आर्डर देते हैं। सिंहासन से हटने पर राज कारोबारी रूपी कर्मेन्द्रियों हमारे आर्डर को नही मानती हैं। परन्तु ज्यों ही हम अपने स्व स्थिति के सिंहासन पर बैठ जाते हैं वैसे ही हमारी कर्मेन्द्रियां हमारे सामने जी हूजूर करते सामने खडी रहती हैं।
प्लान और प्रैक्टिकल में बैलेंस होना चाहिए और टारगेट पर सदैव फोकस होना चाहिए। इसके लिए हमारे विषय-बस्तु के लिए नशा और निशाना होना चाहिए। जब हम अपने टारगेट के लिए हमेशा नशे में रहेंगे तभी हमारा निशाना अचूक रहेगा। जितना अधिक इसके लिए अभ्यासी बनेंगे उतना ही अधिक अच्छा वर्तमान और भविष्य में रिजल्ट को प्राप्त करते हैं।
अव्यक्त महावाक्य बाप दादा 01 फरवरी, 1971
लेखक : मनोज कुमार श्रीवास्तव, प्रभारी मीडिया सेन्टर, विधान सभा, देहरादून
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