हरिद्वार । आमतौर पर यही माना जाता है कि अखाड़े हैं तो कुम्भ का महत्व है। यानि अखाड़े ही कुम्भ के महत्वपूर्ण आकर्षण के केन्द्र हैं। महाकुम्भ हरिद्वार में अलग-अलग तिथियों को अखाड़ो का स्नान व पेशवाई का दृश्य देखते ही बनता है। अखड़े और कुम्भ का चोली दामन का साथ है। इसलिए अखाड़ो की अपनी विशेष परम्परा है जिसका भान सन्यासीयों को है।
ज्ञात हो कि हिन्दू संत-समाज के मुख्यतः श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा सहित 13 अखाड़े हैं। शिव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े, बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े और उदासीन संप्रदाय के 4 अखाड़े है। जूना अखाड़ा शिव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े में से एक है। इन अखाड़ों के संन्यासियों का कार्य है ध्यान, तप, साधना और धर्मिक प्रवचन देना। लोगों को धर्म का मार्ग बताना और शान्ति के लिए आहवान करना।
शिव संन्यासी संप्रदाय अखाड़े –
1. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज प्रयाग, 2. श्री पंच अटल अखाड़ा चैक हनुमान, वाराणसी, 3. श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी दारागंज, प्रयाग, 4. श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती त्रम्केश्वर, नासिक, 5. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बाबा हनुमान घाट, वाराणसी, 6. श्रीभ पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा- दशस्मेव घाट, वाराणसी, 7. श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा गिरीनगर, भवनाथ, जूनागढ़।
जूना अखाड़ा
जूना अखाड़ा शिव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़ों में सबसे बड़ा है जिसके लगभग 5 लाख नागा साधु और महामंडलेश्वर संन्यासी है। इनमें से अधिकतर साधु नागा साधु हैं। इनके अलग अलग क्षेत्र के महंत भी होते हैं। वर्तमान में इस अखाड़े के अध्यक्ष प्रेम गिरी महाराज हैं। जूना अखाड़ें की स्थापना 1145 में उत्तराखंड स्थित कर्णप्रयाग में बताई जाती है। यहां अखाड़े ने अपना पहला मठ स्थापित किया था। इसे भैरव अखाड़ा भी कहते हैं। इसके ईष्टदेव शिव और रुद्रावतार गुरु दत्तात्रेय भगवान हैं। इनका केंद्र वाराणसी के हनुमान घाट पर माना जाता है और हरिद्वार के मायामंदिर के पास इनका आश्रम हैं। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा का मुख्यालय वाराणसी में स्थित है।
शिव संन्यासी संप्रदाय के अंतर्गत ही दशनामी संप्रदाय जुड़ा हुआ है। ये दशनामी संप्रदाय के नाम गिरी, पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सरस्वती, वन, अरण्य, तीर्थ और आश्रम। 7 अखाड़ों में से जूना अखाड़ा इनका खास अखाड़ा है। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज हैं। वे ही पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर हैं, जो अब तक एक लाख से अधिक सन्यासियों को दीक्षा दे चुके हैं। बताया जाता है कि इस अखाड़े से देश-विदेश के करोड़ों लोग जुड़े हैं। जूना अखाड़े की परम्परा में साधुओं के 52 परिवारों के सभी बड़े सदस्यों की एक कमेटी बनती है। ये सभी लोग अखाड़े के लिए सभापति का चुनाव करते हैं। एक बार चुनाव होने के बाद यह पद जीवनभर के लिए चुने हुए व्यक्तियों का हो जाता है। ये चुनाव कुंभ मेले के दौरान ही होते हैं। अखाड़ों की चारों मढ़ियों में महंत से लेकर अष्टकौशल महंत और कोतवाल तक नियुक्त किए जाते हैं।
