देहरादून : सफल बनने के लिए मुख्य गुण चाहिए सहनशीलता। सहनशीलता और सरलता कोई भी कार्य को सफल बना देगी। जैसे कोई धैर्यता वाला मनुष्य सोच समझ कर कार्य करते हैं तो सफलता प्राप्त होती है। वैसे ही सहनशील जो होते हैं वह अपनी ही सहनशीलता की शक्ति से, कैसा भी कठोर संस्कार वाला हो व कैसा भी कठिन कार्य हो, उनको शीतल बना देते हैं वा सहज कर देते हैं।
सहनशीलता का गुण जिसमें होगा वह गंभीर भी जरूर होगा। जो गंभीर होता है वह गहराई में जाने वाला होता है और जो गहराई में जाने वाला होता है वह कोई भी कार्य में घबरायेगा नहीं। गहराई में जाकर सफलता प्राप्त करेगा। सहनशीलता वाले व्यक्ति में बाहरमुखता के कारण मन में जो संकल्प उत्पन्न होते हैं उन संकल्पों की उत्पत्ति को देखकर भी घबरायेंगे नहीं,बल्कि अपनी सहनशीलता से सामना करेंगे।
जिसमे सहनशीलता का गुण होता है वह सूरत से सदैव संतुष्ट दिखाई देगा। उनके नैन चैन कभी भी असंतुष्टता के नहीं दिखाई देंगे। तो को स्वयं संतुष्ट रहते हैं वह औरों को भी संतुष्ट बना देंगे, सहनशीलता बहुत मुख्य धारणा है। जितनी सहनशीलता अपने होगी उतना ही स्वयं से भी संतुष्ट रहेंगे और, दूसरे भी संतुष्ट रहेंगे। संतुष्ट होना माना सफलता पाना।
जो कोई भी बात को सहन कर लेता है तो सहन करना अर्थात उसकी गहराई में जाना। जैसे सागर के तले में जाते हैं तो रत्न लेकर आते है। ऐसे ही जो सहनशील होते हैं वह गहराई में जाते हैं, जिस गहराई से बहुत शक्तियों की प्राप्ति होती है। सहनशील ही मनन शक्ति को प्राप्त कर सकते हैं।
सहनशील वाला व्यक्ति अंदर अपने मनन में तत्पर रहता है और जो मनन में तत्पर रहता है वहीं मग्न रहता है। तो जीवन मे सहनशीलता बहुत ही आवश्यक है। सहनशील ही ड्रामा की ढाल पर ठहर सकता है। सहनशीलता नहीं तो ड्रामा की ढाल को पकड़ना भी मुश्किल है। सहनशीलता वाला ही साक्षी बन सकता है और ड्रामा की ढाल को पकड़ सकता है।
अव्यक्त महावाक्य बाप दादा मुरली
लेखक : मनोज श्रीवास्तव, सहायक निदेशक सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग देहरादून
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