हरिद्वार : विकासखण्ड खानपुर के सीमांत ग्राम सिकन्दरपुर की निवासी ममता देवी ने ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के माध्यम से न केवल अपने जीवन की दिशा बदली, बल्कि एक प्रेरणास्रोत के रूप में उभरी हैं। यह गाँव उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है, जहाँ अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर हैं और रोजगार के अवसर अत्यंत सीमित हैं।
पूर्व में ममता देवी भी अपने पति के साथ खेतों में मजदूरी करती थीं, लेकिन इस आय से परिवार की आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पाती थीं। आर्थिक तंगी से जूझते हुए उन्होंने आत्मनिर्भर बनने का निश्चय किया और डेयरी फार्मिंग प्रारंभ करने की योजना बनाई, परंतु प्रारंभिक पूंजी की कमी उनके मार्ग में बाधा बन गई।
इसी दौरान, उन्होंने अपने सखी सहेली स्वयं सहायता समूह की बैठक में ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के बारे में जानकारी प्राप्त की। यह समूह गोवर्धनपुर सीएलएफ के अंतर्गत आता है, और ममता देवी इसमें एक सक्रिय सदस्य हैं। उन्होंने सीएलएफ स्टाफ से संपर्क कर अपनी योजना साझा की। उनकी लगन और दूरदर्शिता को देखते हुए उन्हें अल्ट्रा पुअर पैकेज के अंतर्गत ₹35,000 की ब्याज मुक्त ऋण सहायता दो वर्षों की अवधि के लिए स्वीकृत की गई। साथ ही, उन्होंने अपनी स्वयं की बचत से ₹16,500 की पूंजी भी निवेश की।
इस सहायता राशि से ममता देवी ने एक उच्च नस्ल की दुधारू गाय खरीदी। उन्होंने पशुपालन के लिए विशेषज्ञों से सलाह ली और पोषण, स्वच्छता तथा नियमित देखभाल का विशेष ध्यान रखा। परिणामस्वरूप, गाय से नियमित दूध उत्पादन आरंभ हुआ, जिससे उनकी आय में निरंतर वृद्धि हुई। आज वह हर 3 से 6 माह के अंतराल में ₹4,000 से ₹6,000 तक की नियमित बचत कर रही हैं और उनका जीवन स्तर उल्लेखनीय रूप से सुधर गया है। आज ममता देवी न केवल अपने परिवार की आवश्यकताओं को सम्मानपूर्वक पूरा कर रही हैं, बल्कि उनका आत्मविश्वास और सामाजिक प्रतिष्ठा भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है।


