देहरादून : प्रतिज्ञा करने से विल पॉवर पैदा होता है। किसी कार्य को करना ही है ,यह संकल्प प्रतिज्ञा कहलाता है। प्रतिज्ञा करने से विल पॉवर आ ही जाता है। प्रतिज्ञा करने से बहाना बनाने की जरूरत नही पड़ती है और कार्य को करने के लिये स्वतः ही समय भी निकलने लगता है।
कार्य करने के दौरान समस्या तो आएगी, व्यर्थ और नकारात्मक संकल्प तो आते है लेकिन विल पॉवर पैदा होने के कारण हमारे सामने ठहर नही पाते है। हमे पॉवरफुल रचियता बनना है। जब रचियता कमजोर होगा तब हमारी रचना का क्या होगा।
“अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिये हमें अंतिम डेट और समय तक इंतजार नही करना चाहिए बल्कि समय से पहले ही अपनी तैयारी पूरी रखनी है। यदि हम अंतिम डेट और समय का इंतजार करेंगे तब तक नई- नई समस्या अपनी परीक्षा लेने के लिये तैयार मिलेगी। अंतिम फाईनल पेपर के जरा भी लापरवाही भारी पड़ती है क्योकि अंतिम फाईनल पेपर के बाद ही डिग्री मिलेगी।”
हम जितनी फोर्स से प्रतिज्ञा करेंगे उतना ही अपनी तैयारी को प्रैक्टिकल रूप में ला सकते है। यदि हम बातें को प्रैक्टिकल रूप में नही ला पाते है तब सारी प्रैक्टिस बेकार हो जाती है। सफलता के लिये हमें समय से पहले ही सारी बातों को क्रास कर लेना है। प्रतिज्ञा इतनी गहरी और फोर्स की हो कि संकल्प में भी व्यर्थ संकल्प और विकल्प नही उठने पाए।
इसके लिये हमें सदैव अपने को कार्य मे बिजी रखना होगा। संकल्प ,बुद्धि और कर्म से जितना फ़्री होंगे उतना ही असफलता को आने का चान्स मिलने लगता है। अपने को बिजी रखकर अपने सफलता के मार्ग में आने के लिये किसी को भी चान्स नही देना है।
बुद्धि को बिजी रखने के लिये डेली प्रोग्राम बना कर रखना होगा। वी आई पी बिना प्रोग्राम के कही पर नही जाते है। प्रोग्रेस पाने के लिये प्रोग्राम बनाकर रखना होगा।
अव्यक्त महावाक्य बाप दादा मुरली
28 जुलाई 1971
लेखक : मनोज श्रीवास्तव, सहायक निदेशक सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग उत्तराखंड देहरादून
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