देहरादून : केयरफुल और क्लियरफुल रहकर सफल रहेंगे। केयरफुल और क्लियरफुल रहने से हमारी स्थिति हलचल में नहीं रहेगी। स्मृति क्लियर रहने से हलचल से बच जाते हैं। यदि स्मृति क्लियर नहीं होगी तो अपने ऊपर केयर भी नहीं कर पायेंगे।
क्लियर होने पर आने वाली बातें स्पष्ट और समीप दिखती हैं। जिस प्रकार से टेलीविजन में दूर की चीज स्पष्ट और समीप दिखती है उसी प्रकार स्मृति क्लियर रहने पर, एकाग्र और एक रस अवस्था के प्रभाव से स्पष्ट दिखेंगी अर्थात सफलता समीप दिखेगी। यदि केयरफुल और क्लियरफुल में से एक की भी कमी है तब उलझन में आ जाते हैं। उलझन के कारण सफलता अस्पष्ट दिखेगी।
उलझन और अस्पष्ट की स्थिति में कमजोरी की भाषा, क्या करें, कैसे करें और यह कैसे होगा भाषा निकलने लगती है। जिस प्रकार खराब सीजन में टेलीविजन स्पष्ट नहीं दिखता है उसी प्रकार हलचल में आने के कारण सफलता भी अस्पष्ट हो जाती है। स्थिति डगमग होने के कारण सफलता दूर रहती है।
सफलता के लिए डबल तिलक लगा कर रखना है, पहला आत्मिक स्वरुप का तिलक और निश्चय का तिलक। हर संकल्प, हर कदम में विजय है यह निश्चय का तिलक है, यह स्मृति रखने से भिन्न-भिन्न परिस्थितियां भी हमें हिला नहीं सकती है।
हमें आत्मबल के कोर्स का फोर्स भरना है। अपने को जानना अर्थात, मानना और चलना और स्वरुप बनना। आत्मबल के कारण पावरफुल बनते हैं। जो पावरफुल होगा वह न तो फील करेगा और न ही फेल होगा। आत्मिक स्थिति की पोजिशन के कारण माया का अपोजिशन समाप्त हो जाता है।
अव्यक्त महावाक्य बाप दादा 20 अगस्त, 1971
लेखक : मनोज श्रीवास्तव, सहायक निदेशक सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग उत्तराखंड, देहरादून
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