अखाड़े और उनका सूक्ष्म परिचय
- निरंजनी अखाड़ा : श्रीनिरंजनी अखाड़ा की स्थापना में गुजरात के मांडवी में की गई थी। इस अखाड़े के साधु-संत शिवजी के पुत्र कार्तिकेय स्वामी की पूजा करते हैं। इस अखाड़े में दिगंबर, साधु, महंत और महामंडलेश्वर होते हैं।
- जूना अखाड़ा : जूना अखाड़ा की स्थापना उत्तराखण्ड के कर्णप्रयाग में हुई थी। इसका एक नाम भैरव अखाड़ा भी है। इनके इष्टदेव दत्तात्रेय हैं। हरिद्वार में मायादेवी मंदिर के पास इस अखाड़े का आश्रम है।
- महानिर्वाण अखाड़ा : महानिर्वाण अखाड़ा के संबंध में मान्यता है कि इसकी स्थापना बिहार-झारखण्ड के बैजनाथ धाम में हुई थी। कुछ लोग मानते हैं कि हरिद्वार में नीलधारा के पास इसकी स्थापना हुई थी। इनके इष्टदेव कपिल मुनि हैं। इस अखाड़े का केंद्र हिमाचल प्रदेश के कनखल में है।
- अटल अखाड़ा : अटल अखाड़ा की स्थापना गोंडवाना क्षेत्र में हुई थी। इनके इष्टदेव गणेशजी हैं। यह सबसे पुराने अखाड़ों में से एक है। इस अखाड़े के आश्रम कनखल, हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन और त्र्यंबकेश्वर में भी है।
- आवाहन अखाड़ा : आवाहन अखाड़े से साधु दत्तात्रेय और गणेशजी को अपना इष्ट मानते हैं। इस अखाड़े का केंद्र स्थान काशी में है। इस अखाड़े का आश्रम ऋषिकेश में भी है। हरिद्वार में भी इनकी शाखा है।
- आनंद अखाड़ा : आनंद अखाड़े की स्थापना मध्यप्रदेश के बरार में हुई थी। इसका केंद्र स्थान वाराणसी में है। इसकी शाखाएं इलाहाबाद, हरिद्वार और उज्जैन में भी हैं।
- पंचदशनाम अग्नि अखाड़ा : श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़े की शाखाएं गिरीनगर, भवनाथ, जूनागढ़ गुजरात में हैं।
- दिगंबर अखाड़ा : इस अखाड़े की स्थापना अयोध्या में हुई थी। दिगंबर निम्बार्की अखाड़े को श्याम दिगंबर और रामानंदी में यही अखाड़ा राम दिगंबर अखाड़ा के नाम से जाना जाता है।
- निर्वाणी अखाड़ा : ये अखाड़ा आरंभ से ही अयोध्या का शक्तिशाली अखाड़ा रहा है। हनुमानगढ़ी इस अखाड़े का केंद्र स्थान है।
- निर्मोही अखाड़ा : निर्मोही यानी मोह रहित। इस अखाड़े के आश्रम उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और बिहार में भी हैं।
- निर्मल अखाड़ा : निर्मल अखाड़े का इष्ट श्री गुरुग्रंथ साहिब है। इनकी शाखाएं प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और त्र्यंबकेश्वर में हैं। पवित्र आचरण और आत्मशुद्धि मूल मंत्र है। ये सफेद कपड़े पहनते हैं। इस अखाड़े में गुरु नानकदेवजी के मूल सिद्धांतों का पालन किया जाता है।
- बड़ा उदासीन अखाड़ा : इस अखाड़े का केंद्र स्थान है इलाहाबाद में है। ये उदासी का नानाशाही अखाड़ा है। इस अखाड़े में चार पंगतों में चार महंत हैं – अलमस्तजी, गोविंद साहबजी, बालूहसनाजी, भगत भगवानजी।
- नया उदासीन अखाड़ा : उदासीन अखाड़े से मतभेद होने के बाद इस अखाड़े की स्थापना हुई थी। इसका नाम उदासीन पंचायती नया अखाड़ा रखा गया। इस अखाड़े में केवल संगत साहब की परंपरा के साधु रहते हैं।