लखनऊ / उत्तर प्रदेश(रघुनाथ प्रसाद शास्त्री): 21 जून को पड़ रहा है सूर्य ग्रहण। सदी का सबसे बड़ा ग्रहण होने के कारण इस पर शोध भी होगा। जबकि इसके प्रभाव के चलते दिन में अंधेरा भी छा सकता है। साथ ही दिन में तारे भी दिखाई पड़ सकते हैं।
ज्योतिष के जानकार रघुनाथ शास्त्री बताते हैं कि 21 जून रविवार सुबह 09.16 से दोपहर 3.04 बजे तक कंकणाकृति सूर्य ग्रहण पड़ेगा। भारतीय भूभाग पर ग्रहण को सुबह दस बजे से दोपहर ढाई बजे की अवधि में देखा जा सकेगा। सुबह 10.19 से 02.02 बजे के बीच खग्रास स्थिति में सूर्य ग्रहण को बिना दूरबीन के देख पाना असंभव है। ग्रहण के वक्त दिन में अंधेरा छा सकता है और तारे दिखाई पड़ सकते है। यह सूर्य ग्रहण वैज्ञानिकों के लिए एक शोध का विषय बन सकता है। अलीगढ़ में रवि बिम्ब 89% ग्रसित होगा। इस ग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए। विशेष प्रकार के चश्मे या जल भरे पात्र में इसे देखना अच्छा रहेगा।
ग्रहण का दृश्य प्रभाव
भारत में यह सूर्यग्रहण पोखरी ऊखीमठ, अगस्तमुनि, चोपता, मयाली, गन्साली, झेलम, टिहरी, नई-टिहरी, चंबा, देहरादून, जगधारी, यमुनानगर, शरीफगढ़, कुरुक्षेत्र, थानेसर, नंदादेवी, जातन, नेशनलपार्क, अनूपगढ़, चमौली, विजयनगर, अमरपुरा, सूरतगढ़, रंगमहल, मेहरवाला, सिलवालाखुर्द, द्रोणागिरी, जोशीमठ, पीपलकोटी, रुद्रनाथ, गोपेश्वर आदि स्थानों सहित हिमाचल-प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्य-प्रदेश, चीनी-सीमांत क्षेत्र मे कंकणाकृति के रूप में दृश्य होगा।
ग्रहण के समय मंत्रों का जाप करें
सूर्य ग्रहण का प्रभाव- गर्भवती महिलाओ, धर्मगुरुओं, साधु-संन्यासी, धार्मिक नेता, उद्योगपति, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, ग्रहमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, नवविवाहित वर-वधु, कन्या, विवाह योग्य वर-कन्या तथापि महिलाओं के लिये ग्रहण प्रतिकूल रहेगा। इसीलिए इन सभी को ग्रहण दर्शन योग्य नहीं है। इस समय में पूजा पाठ सुंदरकांड, भगवत गीता का पाठ, गुरु मंत्र का जाप करना अति उत्तम रहेगा।
रविवार को सूर्य ग्रहण लगने के कारण। यह ग्रहण बहुत दुर्लभ माना जा रहा है। इसका विशेष महत्व है। यह इस महीने का दूसरा ग्रहण होगा। इससे पहले 5 जून को उपच्छाया चंद्र ग्रहण लगा था। जहां खगोलीय घटना के रूप में ग्रहण का विशेष महत्व है वहीं ज्योतिषशास्त्र के अनुसार 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दुनिया में चल रही कोरोना महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और कई देशों के बीच तनाव की स्थिति में यह सूर्य ग्रहण लग रहा है। सूर्य ग्रहण एक साथ कई तरह के संयोग लेकर आ रहा है।
क्यो है खास 21 जून
21 जून को सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य कर्क रेखा के एकदम ठीक ऊपर आएगा।
21 जून का दिन साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। ऐसा संयोग दूसरी बार बना है जब साल के सबसे बड़े दिन पर सूर्य ग्रहण लग रहा है। इससे पहले 19 साल पहले 2001 में 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था।
21 जून को सूर्य ग्रहण के दिन रविवार का पड़ रहा है और शास्त्रों में रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है।
– सूर्य ग्रहण के दिन सभी 9 ग्रहों में से 6 ग्रह वक्री चाल में रहेंगे। वक्री चाल को उल्टी चाल कहा जाता है इसमें ग्रह उल्टी दिशा में चलते हैं।
कब लगता है सूर्य ग्रहण
जब सूर्य और पृथ्वी की बीच चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती तो उस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। 21 जून को सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा ऐसी स्थिति में आ जाएगा कि सूर्य का आधे से ज्यादा हिस्सा छिप जाएगा
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