देहरादून : विशेष संकल्प से अपने मे चेंज लाना है। केवल संकल्प करके ही नही छोड़ना देना है बल्कि अपने आदत और संस्कार में भी परिवर्तन लाना है। क्योकि अब समय बहुत कम है ,इसलिये संकल्प और कर्म साथ-साथ करना है। अर्थात अभी कर्म किया और उसे कर्म में लाया।
हमारे संकल्प और कर्म में अंतर नही होना चाहिये। अब अपने संकल्प को प्रैक्टिकल में लाने के लिये सोचकर ,समय लेकर कार्य करने का समय नही है। वैसे भी अब प्रैक्टिस के बाद हम महारथी बन चुके है । महारथी के संकल्प ही ऐसे होते है संकल्प किया और वह प्रैक्टिकल में सिद्ध हुआ। ऐसे करके हम अपने रचना के रचयिता बन जाते है। लेकिन हम स्वयं ऐसी रचना कर लेते है कि अपनी ही रचना से परेशान हो जाते है।
हमे अपने कमजोरी के संकल्प को समाप्त करके ऐसा पॉवरफुल बनना कि हर जगह कमाल कर सके। अब अपने भीतर कमजोरी के संकल्प की जगह कमाल के संकल्प को भरना है। अब हमारे लिये कमजोरी के संकल्प का प्रयोग करना शोभा नही देता है। क्योकि अब हम लेने वालो कि श्रेणी से ऊपर उठ कर देने वालो की श्रेणी में पहुँच गए है। अभी तक दूसरे लोग तो अपने कमजोरी के संस्कार मिटाने में जुटे है। कोई व्यक्ति किसी कार्य को तुरन्त कर देता है,कोई पांच मिनट में करता है ,कोई आधा घंटा समय लेता है लेकिन कुछ लोग दिन भर उलझे रहते है फिरभी हिसाब नही निकाल पाते है।
यदि हम पुरानी बातों का बार-बार वर्णन करते है तब व्यर्थ में उलझे रहते है। हमे पूर्ण सफलता प्राप्त करने के लिये पुराने संस्कारो को मिटाना होगा। क्योंकि हमारे पुरानी सोच ,संस्कार ही सफलता में बाधक है। हमारे भीतर अनेक विशेषता मौजूद है। यदि हम अपनी विशेषता को देखेंगे तब विशेष बन जाएंगे। हमे कमजोरी को बिल्कुल नही देखना है। यदि अंदर जरा सा भी बीज खाद मौजूद होगा तब कमजोरी दिख जाएगी और विशेषता दब जाएगी। अपने को ऐसा चेंज करके , दुसरो पर ऐसा प्रभाव डाले कि वह धक से चेंज हो जाये। यह करे, न करे, कैसे करे, क्या होगा यह सब सोचने की आवश्यकता पड़ने का प्रमुख कारण व्यर्थ संकल्प है।
योग की सिद्धि से ही कर्म की सिद्धि है। योग से संकल्प वाणी औऱ कर्म तीनों सिद्ध हो जाते है। यदि यथार्थ की उत्पत्ति हो संकल्प ,वाणी और कर्म व्यर्थ नही जाएगा। व्यर्थ मिक्स होने के कारण यथार्थ सिद्ध नही हो पाता है। व्यर्थ को कंट्रोल करने के लिये कन्ट्रोलिंग पॉवर चाहिये। किसी भी कमजोरी का कन्ट्रोलिंग पॉवर की कमी है। कन्ट्रोलिंग पॉवर की कमी के कारण हम अपने को ही कण्ट्रोल नही कर पाते है।
समर्थ संकल्प का अर्थ है संकल्प उठा और संकल्प सिद्ध हुआ।
ॐ शांति अव्यक्त बाप दादा
30 जुलाई 1970
लेखक मनोज श्रीवास्तव, प्रभारी मीडिया सेंटर विधानसभा देहरादून।
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