गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले मौसम की बेरुखी से सेब काश्तकारों में खासी मायूसी हैं। जिले में इन दिनों हो रही बारिश और औला वृष्टि से बड़े पैमाने पर सेब की फसल खराब हो गई है। ऐसे में इस वर्ष लोगों को चमोली की जिले के सेब के स्वाद से महरुम रहना पड़ सकता है। उद्यान विशेषज्ञों के अनुसार खराब मौसम के चलते अभी तक चमोली के सेब उत्पादन वाले क्षेत्रों में 50 फीसदी से अधिक सेब की फसल खराब हो चुकी है।
चमोली जिले के जोशीमठ और देवाल ब्लॉक के भेंटा, भर्की, देवग्राम, रविग्राम, बड़ागांव, रिंगी, भविष्य बदरी, मनमती, मुन्दोली सहित कई गांवों में २ सौ से अधिक काश्तकार सेब का उत्पादन करते हैं। काश्तकार प्रतिवर्ष सेब की फसल से आय अर्जित कर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं। लेकिन इस वर्ष इन दिनों जिले में मौसम की बेरुखी के चलते बारिश और औला वृष्टि से सेब के पेड़ों पर लगे फूल झडने से फसल खराब हो गई है। ऐसे में काश्तकारों के सम्मुख उत्पादन के लिये खर्च की गई लागत को वसूल कर पाना भी कठिन हो गया है। उर्गम निवासी रघुवीर सिंह और चन्दन सिंह नेगी का कहना है कि लम्बे समय बाद जिले में अच्छी बर्फवारी के चलते सेब के पेड़ों पर अच्छे फूल खिले थे। लेकिन बीते दिनों से जिले में हो रही बारिश और औलावृष्टि के चलते अब पेड़ों पर खिले फूल झड़ने से फसल पूरी तरह से खराब हो गई है। जिससे प्रत्येक काश्तकारों को सेब की फसल से होने वाली 10 से 15 हजार की आय का नुकसान उठाना पड़ेगा।
क्या कहते है अधिकारी
चमोली जिले में शीतकाल में हुई बर्फवारी से इस बार सेब के बेहतर उत्पादन की उम्मीद थी। लेकिन अप्रैल और मई माह में जब फूल को फल में परिवर्तित होना होता है। ऐसे समय में हो रही बारिश और औलावृष्टि से सेब की फसल को जिले में 50 फीसदी से अधिक का नुकसान हुआ है। जो जिले में सेब के उत्पान पर बुरा प्रभाव डालेगा।
देवेंद्र स्वरुप कांडपाल, सहायक विकास अधिकारी (उद्यान), चमोली
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