देहरादून (विक्रमादित्य सिंह): हम सभी लोग बड़े आराम से घर बैठे बैठे अपने अपने विचार बनाते रहते हैं. देशव्यापी प्राकृतिक आपदा कोरोना वायरस संक्रमण के समय यह ध्यान रखिये की बाकी दुनिया के देशों के मुक़ाबले हमारा देश जो चीन के बाद जनसँख्या में दूसरा सबसे बड़ा देश है और न ही हमारे पास चीन जितना बड़ा क्षेत्रफल है संक्रमण काल को अधिक नहीं बढ़ने दे रहा है. कोरोना वीरों और वीरांगनाओ को नमन जिन्होंने अभी तक एक कवच बनकर इस प्रलयंकारी सूक्ष्म रावण सेना से हमारी रक्षा करी है. और अब जब थोड़ा और धैर्य की अपील हुई है तो समय आ गया है हमें अपने नागरिक कर्तव्यों को निभाने का. जी हाँ अधिकारों का आनंद तो हम रोज़ ही उठाते आये हैं जो हमें संविधान से प्राप्त है पर आज और अब वह समय आ गया है जब संविधान के अनुच्छेद 51 – ए में निम्नलिखित कर्तव्यों का भी हम पूरे हिम्मत और साहस के साथ पालन करें. सिर्फ इन तीन कर्तव्यों को ही देखें
1. राष्ट्र के परंपरागत मूल्यों एवं संस्कृति की रक्षा करें
2.राष्ट्र की प्राकृतिक सम्पदा को बचाने का प्रयत्न करें
3. वैज्ञानिक सोच एवं विचारधारा को बढ़ाएं
ओछी राजनीती जातिगत टिप्पणियां तथा सोशल मीडिया पर हाहाकार मचाने से अच्छा है इन बिंदुओं पर चिंतन करें. कोरोना वीरो एवं वीरांगनाओ की इस फ़ौज को देशवासियो का समर्थन चाहिए. आप सभी लोग भी इस कवच में जुड़कर अभेद्य कवच बनाने में योगदान दें. कुछ शब्दों में अपनी बात कहना चाहूंगा
” इतने सालों अधिकारों का स्वाद उठाते जाए
आज देश पर संकट के जब बादल हैं मंडराए
सन्नाटा और ख़ामोशी में शत्रु घात लगाए
देशवासियो आओ सभी मिलकर कवच बन जाएँ “
आज संविधान निर्माता बाबासाहेब के जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर आईये देश की ख्याति और थाती दोनों में अपना पूर्ण योगदान दें. हम जहां भी हैं जैसे भी हैं अपने अपने स्तर पर इन कर्तव्यों को पालन कर सकते हैं.
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