कोटद्वार / गढ़वाल : विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए 08 मार्च के दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज हम ऐसी ही एक महिला के बारे में बात कर रहे है जिन्होंने योग, स्वरोजगार को लेकर न समाज को जागरूक किया है बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बना रही हैं. कहते है –
- “जो सफर इख़्तियार करते हैं वो दरिया को पार करते हैं, तू चल कर देख तो मुसाफिर रास्ते तेरा इंतजार करते हैं”
और ऐसे ही रास्तों पर चल निकली है उज्जवला सामाजिक संस्था। जो उत्तराखंड के कोटद्वार में संचालित है। संस्था की अध्यक्ष हैं रश्मि सिंह जो कि पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष भी हैं। इन्होंने महिला सशक्तिकरण की मुहिम को धरातल पर उतारा। इससे महिलाओं का आत्मविश्वास तो बढ़ा ही बल्कि वह आर्थिक रूप से भी सक्षम हुई। संस्था महिलाओं को निरंतर आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेकों कार्य कर रही है और यह संस्था केवल महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि बच्चों के कल्याण के लिए भी कई कार्य कर रही है। उज्जवला सामाजिक संस्था ने बेरोजगार महिलाओं को नए रोजगार के अवसर प्रदान किए। ऐसे भी उदाहरण सामने आए हैं जिन महिलाओं ने अपने लिए मैडम जैसे सम्मानित शब्द नहीं सुने थे आज समाज में उन्हें मैडम शब्द सुनकर खुद के लिए अच्छा लग रहा है और कई बार उनकी आंखें भावुकता से छलक जाती हैं।
अक्सर महिला सशक्तिकरण की बात कही जाती है लेकिन उज्जवला सामाजिक संस्था ने सही मायनों में इसे धरातल पर उतारा है। उत्तराखंड में पहले रोजगार के अवसर प्रदान करने वाले जो उत्पाद हुआ करते थे उनमें भेंवल भी प्रमुख रूप से था जिनका प्रयोग से रस्सियाँ बनाने के लिए ही किया जाता था लेकिन संस्था ने इसका कई तरीकों से प्रयोग करके बहुत से नए उत्पादों का निर्माण किया जिसमें टोकरी, चप्पल,पायदान ऐसी बहुत सारी साज-सजा की चीजें बनाई गई जिससे विलुप्त होते भेंवल को रोजगार की एक नई दिशा मिली। इससे आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों की आजीविका तो संवरी ही साथ ही लॉकडाउन में जब लोगों के पास रोजगार नहीं था तब ऐसे समय में कोटद्वार की कुछ महिलाओं को भी रोजगार मिला। भेंवल में काम कर रही मीना राणा इस विषय में क्या कहती हैं आइए उनसे बात करते है।
बात अगर पर्यावरण की करें तो उज्जवला सामाजिक संस्था ने यहां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पॉलीथिन प्रतिबंध की बात तो सभी करते हैं लेकिन संस्था ने इस काम को करके दिखाया। आपको बताते चलें कि संस्था की अध्यक्ष रश्मि सिंह जब पूर्व में नगर पालिका अध्यक्ष थी उस समय भी पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगाने की पहल उन्होंने की थी और अब इस मुहिम को जूट के बैग बनाकर पॉलिथीन को रोकने का प्रयास संस्था कर रही है। संस्था की महिलाओं से रश्मि सिंह जो कि संस्था की अध्यक्ष हैं जूट के बनवाकर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बना रही हैं। कुछ तस्वीरें साझा कर रहे हैं रजनी की जो कि जूट के बैग बनाकर अपने आप को सक्षम बना रही हैं।
जब दुनिया कोरोना काल में अस्त व्यस्त थी तो उस समय संस्था के द्वारा कोरोना से बचाने के लिए महिलाओं से घर रहकर मास्क बनवा रही थी. बात अगर कोरोना काल की करें तो कोरोना काल में जब पूरी दुनिया अस्त व्यस्त थी और वक्त जैसे थम सा गया था , उस समय भी यह संस्था आराम से नहीं बैठी बल्कि महिलाओं को घर पर रहकर ही मास्क बनाने के लिए कपड़ा सिलाई मशीन और धागे इन्होंने मुहैया कराए और उनसे मास्क बनवाएं। असंख्य लोगों को संस्था ने मास्क वितरित किए और साथ ही सैनिटाइजर भी बंटवाया।कोरोना में रश्मि सिंह ने सफाई कर्मचारियों को ट्रैक सूट और मास्क बांटे जिससे उन्हें कार्य करते हुए किसी भी तरह की परेशानी ना हो। कोरोना काल में जब स्कूल कॉलेज बंद थे और बच्चे अपने अपने घरों में कैद थे ऐसे समय में संस्था ने ऑनलाइन बेबी शो और काव्य प्रतियोगिता का आयोजन करवाया इसमें भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को संस्था ने मेडल सर्टिफिकेट और विजेता प्रतिभागियों को नगद राशि भी प्रदान की।
