कोटद्वार (शैलेंद्र सिंह) : समाज का पथप्रदर्शक शिक्षक ही होता है। वह बच्चों को संस्कारों में ढालता है और हार को जीत में बदलना सिखाता है। हमारे जीवन को संवारने वाले शिक्षकों ने कोरोना काल में भी महती भूमिका निभाई है। वे अपनी मूल जिम्मेदारी को निभाते हुए समाज को संक्रमण से बचाने के लिए जागरूक कर रहे थे। शिक्षकों के इस त्याग को हम नकार नहीं सकते हैं । कोरोना काल के लाॅकडाउन में प्रशासन द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी को पूरी करने के दौरान वे अपने विद्यार्थियों को भी गाइड कर रहे थे। उन्हें अच्छे-बुरे के बीच फर्क करना सिखा रहे थे, साथ ही ड्यूटी के समय मौका पड़ने पर ऑनलाइन क्लालेस ले रहे थे। क्योंकि वे शिक्षक के धर्म को अच्छी तरह से समझते हैं । ऐसी ही एक शिक्षिका जोकि राजकीय कन्या इंटर कालेज लालपानी में कार्यरत हैं भी कोरोना काल से अभी तक अपनी तीन जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं । सर्वप्रथम तो वह मां का फर्ज निभा रही हैं दूसरा गणित की अध्यापिका है साथ ही स्कूल के प्रधानाचार्य का फर्ज भी निभा रही हैं ।
राजकीय कन्या इंटर कालेज लालपानी की प्रधानाचार्य निधि रावत ने माह जनवरी 2020 में कार्यभार ग्रहण किया। कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही शिक्षिका निधि रावत को विद्यालय की स्थिति देखकर बहुत दुख हुआ। शिक्षिका ने इस विद्यालय के जीर्णोद्घार करवाने के लिए सपना सोचा कि इस विद्यालय का जीर्णोद्घार होता है तो विद्यालय प्रशासन सहित विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिलेगी । वर्तमान में शिक्षिका द्वारा निजी खर्चे से विद्यालय का जीर्णोधार किया जा रहा है जो कि एक अपने में ही प्रशंसनीय कार्य है ।
गणित की शिक्षिका निधि रावत का मानना है कि कोरोना महामारी का शुरूआती दौर काफी चुनौतीपूर्ण था लेकिन इस चुनौतीपूर्ण समय में उन्हें काफी कुछ नया सीखने को भी मिला और विद्यार्थियों को सिखाने का भी सुअवसर मिला। इस दौरान प्रशासन के सहयोग के लिए प्रवासियों पर भी नजर रखी । ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों के लिए पूरी तरह से नई थी। बच्चे ऑनलाइन मीटिंग में बोलने से कतराते थे। संकोच करते थे बोलने में। इन सबको देखते हुए कुछ नया करने की जरूरत थी और बच्चों को बातों-बातों में सिखाने की जरूरत थी। ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होने से व्यस्तता भी बढ़ गई थी। अपने बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी भी थी। मुझे मेरे परिवार का पूरा सहयोग मिला, खासकर पति मनोज रावत का जोकि स्वयं कोटद्वार रेलवे में स्टेशन अधीक्षक है । सबके सहयोग से एक मां और शिक्षक की भूमिका अच्छे से निभा पा रही हूं। उन्होंने बताया कि मेरा एक प्रयास रहता है कि मैं जहां पर भी तैनात रहूं वहां के लिए कुछ करूं । इसी के चलते मैंने अपने स्तर से विघालय के जीर्णोद्धार की सोची है जिसमें मेरे पति व अन्य स्टाफ का काफी योगदान रहता है ।