- @अंजू खरबंदा
कल कितने दिन बाद मिले मैं और माँ
दिल का हाल बाँटा कुछ इघर की कुछ उधर की
जब मिल बैठे मैं और माँ !
कुछ बातों में उनका मन भर आया
कुछ में आंखे छलछला आई मेरी
जब हाल बाँटने बैठे मैं और माँ !
गई थी कि खूब बातें करूंगी
जी का सब हाल उनसे कहूंगी
अपना अपना दर्द बांटेंगे मैं और माँ!
हम दोनों ही प्रत्यक्ष में हंस हंस कर बोले
कितनी बातों पर हँसे दिल खोले
पर मन ही मन सब समझे मैं और माँ!
उनकी उदास आंखो ने कहा कुछ
मेरी उदास आँखो ने भी बतलाया कुछ
वास्तव में कहकर भी कुछ न बोले मैं और माँ!
बातों बातों में कुछ उन्होंने छुपाया
मैनें भी उनको कहां सब बतलाया
एक दूसरे से कुछ कुछ छुपाते मैं और माँ!
जिस भारी मन से गई थी
भारी मन से ही वापिस लौटी
एक दूसरे को दुख न हो-दोनों ही सोचे मैं और माँ!
लेखिका : अंजू खरबंदा, दिल्ली
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