कोरोना काल के समय को भुलाया नहीं जा सकता एक तो कोरोना का डर और दूसरा रोजगार की चिंता कहीं ना कहीं यह बातें सभी के लिए मानसिक तनाव का कारण बनी हुई थी। इन सभी से उभरने के लिए संस्था ने करो योग रहो निरोग के मंत्र को अपनाया और ऑनलाइन रहकर 21डेज़ योगा चैलेंज ऑनलाइन मुहिम चलाई। योगा चैलेंज में असंख्य प्रतिभागियों द्वारा योगा करते हुए अपनी-अपनी फोटो संस्था को ऑनलाइन भेजी गई और इस मुहिम से लोगों ने अपने रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाया और खुद को मानसिक तनाव से दूर रखा।
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आपको बताते चले कि बांस से जो दैनिक प्रयोग की वस्तुएं या फिर फर्नीचर केवल पुरुष ही बनाते थे और केवल पुरुष ही इस रोजगार से जुड़े थे उज्जवला सामाजिक संस्था ने महिलाओं को भी इस क्षेत्र में प्रशिक्षित करके उन्हें काम दिया और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया बांस के क्षेत्र में कार्य कर रहे पंकज अपने विचार इस वीडियो के माध्यम से साझा कर रहे हैं और साथ ही पंकज के साथ बहुत सारी महिलाएं इस रोजगार से जुड़ चुकी हैं। कुल मिलाकर संस्था लगातार महिला सशक्तिकरण और समाज के उत्थान के लिए निरंतर कार्यरत है। इस सफर में अनेक लोगों का सहयोग संस्था को मिलता रहता है।उज्जवला सामाजिक संस्था सेवा ही सर्वोत्तम सुख है के इस मंत्र के पथ पर चल रहे सभी साथियों और सहयोगीयों को हृदय से नमन करती हैं और उनका आभार व्यक्त करती है।
महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाने में बड़ा कदम
लॉकडाउन के समय में जब सभी कहीं न कहीं आर्थिक रूप से कमजोर हुए हैं, और घर की महिलाओं के लिए चूल्हा चलाना भी मुश्किल हो गया था ऐसे समय में उज्जवला सामाजिक संस्था ने यह सोचा कि क्यों ना घर पर रहकर ही ऐसी जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार देने का प्रयास किया जाए। उज्जवला सामाजिक संस्था की अध्यक्ष रश्मि सिंह ने महिलाओं के हुनर को तराश कर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास किया है। संस्था इन महिलाओं को घर पर रहकर ही रोजगार मुहैया करा रही है जिससे यह महिलाएं भी अपने घर की जरूरी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें संस्था के द्वारा कई महिलाओं को सबल बनाकर रोजगार दिया जा रहा है। संस्था की महिलाओं द्वारा बनाए गयी इन वस्तुओं को खरीद कर आप भी इन महिलाओं के हुनर की सराहना कर सकते हैं तथा उन्हें सहयोग दे सकते हैं।
कोरोना काल में आर्थिक संकट से उभरने का जरिया बन रही है रश्मि सिंह की मुहिम
कोरोना संकट के समय लोगो की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हुई है जिसमे देश के प्रधानमन्त्री ने भी देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात कही है जिसको लेकर उज्जवला सामाजिक संस्था की अध्यक्ष रश्मि सिंह ने कोटद्वार की महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जा रहा है. उज्जवला सामाजिक संस्था की अध्यक्ष रश्मि सिंह ने महिलाओ को स्वरोजगार से जोड़कर उनको आर्थिक स्थिति को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है. महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रश्मि सिंह के द्वारा उनके हुनर को तराश कर उनको स्वरोजगार से जोड़ा है. महिलाओ को स्वरोजगार से जोड़ने की इस मुहिम ने महिलाओ की आर्थिक स्थिति तो सुधर ही रही है इसके साथ वह अपना खुद का रोजगार कर रही है. रश्मि की इस मुहिम से प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का सपना साकार होता नजर आ रही है.
रश्मि सिंह का दिया 21 दिन का योगा चैलेन्ज भी रहा था सफल
कोरोना संक्रमण में लोगो को मानसिक तनाव से बचाने के लिए और उनके कोरोना संक्रमण में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए उज्जवला सामाजिक संस्था की अध्यक्ष रश्मि सिंह ने एक मुहिम चलाई थी. जिसमे 21 दिन का योगा चैलेन्ज दिया गया था सभी को जिससे 01 जून से 21 जून तक अभियान चलाया गया. जिसमे लोगो ने बढ़चढ़ कर भाग लिया. और जो कोटद्वार के साथ साथ अन्य शहरो एवं देहात क्षेत्र में भी काफी सफल रहा है. रश्मि बताती है कि इस चैलेंज के बाद योग लोगो की दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बन गया है और लोग योग के द्वारा अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा रहे है.
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