देहरादून (कुंवर विक्रमादित्य सिंह): कोरोना काल में यह देखा जा रहा है की आम जनता डेड बॉडी को जलाने अथवा उसके क्रिया कर्म सम्बन्धी प्रबंध पर आपत्ति जता रही है. एक घटना नालापानी चौक शमशान घाट की है जहां मेडिकल टीम को कोरोना पेशेंट की डेड बॉडी को जलाने हेतु आम जनता के विरोध का सामना करना पड़ा. कोरोना वायरस से मृत शरीर को यदि उचित रूप से क्रियाकर्म द्वारा जलाया न जाए तो इसके कुछ खतरे निम्नलिखित हैं
१. कोरोना वायरस की खासियत यह है की इससे जितना अधिक सड़ा गला या अंग्रेजी में जिसे हम putrefaction कहते हैं ऐसे माहौल में इस वायरस का संक्रमण और अधिक बढ़ जाता है
२. इसका उदहारण इसी बात से लिया जा सकता है की रिसर्च में यह वायरस चमगादड़ के मल एवं मूत्र में पाया गया था. यह स्वयं में यह दर्शाता है की इस वायरस का संक्रमण सड़ने और गलने जैसे माहौल में अत्यधिक बढ़ जाता है
३. इसीलिए सरकार स्वछता साफ़ सफाई रखने पर विशेष ध्यान दे रही है. कोरोना पेशेंट की डेड बॉडी को यदि जलाया न जाए और चाहे आप इससे मुर्दाघर में रख भी दें तब भी यह ज़रूरी नहीं की कोरोना वायरस संक्रमण नहीं होगा. ( वायरस की खासियत यह है की वह अत्यधिक ठंडी एवं गर्मी में सुस्त पड़ जाता है मरता नहीं है)
४. इसका उदहारण इसी बात से लिया जा सकता है की मेडिकल टीम जो कोरोना पेशेंट्स के साथ काम कर रही है उनमें निरंतर संक्रमण होने के cases आ रहे हैं.
५. अतः आम जनता ऐसे कोरोना मृत पेशेंट्स के अंतिम क्रिया को सुचारु होने दें और इस युद्ध में आम जनता होने के नाते भी अपना योगदान दें .
( जनहित में जारी एक वैज्ञानिक और तथ्यपरक दृष्टिकोण)
लेखक कुंवर विक्रमादित्य सिंह देहरादून
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